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Updated: 04 फरवरी, 2020 08:34 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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सोमवार को पाकिस्तान से 100 हिंदू परिवार (100 Pakistan Hindu families) अटारी-वाघा बॉर्डर (Attari-Wagah border) के जरिए भारत में आए हैं. इनमें से अधिकतर का कहना है कि पाकिस्तान में उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ती है और वह वापस नहीं जाना चाहते. तो क्या इनका इरादा भारत में ही बस जाने का है? वैसे नागरिकता कानून (CAA) तो बनाया ही इसीलिए गया है ताकि पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और अफगानिस्तान (Afghanistan) में धार्मिक उत्पीड़न (Persecution) झेल रहे अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जा सके. वैसे ये लोग 25 दिन का वीजा लेकर हरिद्वार घूमने आए हैं, लेकिन इनमें से एक शख्स ने कहा कि गंगा में डुबकी लगाने के बाद सोचेगा कि आगे उसे क्या करना है. उसने कहा है कि वह भारत में ही रहना चाहता है. नागरिकता कानून को लेकर चल रही राजनीति के बीच अब इस पर भी राजनीति शुरू हो गई है. अकाली दल के नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने सभी को वाघा बॉर्डर पर रिसीव किया और दावा किया कि इन लोगों पर पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न होता है. उन्होंने ये भी कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मिलकर उन्हें नागरिकता देने की अपील करेंगे.

100 Pakistan Hindu families cross Attari-Wagah borderपाकिस्तान से आए इन 100 परिवारों में से बहुत से लोग वापस नहीं जाना चाहते.

लेकिन भारतीय नागरिकता मिलना इतना भी आसान नहीं !

भले ही पाकिस्तान के हिंदू परिवारों ने ऐसी मंशा जताई है कि वह भारत में ही रहना चाहते हैं और सिरसा ने भी उन्हें भारतीय नागरिकता देने की वकालत की है, लेकिन ये सब इतना भी आसान नहीं. भारतीय नागरिकता पाने के लिए कम से कम 6 साल भारत में बिताने जरूरी हैं. यानी अगर इन लोगों को भारतीय की नागरिकता देने पर विचार होता भी है तो पहले 6 सालों तक वह शरणार्थी की तरह या अपना वीजा बढ़वा-बढ़वा कर भारत में रहेंगे और 6 साल बाद उन्हें नागरिकता मिलेगी. बता दें कि अब तक ये सीमा 11 साल थी, जिसे अब नागरिकता संशोधन कानून के तहत घटाकर 6 साल कर दिया गया है.

पाकिस्तान में कितने हिंदू?

2015 में आई पियू की रिसर्च के अनुसार पाकिस्तान में वहां की कुल आबादी के करीब 2 फीसदी हिंदू हैं यानी इनकी संख्या करीब 56 लाख के करीब है. वहीं पाकिस्तान हिंदू काउंसिल की अक्टूबर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में लगभग 80 लाख हिंदू हैं. अब अगर पाकिस्तान हिंदू काउंसिल की रिपोर्ट के ही ले लें तो ये कहा जा सकता है कि कम से कम 80 लाख हिंदू तो पाकिस्तान से ही भारत आ सकते हैं और नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता पा सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या हमारा देश वाकई इतने सारे बाहरी लोगों को बसाने के लिए तैयार है? जबकि खुद भारत की आबादी काफी अधिक है और खुद पीएम मोदी ये कह चुके हैं कि हमें जनसंख्या विस्फोट को रोकना होगा. आबादी पर नियंत्रण करना होगा.

सोशल मीडिया पर शुरू हुई बहस

इधर नागरिकता संशोधन कानून पर हो रहे विरोधों के बोच पाकिस्तान से 200 हिंदू भारत आए हैं और अधिकतर ने यहां रुकने की इच्छी जताई है, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर बहस छिड़ गई है. अकाली दल के नेता सिरसा ने ये कह दिया है कि वह अमित शाह से इन्हें भारत की नागरिकता देने की गुहार लगाएंगे. इस पर सोशल मीडिया दो हिस्सों में बंट गया है. कुछ लोग इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं तो कुछ लोग इसके विरोध में खड़े हैं. कुछ इसे पाकिस्तान के सताए हिंदू भाइयों की मदद कह रहे हैं, तो कुछ ने सीधे-सीधे इसे भारत पर बोझ करार दिया है. आइए देखते हैं कुछ सोशल मीडिया रिएक्शन.

- एक यूजर ने लिखा है, यहां हम बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे हैं... इन सब का ख्याल रखने के बजाए भाजपा आबादी बढ़ा रही है. वाह ! और अगर इनमें से कोई आगे जाकर किसी आपराधिक एक्टिविटी में शामिल पाया गया, तो हमारे पास एक शानदार न्यायिक व्यवस्था है. पता नहीं आने वाले 4 सालों में क्या-क्या होगा...

- ट्विटर के ही एक अन्य यूजर ने कहा है कि ये तो सिर्फ शुरुआत है. सब इंडिया घूमने आएंगे और यहीं के होकर रह जाएंगे, फिर कहते रहना पॉपुलेशन बढ़ रही है... और करो सीएए को सपोर्ट.

- वहीं एक अन्य यूजर ने पाकिस्तान का एक वीडियो शेयर कर के ये दिखाने की कोशिश की है कि वहां पर क्या हो रहा है और लिखा है- अच्छा होगा कि उन्हें नागरिकता दी जाए, क्योंकि पाकिस्तान वाकई बहुत ही खराब देश है.

- वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस बहस में पड़ने के बजाए फैक्ट्स सामने रख रहे हैं. एक यूजर ने लिखा है कि क्या नागरिकता कानून पढ़ा भी है? भारत का नागरिकता पाने के लिए कम से कम 6 साल यहां रहना जरूरी है, यूं ही किसी को रातों-रात नागरिकता नहीं मिल जाएगी.

नागरिकता कानून बना राजनीतिक हथियार

भले ही नागरिकता कानून लागू होने के बावजूद उसके तहत किसी को अब तक नागरिकता नहीं दी जा सकी है, क्योंकि कई जगहों पर इसका विरोध हो रहा है. खासकर मुस्लिम समुदाय इस कानून के खिलाफ है, क्योंकि उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है. ऐसा ही एक विरोध 50 से भी अधिक दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहा है. ये विरोध तो सिर्फ मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता कानून के खिलाफ था, लेकिन सड़कें बंद रहने की वजह से अब स्थानीय लोग इस विरोध प्रदर्शन के ही विरोध में आ गए हैं. दिल्ली चुनाव को लेकर हुए टाइम्स नाउ-IPOS के ओपिनियन पोल की मानें तो दिल्ली की करीब 52 फीसदी जनता इस धरने के खिलाफ है, जबकि 25 फीसदी इसके समर्थन में हैं. 71 फीसदी लोग मानते हैं कि नागरिकता कानून का कदम केंद्र सरकार ने सही उठाया है. अब इस कानून को लेकर खूब राजनीति हो रही है और इसकी खिलाफ हो रहा शाहीन बाग का प्रदर्शन दिल्ली चुनाव में राजनीति को एक अलग ही दिशा में मोड़ने का काम करेगा.

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