क्या पाक का बदलना मुश्किल ही नहीं नाममुकिन भी है?
उफा और दिल्ली के बाद, लेकिन पेरिस से पहले पाक पीएम नवाज शरीफ का एक यू-टर्न-स्टेटमेंट आया - इस्लामाबाद, नई दिल्ली से बिना किसी शर्त बातचीत के लिए तैयार है!
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सवाल : क्या भारत और पाकिस्तान के बीच दिल्ली में बातचीत होती है तो हुर्रियत नेताओं को फिर भोज का न्योता दिया जाएगा?
जवाब : हुर्रियत पर हमारी नीति जस की तस है.
ये सवाल मीडिया का है और जवाब दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित का. बासित से हुर्रियत की एक टीम हाल ही में मिली थी. बासित का ये बयान उसी मुलाकात के बाद का है.
शर्तें कितनी लागू हैं
उफा और दिल्ली के बाद, लेकिन पेरिस से पहले पाक पीएम नवाज शरीफ का एक यू-टर्न-स्टेटमेंट आया - इस्लामाबाद, नई दिल्ली से बिना किसी शर्त बातचीत के लिए तैयार है!
शरीफ ने ये शराफत अपने आर्मी चीफ राहील शरीफ के अमेरिका दौरे के बाद और पेरिस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात से पहले दिखाई थी. पेरिस में मोदी-शरीफ की चर्चित सोफा-मीटिंग के बाद थाइलैंड में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नासिर जांजुआ की गुपचुप मुलाकात भी हुई.
और फिर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान भी गईं.
रंग हरा, जबान उर्दू
संसद में सवाल उठने पर सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान यात्रा के दौरान हरी साड़ी पहनने के पीछे भले ही दूसरी वजह बताई हो, लेकिन क्या ये महज इत्तेफाक ही था? मान लेते हैं कि सुषमा संस्कृत और उर्दू दोनों साधिकार बोलती हैं, लेकिन अगर बुधवार की जगह किसी और दिन पाकिस्तान गई होतीं तो क्या वाकई वो हरी साड़ी नहीं पहनतीं?
पाकिस्तान की अवाम को हरे रंग से मोहब्बत है तो भारतीय विदेश मंत्री को भी पसंद है. जो भी हो इत्तेफाक भी ऐसे हों तो अच्छा ही है. आखिर इसी गंगा-जमुनी कल्चर की ही तो मिसाल दी जाती है.
सुषमा ने कहा कि वो हर बुधवार हरे रंग की ही साड़ी पहनती हैं. ज्योतिष में जहां बुध ग्रह के लिए पन्ना पहनने की सलाह दी जाती है वहीं बुधवार को हरे रंग के इस्तेमाल की मान्यता है. बुधवार विघ्न विनाशक देवता गणेश का भी दिन माना जाता है.
पाकिस्तान से बातचीत निर्विघ्न चलती रहे और नतीजा निकले, सुषमा ही क्या हर कोई यही चाहेगा.
सुषमा ने ये भी बताया कि वो शरीफ के परिवार की चार पीढ़ियों से मिलीं. शरीफ की मां, खुद शरीफ और उनकी बेटी और उनके भी बच्चों से मुलाकात वाकई अच्छी बात है.
अब अगले सार्क सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी भी पाकिस्तान जाने वाले हैं. ये भी एक्सक्लुसिव मौका ही होगा जब 12 साल बाद कोई प्रधानमंत्री पाकिस्तान दौरे पर होगा. तब तक पाकिस्तान की कोई शर्त रहे न रहे, भारत तो चाहेगा ही कि हुर्रियत के साथ दावत के बिना भी पाकिस्तान का हाजमा दुरूस्त रहे - और लाहौर बस यात्रा का इतिहास दोहराया जा सके.
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