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Updated: 21 नवम्बर, 2019 09:25 PM
प्रभाष कुमार दत्ता
प्रभाष कुमार दत्ता
  @PrabhashKDutta
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कांग्रेस (Congress) ने गांधी परिवार (Gandhi Family) की एसपीजी (SPG) सुरक्षा हटाए जाने पर मोदी सरकार (Modi Government) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है और मोदी सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध लेने का आरोप लगाया है. बता दें कि मोदी सरकार ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi), सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi) की एसपीजी सुरक्षा हटाकर उन्हें जेड प्लस सुरक्षा (Z+ Security) कवर दे दिया है. इस मुद्दे को कांग्रेस ने संसद में भी उठाया और इसे लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर भी उतरे (Congress protest against SPG removal of gandhi family). मोदी सरकार ने कांग्रेस के आरोपों का कोई जवाब नहीं दिया है. अब 3000 से भी अधिक सुरक्षा बलों की एसपीजी सुरक्षा फोर्स सिर्फ पीएम मोदी के लिए होगी. अभी तक यह सुरक्षा पीएम मोदी के अलावा गांधी परिवार के तीन लोगों को भी मिल रही थी, लेकिन अब वह भी उन 30 वीआईपी लोगों की लिस्ट में आ गए हैं, जिन्हें जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है.

SPG cover to Gandhi Family is only politicsगांधी परिवार को मिलने वाली एसपीजी सुरक्षा को मोदी सरकार ने हटा दिया है.

तो गांधी परिवार को कैसे मिली एसपीजी सुरक्षा?

गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा 1991 में दी गई थी, जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी. एसपीजी की शुरुआत इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई थी, जिन्हें उन्हीं के बॉडीगार्ड्स ने 1984 में मौत के घाट उतार दिया था. 1988 में एसपीजी बनाई गई. इसका मकसद था प्रधानमंत्री और उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान करना. 1989 में राजीव गांधी की सरकार सत्ता से बाहर हो गई और वीपी नरसिम्हा राव सत्ता में आ गए, जिसके बाद गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई. 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती हमलावर ने बम धमाके में खुद के साथ राजीव गांधी को धमाके से उड़ा दिया. इसके बाद पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने तय किया कि एसपीजी सुरक्षा का दायरा बढ़ाया जाएगा और फिर ये सुरक्षा पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार को सत्ता से बाहर होने के 10 साल तक देने का फैसला किया गया.

कितनी राजनीति, ये वीडियो बता रहा है

एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने के खिलाफ कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन उस भीड़ में कुछ ऐसे भी चेहरे दिखे, जिन्हें ये भी नहीं पता था कि वह प्रदर्शन में आए क्यों हैं. एसपीजी के बारे में तो छोड़िए, उन्हें तो कुछ भी नहीं पता था, वह बेचारे स्कूली बच्चे थे. देखिए वीडियो-

एसपीजी कवर से गांधी परिवार को क्या मिला?

गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा मिले होने से सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि नई दिल्ली के 10-जनपथ पर स्थित वह बंगला सोनिया गांधी को मिल गया, जो पहले राजीव गांधी को दिया गया था. 1991 से लेकर 1999 तक 3 बार लोकसभा चुनाव हए, जिस दौरान गांधी परिवार से कोई भी सांसद नहीं रहा, लेकिन सोनिया गांधी 10-जनपथ स्थित बंगले के सभी फायदे उठाती रहीं. दिल्ली के लुटियन्स स्थित इसी बंगले में राहुल गांधी भी रहे. हालांकि, अन्य सांसदों की बात करें तो हर चुनाव में जीत-हार के हिसाब से उनके बंगले बदलते रहे.

प्रियंका गांधी वाड्रा को भी एसपीजी सुरक्षा मिले होने की वजह से एक बंगला मिला हुआ है. हालांकि, वह उस बंगले के किराए का भुगतान करती हैं. लेकिन अब एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने के बाद उनका भी लुटियन्स स्थित बंगला छिन जाएगा और जब तक वह सांसद नहीं बनतीं, तब तक नहीं मिलेगा.

बता दें कि एसपीजी सुरक्षा मिले लोग खास बुलेट प्रूथ और हथियारों से लैस बीएमडब्ल्यू-7 सीरीज की कार में चलते हैं. एसपीजी एक्ट के तहत कमांडोज के पास अल्ट्रा मॉडर्न असॉल्ट राइफल होती हैं. इसके अलावा एसपीजी सुरक्षा हासिल किए हुए लोगों को कहीं आने जाने के लिए भारतीय वायु सेना के स्पेशल चॉपर या एयरक्राफ्ट इस्तेमाल करने की इजाजत होती है. अब एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने के बाद गांधी परिवार को ये सारी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. इसका मतलब ये हुआ कि अब मीडिया के लोग बड़ी आसानी से सोनिया गांधी, राहुल गांधी या प्रियंका गांधी की कार को घेर कर उनसे सवाल पूछते नजर आएंगे, जिसकी शुरुआत हो भी चुकी है और कुछ टीवी चैनलों पर ऐसा नजारा देखने को मिल भी गया है.

अन्य वीआईपी सुरक्षा व्यवस्थाओं को भी जान लीजिए

भारत पर आतंकी हमले होते रहे हैं, ऐसे में वीआईपी लोगों को सुरक्षा के ग्रेड बनाए गए हैं. 2015 में हरिभाई चौधरी ने राज्य सभा में कहा था कि वीआईपी लोगों की दी जाने वाली सुरक्षा नीली किताब और पीली किताब के हिसाब से तय की जाती है. बता दें कि तब हरिभाई चौधरी गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री थे, जो अब कोयला और खदान के राज्य मंत्री हैं.

नीली किताब के स्टैंडर्ड राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर लागू होते हैं. इसके हिसाब से प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा मिलती है. राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय सेना की खास रेजिमेंट के हाथ होती है, जिसे प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड (राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड) कहते हैं.

अन्य वीआईपी लोगों पर पीली किताब के स्टैंडर्ड लागू होते हैं. सुरक्षा ग्रेड जेड प्लस, जेड, वाई और एक्स ग्रेड के हिसाब से दी जाती है. जेड प्लस के तहत 55 सुरक्षा गार्ड की एक टीम होती है, जिसमें 10 एनएसजी (National Security Guard) कमांडो होते हैं. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के पास अब 55-55 कमांडोज की फोर्स होगी, बजाय 70-100 एसपीजी कमांडोज के.

पहली बार नहीं बदला है एसपीजी एक्ट

कांग्रेस ने 1991 में गांधी परिवार को सुरक्षा देने के लिए एसपीजी एक्ट में बदलाव किया. 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भी इसमें कुछ बदलाव किए. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, एचडी देवे गौड़ा और इंदर कुमार गुजराल की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली. हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता से बाहर होने के बावजूद एसपीजी सुरक्षा लेते रहे. उन्हें एसपीजी सुरक्षा मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान भी मिली रही, जब तक कि 2018 में उनकी मौत नहीं हो गई. इसी साल अगस्त में मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा भी वापस ले ली थी और अब उनके पास जेड प्लस सुरक्षा है.

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लेखक

प्रभाष कुमार दत्ता प्रभाष कुमार दत्ता @prabhashkdutta

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्टेंट एडीटर हैं.

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