भगवान राम बस अयोध्या की किस्मत बदलने ही वाले हैं!
भगवान राम (Lord Ram) का शहर अयोध्या (Ayodhya) हिंदू धर्म का केन्द्र बनने जा रहा है. अगले 2 से 3 सालों में अयोध्या कितना बदल जाने वाला है यह देखना वाकई दिलचस्प होगा. राम मंदिर (Ram Masjid) का मन मोह लेने वाला माडल देख कर सभी जानने को उत्सुक हैं कि भगवान राम का मंदिर कैसा और कितना अनोखा होगा.
-
Total Shares
जब भी धार्मिक शहरों का ज़िक्र होता है तो उनमें भगवान श्री राम (Lord Ram) की नगरी यानी अयोध्या (Ayodhya) का ज़िक्र ज़रूर होता है. उत्तर प्रदेश राज्य (Uttar Pradesh) का एक अति-प्राचीन धार्मिक शहर अयोध्या पवित्र नदी 'सरयू' के तट पर बसा हुआ है. यह शहर सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही नहीं बल्कि बौद्ध, इस्लाम और खासकर जैन धर्म के लिए भी विशेषकर है. जैन मत के अनुसार 24 तीर्थकरों में से पांच तीर्थकरों का जन्म यहीं हुआ था. वेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर भी कहा गया है, कहा यह भी जाता है कि अयोध्या की स्थापना राजा मनु ने की थी. अयोध्या पहले एक क्षेत्र हुआ करता था और यह प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) से सटे फैज़ाबाद जिले में आता था लेकिन सन 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने फैज़ाबाद जिले का नाम ही अयोध्या कर दिया, अब अयोध्या एक जिले के रूप में अपनी पहचान रखता है. और अब यह शहर अपने आप में बेहद खास हो गया है. भगवान राम का मंदिर (Ram Temple) बनने के बाद यह शहर पूरे विश्व में धार्मिक शहर के रूप में जाना और पहचाना जाएगा.
माना जा रहा है कि राम मंदिर बनने के बाद अयोध्या की सूरत बदल जाएगी
अयोध्या को अयोध्या बनने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी है. बहुत गहरा इतिहास जुड़ा हुआ है अयोध्या से. आज जब अयोध्या के तमाम विवाद हल हो गए हैं और भगवान राम का सबसे बड़ा मंदिर बनने जा रहा है तो इसके इतिहास को याद कर लेना बेहद ज़रूरी हो जाता है. अयोध्या का इतिहास बहुत पुराना है और विवादों से भरा हुआ है. वजह थी दो प्रमुख धर्मों की आस्था.
सन 1853 में यहां हिन्दू और मुसलमानों के बीच पहली बार हिंसा हुई. कारण सभी जानते हैं कि विवाद एक भूमि को लेकर था. जिस पर दोनों ही धर्म के लोग अपना अपना दावा कर रहे थे. मंदिर-मस्जिद का यह झगड़ा अयोध्या से निकलकर पूरे देश में फैल गया, चिंतित ब्रिटीश सरकार ने एक बीच का रास्ता निकालते हुए विवादित जगह को आन्तरिक और बाहरी हिस्सों में बांट दिया था.
मामला शांत होने के बजाय धीरे धीरे बढ़ता गया और भारत की आज़ादी के बाद मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया. इस भूमि पर कई संगठनो ने अपने अपने दावे ठोके. देश के कई शहरों में साम्प्रादायिक दंगे हुए. कई जानें गई कई गिरफ्तारियां भी हुई. मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा और फिर वहां से सुप्रीम कोर्ट तक आया जहां रोज़ाना सुनवाई करने के बाद अदालत ने फैसला सुनाते हुए विवादित भूमि को रामलला को सौंप दिया और साथ ही मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ ज़मीन की व्यवस्था करने का फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुप्रीम साबित हुआ. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ही मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया. वही ट्रस्ट अब मंदिर का निर्माण करवाने जा रहा है जिसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भूमिपूजन के बाद होने जा रही है. अयोध्या विवाद ने भले ही देश का माहौल गर्म किया हो पर इसके उलट एक तस्वीर अयोध्या में देखने को मिला करती थी.
इस विवाद के मुकदमे की पैरवी कर रहे दिगंबर अखाड़े के महंत रामचन्द्र परमहंस और सामान्य दर्जी हाशिम अंसारी एक दूसरे के खिलाफ इस मुकदमे की आजीवन पैरवी करते रहे लेकिन अदालती कागजों के अलावा उनकी ये दुश्मनी कभी ज़मीन पर नहीं दिखी. अयोध्या के लोग बताते हैं कि दोनों के बीच इतनी गहरी दोस्ती थी कि दोनों एक ही रिक्शे पर बैठकर अदालत में मुकदमा लड़ने जाते थे.
हालांकि दोनो ही लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही दुनिया छोड़ चुके थे. महंत की मृत्यु 2003 तो हाशिम की मृत्यु 2016 में हो गई थी. राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है सभी देशवासी जानने को इच्छुक हैं कि राममंदिर कैसा होगा और कितना भव्य होगा?
राम मंदिर अपने आप में ही बेहद खास होगा. सन 1989 में ही आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा ने अयोध्या में राममंदिर का प्रस्तावित माडल तैयार कर दिया था. उसी माडल पर मंदिर का निर्माण होने जा रहा है. हालांकि इसकी ऊंचाई और कुछ जगहों पर बदलाव करके ट्रस्ट ने नया माडल भूमिपूजन से पहले ही जारी कर दिया है, जो बेहद आकर्षक और मनमोह लेने वाला है. मंदिर में भगवान राम की एक बहुत बड़ी मूर्ति और राम दरबार होगा.
सबसे खास बात यह है कि इसमें लोहे और सिमेंट का इस्तेमाल नही होगा. यह पूरी तरह पत्थर का बना होगा. खजुराहो का मंदिर व विश्व प्रसिद्ध उड़ीसा का कोणार्क मंदिर भी इसी तरह का बना हुआ है. राम मंदिर के बनने से पूरी अयोध्या की किस्मत बदल जाने वाली है. भारत के सबसे प्रमुख तीर्थस्थल में से एक होने वाला राममंदिर तमाम विवादों के बाद बनने जा रहा है, इसलिए इस मंदिर के दर्शन के लिए देश के तमाम हिस्सों से तो लोग आएंगे ही साथ ही विदेश से भी भगवान राम के भक्तों के आने का तांता लगने वाला है.
अगर कोरोना वायरस जैसी महामारी न होती तो भूमिपूजन में ही पूरे अयोध्या में कदम रखने की जगह न होती. अयोध्या में राम मंदिर की अहमियत को देखते हुए वहां के विकास पर भी खासा ध्यान रखा जा रहा है. राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों ही अयोध्या को वैश्विक पहचान दिलाने को बेताब हैं.
अभी तक जिन कार्यों का ऐलान हुआ है उनमें अयोध्या में एक अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट, आधुनिक बस अडडा, रिगं रोड, 84 परिक्रमा मार्ग का फोरलेन निर्माण, रामायण डिजिटल म्यूज़ियम, अयोध्या-कोलकाता क्रूज का संचालन और सरयू नदी के तट पर 251 मीटर की भगवान श्री राम की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ती शामिल है. यह सभी कार्य राममंदिर के निर्माण से पहले पूरा कर लेने की योजना है.
राम मंदिर को भी 2023 के आखिर तक तैयार कर लेने की योजना है. यानी अगले 2 से 3 सालों में अयोध्या की तकदीर संवरने वाली है. भगवान राम का यह शहर पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने को तैयार है.
ये भी पढ़ें
प्रियंका के जरिये भगवान राम को कैश कर यूथ कांग्रेस ने 'आपदा में अवसर' तलाश लिया है!
राम मंदिर आंदोलन की राजनीतिक पूर्णाहुति के बाद BJP के पिटारे में और क्या बचा है?
उमा भारती अयोध्या तो जाएंगी लेकिन पीएम मोदी से दूरी का मकसद कुछ और है
आपकी राय