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Updated: 30 दिसम्बर, 2017 05:56 PM
अभिनव राजवंश
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  @abhinaw.rajwansh
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जनवरी 2018 में दिल्ली कोटे की तीन राज्यसभा सीटें खाली हो रही है, और वर्तमान में दिल्ली विधानसभा की जो स्थिति है उसमें तीनों ही सीटें आम आदमी पार्टी के खाते में जायेंगी. इन्ही तीन राज्यसभा सीटों के लिए आम आदमी पार्टी में घमासान मचा हुआ है, दरअसल कुमार विश्वास के समर्थक चाहते है कि इन तीन सीटों में से एक सीट पर कुमार विश्वास को उच्च सदन भेजा जाय, मगर आम आदमी पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अभी तक राज्य सभा कि सदयस्ता के लिए कई बाहरी लोगों से भी आम आदमी पार्टी संपर्क कर चुकी है, इनमें रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, भूतपूर्व वित्त मंत्री और भाजपा नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, पूर्व मुख्य न्यायधीश टीएस ठाकुर मुख्य हैं, इनके अलावा भी कई नामों की चर्चा मीडिया में है. हालाँकि पार्टी ने कुमार विश्वास को राज्य सभा भेजने को लेकर कुछ भी नहीं कहा है, मगर हाल में आम आदमी पार्टी में कुमार विश्वास की जिस प्रकार अनदेखी की गयी है उसमें इस बात की कोई संभावना नहीं दिखती की पार्टी कुमार विश्वास को राज्य सभा भेजने के बारें में सोचेगी भी.

केजरीवाल, कुमार विश्वास, आप पार्टी

हालाँकि, कुमार विश्वास अरविंद केजरीवाल के मित्र रहे हैं और आंदोलन के दिनों से ही पार्टी के अहम सदस्य रहे हैं. कायदे से देखा जाय तो राज्य सभा सीट के लिए कुमार विश्वास की दावेदारी सबसे मजबूत है, कुमार पार्टी के संस्थापक सदस्य के साथ ही अच्छे वक्ता भी है और साथ ही देश भर में उनकी एक पहचान भी है. ये सारी ही चीजें कुमार को सबसे प्रबल दावेदार बनाते है. हालाँकि, कुमार की यही सब खूबियां पार्टी के अंदर उनकी राह में रोड़े भी लगाता नजर आता है.

यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, मगर अरविंद केजरीवाल के काम करने के ढंग पर गौर करें तो यह समझना थोड़ा आसान हो जायेगा की क्यों आज कुमार विश्वास आम आदमी पार्टी के अंदर हासिये पर आ गए हैं. दरअसल, अरविंद केजरीवाल एक अति महत्वाकांक्षी नेता हैं, और यह बात उनके कार्यकलापों से प्रतीत भी होता है. मगर बतौर राजनेता अरविंद केजरीवाल के कार्यकलाप उनके बारें में एक और चीज बताती है और यह कि वो अपने समकक्ष किसी भी नेता को खड़े नहीं होना देना चाहते, कमसे कम पार्टी के अंदर तो ऐसा ही चाहते है.

आम आदमी पार्टी मात्र पांच साल पुरानी हुई है, मगर इन पांच सालों में ही पार्टी के अधिकतर संस्थापक सदस्य पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं. बाहर जाने वाले प्रमुख नेताओं में योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार, शाज़िया इल्मी, कैप्टन गोपीनाथ, अंजलि दमानिया, बिनोद कुमार बिन्नी, कपिल मिश्रा के नाम शामिल हैं. इन सारे ही नेताओं ने अरविंद केजरीवाल के कार्यशैली पर गंभीर सवाल भी उठाये हैं, यह बताता है कि अरविंद केजरीवाल पार्टी के अंदर अपने कद के आस पास किसी भी नेता को फटकने भी नहीं देना चाहते, शायद यही वजह है वर्तमान में जो भी नेता आम आदमी पार्टी के अंदर हैं वो सभी ही अरविंद केजरीवाल की भाषा ही बोलते नजर आते हैं चाहे वो मनीष सिसोदिया हो, चाहे वो संजय सिंह हो या आशुतोष.

हालाँकि, कुमार विश्वास कई मौकों पर पार्टी लाइन से अलग राय रखते दिख जाते हैं, और उनकी लोकप्रियता भी केजरीवाल से कम नहीं है, और शायद राज्य सभा कुमार विश्वास के लोकप्रियता को और बढ़ाने का भी काम करे. यही बात कुमार विश्वास के लिए आम आदमी पार्टी के अंदर संकट पैदा करती है. केजरीवाल अपने यस मैन की टीम में विरोधी विश्वास के लिए जगह नहीं रखना चाहते और यह बात आम आदमी पार्टी के अंदर हालिया गतिविधियां से सहज ही समझी जा सकती है. वैसे कहने के लिए तो कुमार विश्वास अभी भी आम आदमी पार्टी के सदस्य हैं मगर बहुत दिनों तक रह पाएंगे यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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