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Updated: 26 सितम्बर, 2019 06:35 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने NRC (National Register of Citizens) पर जो बयान दिया है, उसके खिलाफ भाजपा प्रदर्शन कर रही है. केजरीवाल के घर के सामने भाजपा का पूर्वांचल मोर्चा प्रदर्शन कर रहा है. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात है और पानी की बौछार का इस्तेमाल कर के उन्हें हटाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन इतना सारा बवाल किस लिए? आखिर केजरीवाल ने ऐसा क्या कह दिया कि भाजपा का पूर्वांचल मोर्चा उनके घर के सामने जमा हो गया है? दरअसल, मनोज तिवारी कई मौकों पर दिल्ली में भी NRC की मांग कर चुके हैं. यानी वह चाहते हैं कि दिल्ली में गैर-कानूनी तरीके से रह रहे लोगों को दिल्ली से बाहर किया जाए. इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केजरीवाल ने कह दिया कि अगर दिल्ली में एनआरसी लागू होता है, तो सबसे पहले मनोज तिवारी ही दिल्ली से बाहर जाएंगे. इस पर मनोज तिवारी ने जवाब में कहा था कि क्या वह पूर्वांचलियों और बाहर से आकर दिल्ली में रह रहे प्रवासी लोगों को घुसपैठिए मानते हैं? बस इसी वजह से अब पूर्वांचल मोर्चा उनके घर के सामने प्रदर्शन कर रहा है.

केजरीवाल ने NRC को गलत समझ लिया

अरविंद केजरीवाल के बयान को सुनकर तो ये लग रहा है कि उन्होंने NRC को गलत समझ लिया है. एनआरसी के तहत उन लोगों को चिन्हित किया जाता है जो देश के बाहर से यानी विदेशों से गैर-कानूनी तरीके से भारत में घुसपैठ कर के यहां बसे हुए हैं. केजरीवाल को शायद ये लग रहा है कि वह हर शख्स घुसपैठिया है, जो दिल्ली से बाहर का है. तभी तो उन्होंने ये कहा कि ऐसा होने पर सबसे पहले मनोज तिवारी बाहर जाएंगे. वैसे शायद ये बात केजरीवाल को एक बार याद दिलाने की जरूरत है कि वह खुद भी दिल्ली के नहीं हैं, बल्कि हरियाणा के हिसार से हैं.

अरविंद केजरीवाल, एनआरसी, दिल्ली, मनोज तिवारीकेजरीवाल ने कहा अगर दिल्ली में एनआरसी लागू हुआ तो सबसे पहले मनोज तिवारी ही दिल्ली से बाहर जाएंगे.

दिल्ली के 7 में से 5 मुख्यमंत्री बाहरी !

दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश और चौथे मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को छोड़ दें, तो बाकी सब भी तो दिल्ली के बाहर से ही रहे हैं. भले ही बात पंजाब के मदन लाल खुराना और गुरमुख निहाल सिंह की हो या फिर हरियाणा के अंबाला कैंट की सुषमा स्वराज की. यहां तक की शीला दीक्षित भी पंजाब से थीं. खुद केजरीवाल हरियाणा के हैं. जिस तरह इस समय अरविंद केजरीवाल मनोज तिवारी को बाहर का कह रहे हैं, मुमकिन है कि मदन लाल खुराना और गुरमुख निहाल सिंह ने भी वैसा विरोध झेला हो. लेकिन यहां समझने वाली बात ये है कि ये सभी भारत के थे, ना कि घुसपैठिए. इस बात को केजरीवाल को समझना चाहिए.

दिल्ली में सबसे अधिक इंटर-स्टेट माइग्रेंट

अगर अरविंद केजरीवाल दिल्ली के बाहर के लोगों को बाहरी मान रहे हैं तो ऐसे तो दिल्ली की करीब 40 फीसदी आबादी को बाहर जाना पड़ेगा. इसमें वो परिवार भी होंगे, जो अब दिल्ली में बस गए हैं, वो लोग भी होंगे जो अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए यहां आए हैं और वो बच्चे भी होंगे, जो शिक्षा लेने के लिए दिल्ली आए हैं. अगर 2001 की मतगणना को देखें तो इस समय करीब 23.6 लाख परिवार ऐसे हैं जो दिल्ली में आकर बस गए हैं. 19.8 लाख लोग ऐसे हैं, जो दिल्ली में नौकरी या बिजनेस करते हैं. 12.2 ऐसी बहुएं हैं, जो शादी के बाद दिल्ली की हो गई हैं. 1 लाख बच्चे यहां आकर शिक्षा ले रहे हैं. इसके अलावा भी 6.8 लाख लोग हैं, जो दिल्ली के बाहर के हैं, लेकिन दिल्ली में रह रहे हैं.

कहां पर कितने बाहरी लोग?

उत्तर पश्चिम दिल्ली में 36.8%, पश्चिमी दिल्ली में 35.7%, दक्षिण पश्चिम दिल्ली में 46.4%, दक्षिणी दिल्ली में 42.1%, उत्तरी दिल्ली में 29.9%, उत्तर पूर्व दिल्ली में 36.3%, पूर्वी दिल्ली में 36.3%, सेंट्रल दिल्ली में 16.9% और नई दिल्ली में 44.7% आबादी बाहरी है. यानी एक बात तो तय है कि अगर दिल्ली से बाहर के लोगों को यहां से जाने को बोला गया, उस दिन दिल्ली खाली-खाली सी लगेगी. वैसे तब बाहर तो केजरीवाल को भी जाना होगा तो सीएम की कुर्सी भी खाली ही हो जाएगी.

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