दिग्विजय सिंह जितना साधू बने, उतना साध्वी प्रज्ञा के जाल में फंसे
चुनाव के मद्देनजर भोपाल में, अपने को किसी और की अपेक्षा अधिक हिंदू साबित करने वाले दिग्विजय सिंह ऐसा बहुत कुछ कर रहे हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भाजपा और साध्वी प्रज्ञा को फायदा पहुंचाता नजर आ रहा है.
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कहावत है नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है. इन दिनों कुछ ऐसा ही हाल दिग्विजय सिंह का है जो भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी हैं. 17वीं लोकसभा के लिए 5 चरणों में चुनाव हो चुके हैं और 2 चरण शेष हैं. ऐसे में किसी और के मुकाबले खुद को अधिक हिंदू साबित करने के चक्कर में, दिग्विजय सिंह हर वो जतन कर रहे हैं. जिसका फायदा उन्हें मिले न मिले, मगर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ये सब भोपाल से ही भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लिए जरूर फायदेमंद साबित हो रहा है.
सवाल होगा कि कैसे? तो इसका जवाब बहुत आसान है. मालेगांव बम ब्लास्ट को लेकर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर भले ही मुकदमा चल रहा हो और वो कोर्ट की तरफ से बेल पर हों. मगर जब उनके टिकट का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि साध्वी प्रज्ञा को भोपाल लाया ही इसलिए गया है ताकि भाजपा पूरे देश को बता सके कि कैसे एक बड़ी साजिश के तहत साध्वी प्रज्ञा को हिंदू आतंकवाद के आरोप में जबरदस्ती फंसाया गया और कांग्रेस के कारण ही उनपर जेल में तरह तरह के जुल्म-ओ-सितम हुए.
भोपाल में दिग्विजय सिंह को देखकर लग रहा है कि अपने को अधिक हिंदू साबित करने के चक्कर में वो जी जान एक किये हुए हैं
ध्यान रहे कि जिस दिन से साध्वी प्रज्ञा ने पार्टी की सदस्यता ली और उनके टिकट की घोषणा हुई तब से उन्हें भाजपा द्वारा हिंदू टेरर कैंपेन की पीड़ित के रूप में दर्शाया जा रहा है. खुद साध्वी प्रज्ञा भी अपनी सभाओं में इस बात को एक बड़ा मुद्दा बनाकर लोगों की सहानुभूति हासिल करने के लिए प्रयासरत दिख रही हैं.
मंच पर साध्वी रो रही हैं, बिलख रही हैं और भोपाल के साथ साथ देश की जनता को ये बता रही हैं कि कैसे कांग्रेस विशेषकर दिग्विजय सिंह के इशारे पर उनके साथ पशुओं से बदतर व्यवहार हुआ. साथ ही साध्वी प्रज्ञा ने दिग्विजय सिंह के ऊपर हिंदू धर्म को बदनाम करने का आरोप भी लगाया है.
हिंदू टेरर को भोपाल में भाजपा कैसे भुना रही है इसे हम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रैली से भी समझ सकते हैं. ध्यान रहे कि अमित शाह ने साध्वी प्रज्ञा के समर्थन में भोपाल में अपना रोड शो किया और इस दौरान लोगों ने भी अमित शाह के ऊपर फूल बरसाकर उनका स्वागत किया.
भोपाल रोडशो की कुछ तस्वीरें।#ModiHiAayega pic.twitter.com/6Zq6Fa47N3
— Chowkidar Amit Shah (@AmitShah) May 8, 2019
इस रोडशो की सफलता से गदगद अमित शाह ने ट्विटर पर लोगों को धन्यवाद देते हुए लिखा है कि, भोपाल के रोडशो में दिखा यह अपार जनसमर्थन हिंदुओं को आतंकवादी बोलने वालों को जनता का जवाब है. साथ ही उन्होंने ये भी लिखा है कि भोपाल और पूरे देश की जनता फर्ज़ी भगवा आतंकवाद की कहानी गढ़कर पूरी दुनिया में हिंदू धर्म को बदनाम करने वालों को सबक सिखाने वाली है.
भोपाल के रोडशो में दिखा यह अपार जनसमर्थन हिंदुओं को आतंकवादी बोलने वालों को जनता का जवाब है।
भोपाल और पूरे देश की जनता फर्ज़ी भगवा आतंकवाद की कहानी गढ़कर पूरी दुनिया में हिंदू धर्म को बदनाम करने वालों को सबक सिखाने वाली है। pic.twitter.com/bFG5SD7XB7
— Chowkidar Amit Shah (@AmitShah) May 8, 2019
आपको बताते चलें कि भोपाल में कांग्रेस की तरफ से भी रोडशो हुआ और उस रोड शो में भी जनता को लुभाने के लिए कांग्रेस ने भगवा रंग का सहारा लिया. मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राकेश सिंह ने दिग्विजय सिंह के रोड शो में भगवा रंग के झंडे होने पर करारा प्रहार किया है. राकेश सिंह ने ट्वीट करते हुए कांग्रेस पर तंज किया है और कहा है कि - कल तक जो कांग्रेस भगवा आतंकवाद का डर दिखा रही थी और उसे देश के लिए खतरा बता रही थी अब उसके नेता ही भगवाधारियों की क्षरण में पहुंच गए हैं.
कल तक जो @INCIndia भगवा आतंकवाद का डर दिखा रही थी और उसे देश के लिए खतरा बता रही थी, अब उसके नेता ही भगवाधारियों की शरण में पहुंच गये हैं।
— Chowkidar Rakesh Singh (@MPRakeshSingh) May 8, 2019
इसके अलावा राकेश सिंह ने ये भी कहा है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस बौखलाहट में है. कांग्रेस को ये बात समझ आ रही है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पुनः एनडीए की सरकार बनने जा रही है.
कभी तिलक से दूरी बनाने वाले दिग्विजय आज तिलक लगाए हुए घूम रहे हैं
हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा को जो कहना हो कहे मगर भोपाल में जैसा रुख दिग्विजय सिंह का है साफ पता चलता है कि वो उस जाल में फंस गए जो साध्वी प्रज्ञा के रूप में भाजपा ने बिछाया था. चुनाव जीतने के लिए दिग्विजय सिंह आज हर वो काम कर रहे हैं जिसमें भाजपा उनकी अपेक्षा कहीं ज्यादा पारंगत है.
गौरतलब है कि, दिग्विजय सिंह ने चुनाव प्रचार की शुरुआत ही भोपाल के मंदिर-मंदिर घूमकर की है. हिंदुत्व को लेकर नकारात्मक बातें करने वाले. तिलक और टीके से दूर रहने वाले दिग्विजय इन दिनों इन सभी चीजों के करीब हैं.
भोपाल में दिग्विजय को कंप्यूटर बाबा का समर्थन मिला है तो वहां लड़ाई हिंदुत्व बनाम हिंदुत्व है
वो कंप्यूटर बाबा के साथ हैं और प्रज्ञा भोपाल का किला न फ़तेह कर पाएं इसके लिए हठ योग कर रहे हैं. दिग्विजय के इस अवतार का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि चूंकि वो दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं तो बात कहीं न कहीं उनकी साख से जुड़ी है. अतः साध्वी प्रज्ञा से उनकी लड़ाई साख की तो है ही साथ ही सत्ता में बने रहने की भी लड़ाई है.
कंप्यूटर बाबा के साथ हठयोग करने वाले दिग्विजय सिंह भोपाल का रण जीतने के लिए कितना बेक़रार है? इसे हम दिग्विजय सिंह के उस आदेश से भी समझ सकते हैं जिसमें उन्होंने अपने रोड रोड शो की सुरक्षा में आए पुलिस वालों को न सिर्फ सिविल ड्रेस में बुलाया बल्कि उनके गले में भगवा गमछा तक डलवा दिया. मामले के बाद चर्चा में आए पुलिसवालों ने इस बीत को स्वीकार किया है कि इसके लिए हमें ऊपर से आदेश आए थे.
Bhopal: Police personnel in civil uniform seen wearing saffron scarves at the roadshow of Computer Baba and Digvijay Singh (Congress candidate from the Lok Sabha seat); a policewoman says "we've been made to wear this". #MadhyaPradesh pic.twitter.com/RN8UUN2oMC
— ANI (@ANI) May 8, 2019
बहरहाल, जैसा कि हमें शुरुआत में ही इस बात का जिक्र किया था कि दिग्विजय सिंह जितना साधू बनेंगे, उतने साध्वी के जाल में फंसेंगे. तो बात को विराम देते हुए हम बस इतना ही कहेंगे कि यदि दिग्विजय ये सब हिंदू वोटों को अपने पाले में करने के लिए कर रहे हैं तो उन्हें ये जान लेना चाहिए कि इसका उन्हें कोई खास फायदा नहीं मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि बात जब हार्डकोर हिंदू वोटों की आएगी तो वो दिग्विजय सिंह की अपेक्षा साध्वी प्रज्ञा पर विश्वास करेगा और वोट साध्वी के पाले में आएंगे.
दिग्विजय का हिंदू बनना उनके लिए फायदेमंद होता है या फिर साध्वी प्रज्ञा को फायदा पहुंचाता है इसका फैसला 23 मई हो हो जाएगा मगर जिस हिसाब से दिग्विजय और साध्वी प्रज्ञा दोनों ही हिंदुत्व का झंडा अपने-अपने हाथों में लिए हैं उससे इतना तो तय हो गया है कि भोपाल का रण न सिर्फ मजेदार है बल्कि कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही साख का चुनाव भी है.
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