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Updated: 24 फरवरी, 2020 08:03 PM
धीरेंद्र राय
धीरेंद्र राय
  @dhirendra.rai01
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अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप (US President Donald Trump) दो दिन की भारत यात्रा पर हैं. पहले दिन अहमदाबाद के मोटेरा क्रिकेट स्‍टेडियम (Motera Cricket Stadium) में करीब एक लाख लोगों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और ट्रंप ने एक दूसरे की जमकर तारीफ की. ट्रंप ने मोदी की विनम्र पृष्‍ठभूमि का जिक्र करते हुए उन्‍हें एक मजबूत नेता बताया. तो वहीं मोदी ने ट्रंप को व्‍हाइट हाउस (White House) में भारत का सच्‍चा दोस्‍त निरुपित किया. लेकिन क्‍या वाकई दोनों के बीच ये दोस्‍ती उन्‍हें हर मुद्दे पर साथ लेकर चलती है. तो जवाब है- नहीं. ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन पर मोदी और ट्रंप एक दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आते हैं. आइए, नजर डालते हैं किन मुद्दों पर मोदी और ट्रंप साथ-साथ हैं, और किन मुद्दों पर नहीं:

1. निजी रूप से (Personal Chemistry): मोदी और ट्रंप एक दूसरे की बड़ी कद्र कहते हैं. एक दूसरे के सामने हों या अलग-अलग मंच पर, दोनों ही नेता एक दूसरे को सम्‍मान देते हैं. ट्रंप भले ये कहते हों कि भारत ने अमेरिका के साथ ठीक व्‍यवहार नहीं किया है. लेकिन वे उसी के साथ यह भी जोड़ते हैं कि मोदी के साथ उनकी दोस्‍ती बहुत मजबूत है.

2. राजनीतिक रूप से (Political ideology): मोदी और ट्रंप को उदय राष्‍ट्रवाद (nationalism), दक्षिणपंथ (राइटविंग) और बहुसंख्‍यकवाद (majoritarianism) की उपजाऊ जमीन से होता है. ऐसे में दोनों ही नेताओं के इस्‍लामिक आतंकवाद जैसे मुद्दों पर विचार काफी मिलते-जुलते हैं. दोनों ही नेता सख्‍त राजनीति के पुरोधा हैं. मीडिया के प्रति दोनों ही नेताओं का नजरिया एक जैसा सख्‍त और आलोचनात्‍मक है. शरणार्थियों को लेकर दोनों ही नेता एक जैसे सख्‍त हैं.

Trump-Modiट्रंप और मोदी के निजी रिश्‍ते उनकी राजनैतिक विचारधाराओं के कारण ज्‍यादा मजबूत हो जाते हैं.

3. इकोनॉमी (Trade balance): ट्रंप जहां 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' कैंपेन चलाते हैं तो मोदी 'मेक इन इंडिया'. दोनों ही नेता अपनी-अपनी अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूती देने का दम भरते हैं. इस मुद्दे पर ट्रंप ने तो पूरी दुनिया ही जंग झेड़ रखी है. ट्रंप प्रशासन ने जून 2019 में भारत को व्‍यापार में प्राथमिकता देने वाले श्रेणी से हटा दिया था. नतीजे में भारतीय स्‍टील और एल्‍यूमिनियम एक्‍सपोर्ट को भारी टैक्‍स की मार झेलनी पड़ी थी. इसके जवाब में भारत ने अमेरिका से आयात किए जाने वाले 28 उत्‍पादों पर 70 फीसदी तक ड्यूटी बढ़ा दी थी. उस मिनी ट्रेड-वॉर के झटके को टालने के लिए अमेरिका और भारत कई दौर की बातचीत कर चुके हैं. लेकिन ट्रंप और मोदी दोनों ही अपनी शर्तों पर अड़े हैं, और एक-दूसरे के इस अड़ियल रवैये की तारीफ भी करते हैं.

4. कश्‍मीर (Kashmir): 5 अगस्‍त 2019 से कश्‍मीर डोनाल्‍ड ट्रंप की जुबान पर है. खासतौर पर जब वे इमरान खान से मिलते हैं. धारा 370 हटाए जाने के बाद उपजे हालात में ट्रंप कई बार भारत-पाकिस्‍तान के बीच सुलह सफाई कराने की पेशकश कर चुके हैं. हालांकि, अमेरिकी प्रशासन साफ कर चुका है कि यह भारत और पाकिस्‍तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है. हालांकि, ट्रंप इमरान खान के आग्रह पर बार-बार इस मुद्दे पर मध्‍यस्‍थता की बात करते रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक शब्‍दों में कह दिया है कि कश्‍मीर मामले में दखल के लिए किसी को कष्‍ट करने की जरूरत नहीं है.

5. चीन (China): मोदी और ट्रंप दोनों ही चीन के मामले में same page पर हैं. चीन की एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती सैन्‍य ताकत हो, या फिर उसके व्‍यापार की रणनीति. भारत और अमेरिका दोनों ही चीन को काउंटर करने का इरादा रखते हैं. मोदी और ट्रंप के बीच सामंजस्‍य की प्रमुख वजह काफी हद तक चीन ही है. चीन को बैलेंस करने के लिए ही अमेरिका ने भारत को अत्‍याधुनिक हथियार बेचने के सौदों को मंजूरी दी है. इतना ही नहीं, संयुक्‍त राष्‍ट्र और अन्‍य मंचों पर मोदी और ट्रंप चीन के खिलाफ लामबंदी करते नजर आते हैं.

Trump-Modi equation on India visitट्रंप और मोदी के बीच जबरदस्‍त तालमेल के बावजूद कई मुद्दों पर दोनों नेताओं का विरोध भी जगजाहिर है.

6. पाकिस्‍तान/इमरान खान (Pakistan/Imran Khan): पाकिस्‍तान को लेकर मोदी और ट्रंप के नजरिए में थोड़ा पेंचीदा रिश्‍ता है. उरी और पुलवामा हमले के बाद भारत की सर्जिकल स्‍ट्राइक का अमेरिका ने समर्थन किया है. पाकिस्‍तान प्रायोजित जिहाद/इस्‍लामिक आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी और ट्रंप के ख्‍याल एक ही हैं, और दोनों ही नेता इस पर काबू करने के लिए पाकिस्‍तान पर दबाव बनाते हैं. जहां तक नेतृत्‍व की बात है, ट्रंप इमरान खान के प्रति आशावान नजर आते हैं जबकि मोदी ने इमरान खान को अघोषित रूप से भारत-विरोधी करार दिया हुआ है. ट्रंप को अफगानिस्‍तान समस्‍या पर इमरान की जरूरत है, जबकि मोदी कश्‍मीर के मामले में इमरान को ही समस्‍या मानते हैं. यानी पाकिस्‍तान के मामले में मोदी और ट्रंप एक ही तरफ हैं. जबकि इमरान खान के मामले में एक पेंचीदा त्रिकोण नजर आता है.

7. इरान (Iran): ट्रंप और मोदी के बीच जैसी पेंचीदगी पाकिस्‍तान को लेकर है, वैसी ही कुछ-कुछ इरान को लेकर भी है. यहां ट्रंप इरान को अपना दुश्‍मन मानते हैं, जबकि मोदी को इरान के रूप में सहयोगी दिखाई देता है. ट्रंप और मोदी के बीच ग्‍लोबल साझेदारी के चलते भारत ने इरान पर लगे प्रतिबंधों का पालन किया. लेकिन भारत इरान के ऊपर किसी तरह की सैन्‍य कार्रवाई का विरोधी रहा है. जबकि ट्रंप और अमेरिकी प्रशासन इरान पर सख्‍ती करने के लिए मोदी सरकार से समर्थन पाने की कोशिश करते रहे हैं.

8. क्‍लाइमेट चेंज (Climate change): डोनाल्‍ड ट्रंप ने सत्‍ता में आते ही सबसे पहले पेरिस क्‍लाइमेट चेंज डिक्‍लेरेशन से खुद को अलग कर लिया. वे क्‍लाइमेट चेंज पर काबू पाने के लिए विकसित देशों की जिम्‍मेदारी से पीछे हट गए हैं. उनका मानना है कि क्‍लाइमेट चेंज की समस्‍या यदि है तो उसका मुकाबला करने की जिम्‍मेदारी चीन और भारत जैसे देशों की है. क्‍योंकि सबसे ज्‍यादा ग्रीन हाउस गैसों का उत्‍पादन इन देशों में ही होता है. इधर मोदी सरकार ने क्‍लाइमेट चेंज के मुद्दे पर अपना रुख सख्‍त करते हुए दुनिया के विकसित देशों पर ग्रीन टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर करने का दबाव बनाया है.

लेखक

धीरेंद्र राय धीरेंद्र राय @dhirendra.rai01

लेखक ichowk.in के संपादक हैं.

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