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Updated: 05 जुलाई, 2018 07:30 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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बात दो 2016 की है उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले थे. उत्तर प्रदेश के लोग सपा सरकार की कार्यप्रणाली से खासे नाखुश थे. चुनाव हुए, परिणाम आए. सूबे में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुए. योगी को सत्ता संभाले साल भर से ऊपर का वक़्त हो गया है. मगर जो उनकी कार्यप्रणाली है कहना गलत नहीं है कि राज्य में मूल मुद्दों पर कोई काम नहीं हो रहा और सरकार उन कामों में लिप्त है जिसका फायदा शायद ही प्रदेश वासियों को मिले.

ताजा मामला मदरसों का है. प्रदेश में मदरसे एक बार फिर चर्चा में हैं. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मदरसों को लेकर एक नया फैसला लिया है. योगी सरकार के इस फैसले पर अगर गौर करें तो मिल रहा है कि अब यूपी के मदरसों में भी स्कूलों के अनुरूप ही ड्रेस कोड होगा. अब उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे कुर्ते-पैजामे की जगह पैंट-शर्ट पहनेंगे.

मदरसा, योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश, मुस्लिम, शिक्षा   कहना गलत नहीं है उत्तर प्रदेश में सरकार उस उद्देश्य को नहीं पूरा कर पा रही जिसके लिए उसे चुना गया था

इस मुद्दे पर तर्क देते हुए उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मोहसिन रजा का तर्क है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे अब जल्द ही कुर्ते-पैजामे की जगह फॉर्मल पैंट-शर्ट पहने हुए नजर आने वाले हैं. इस मामले पर रजा का कहना है इस फैसले के लिए जाने से पहले तक, मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे उंचे कुर्ते-पैजामे पहनकर आते थे. ऐसे बच्चों को देखकर कोई भी इस बात का अंदाजा आसानी से लगा सकता था कि ये एक 'धर्म विशेष' के बच्चे हैं. वक़्त की जरूरत यही है कि इसे जल्द से जल्द खत्म किया जाए. मोहसिन का मानना है कि मदरसों के बच्चे भी स्कूल के बच्चों की तरह पैंट-शर्ट या किसी अन्य नए ड्रेस कोड में नजर आएंगे और इसे लेकर सरकार जल्द ही फैसला लेगी.

इस मामले पर और बात करते हुए मोहसिन रजा का तर्क है कि सरकार इस विषय को लेकर गंभीर है और चाहती है कि लगातार हीन भावना का शिकार हो रहे "धर्म विशेष" के लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाए जिससे वो भी विकास में अपना योगदान दे सकें. ज्ञात हो कि पूर्व में योगी सरकार मदरसों के पाठ्यक्रम को बदल चुकी है. सूबे के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें को अनिवार्य कर उन्हें ताकीद की गई कि वो पाठ्यक्रम में गणित हिंदी और इंग्लिश को भी शामिल करें.

अभी ये फैसला लेना बाक़ी है मगर विपक्ष के अलावा आम लोगों ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. बाबरी मस्जिद एक्शन समिति के संयोजक जफरयाब जिलानी सरकार के इस फैसले से बहुत नाराज हैं. फैसले पर जिलानी का तर्क है कि इस फैसले के बाद समाज का सांप्रदायिक विभाजन बढ़ जाएगा. जिलानी का ये भी मानना है कि ऐसे फैसले लेकर सरकार और कुछ नहीं बस अपनी असफलताओं को छुपाने का काम कर रही हैं.

मदरसा, योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश, मुस्लिम, शिक्षा   कहीं न कहीं मोहसिन रजा ये भी सिद्ध कर रहे हैं उनकी सरकार के लिए हिन्दू मुस्लिम कार्ड ही महत्वपूर्ण है

हो सकता है कि पहली नजर में किसी को ये एक अच्छी खबर लगे और व्यक्ति कहे कि ये सरकार का एक स्वागत योग्य फैसला है. मगर जब हम इस फैसले के मद्देनजर जिलानी की बात का अवलोकन करते हैं तो मिलता है कि कहीं न कहीं उनकी बात सही है. जिस राज्य में तमाम दावों के बावजूद आज भी अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा हो. जहां के मरीज सिर्फ इसलिए मर रहे हों क्योंकि उन्हें सही इलाज नहीं मिल पा रहा. जहां का युवा रोजगार को लेकर पलायन पर मजबूर हो अगर वहां सरकार इन मुद्दों को छोड़ एक ऐसे मुद्दे पर माथा पच्ची करे जिसका कोई औचित्य नहीं है तो फिर वही कहा जाएगा जो जिलानी ने कहा कि ऐसा करके सरकार अपनी असफलताओं को ढकने का काम कर रही है.

गौरतलब है कि जिस दिन से योगी ने सत्ता संभाली है कम ही ऐसी चीजें हैं जिनके दम पर उनकी तारीफ की जाए. योगी के आने से पहले तक सूबे की जनता को विश्वास था कि भाजपा जिस किसी को भी प्रदेश का भार सौंपेगी वो सब का साथ सब का विकास के नारे पर काम करेगा. मगर जिस दिन से योगी आए हैं स्थिति वही ढाक के तीन पात जैसी बनी हुई है और वो हिन्दू मुस्लिम से ऊपर उठकर सोच ही नहीं पा रहे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी को याद रखना होगा कि पिछली सरकार को सूबे की जनता ने इसलिए नहीं खारिज किया कि नई सरकार आए और मदरसे के बच्चों के कपड़े बदले बल्कि इसलिए खारिज किया था कि वो उन्हें वो मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पा रही थी जो उसे मिलनी चाहिए थीं. अंत में बस इतना ही कि योगी और उनके मंत्री इन चीजों से बाहर निकलें और उन मुद्दों पर काम करें जिससे वाकई जनता का जीवन प्रभावित होगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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