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Hathras Gangrape case: हाथरस में यूपी पुलिस ने बेशर्मी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 30 सितम्बर, 2020 06:30 PM
  • 30 सितम्बर, 2020 06:30 PM
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Hathras Gangrape case: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हाथरस (Hathras) में चार लोगों द्वारा कथित रूप से सामूहिक बलात्कार (Gangrape) और हत्या का शिकार हुई 19 वर्षीय दलित महिला के शव के साथ जो कुछ भी यूपी पुलिस (UP Police) ने किया वो बेशर्मी की पराकाष्ठा है और इसकी कीमत सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को चुकानी होगी.

लॉ एंड आर्डर (Law And Order) के चलते एक बार फिर यूपी (P) और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सवालों के घेरे में हैं. कारण बना है हाथरस गैंगरेप (Hathras Gangrape) और उसके बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई, जिसे देखकर महसूस होता है कि सुशासन का स्वांग रचने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ और उनकी पुलिस तमाम जरूरी चीजों पर पर्दा डालकर अपने को बचाने का प्रयास कर रही है. बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में चार युवकों द्वारा कथित रूप से गैंगरेप और हत्या का शिकार हुई दलित युवती की मौत हो गई. मामला तूल न पकड़े इसलिए नियम कानूनों को दरकिनार कर देर रात ही लड़की के शव को 'अंतिम संस्कार' का नाम देकर जला दिया गया. पुलिस और प्रशासन द्वारा पीड़िता को इस तरह जलाए जाने से उसके परिवार में रोष है. पीड़िता के परिवार ने कहा है कि यूपी पुलिस ने मृत लड़की के शव को अंतिम बार घर वापस लाने के बार-बार अनुरोध के बावजूद उसका अंतिम संस्कार जबरन किया.

ध्यान रहे कि इस बात की पुष्टि स्वयं पुलिस ने की थी कि बीते दिन रात 10.10 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से पीड़िता के शव को निकाला गया. वहीं हाथरस गैंगरेप पीड़िता के पिता और भाई अस्पताल के बाहर विरोध में बैठे थे और दावा किया था कि पीड़िता की बॉडी को पुलिस द्वारा परिजनों की अनुमति के बिना ले जाया गया था.

हाथरस में गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद रोते बिलखते परिजन

मामला जब एक दलित युवती के गैंगरेप और मौत से जुड़ा हो तो मामले पर राजनीति का होना स्वाभाविक था. चूंकि परिवार अस्पताल के बाहर धरने पर बैठा था तो अलग अलग राजनीतिक दलों के नेताओं का लड़की के भाई और पिता के साथ धरने में बैठना स्वाभाविक था. चाहे वो कांग्रेस पार्टी के लोग रहे हों या फिर भीम आर्मी के मामले पर सियासत खूब हुई जो बदस्तूर जारी है....

लॉ एंड आर्डर (Law And Order) के चलते एक बार फिर यूपी (P) और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सवालों के घेरे में हैं. कारण बना है हाथरस गैंगरेप (Hathras Gangrape) और उसके बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई, जिसे देखकर महसूस होता है कि सुशासन का स्वांग रचने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ और उनकी पुलिस तमाम जरूरी चीजों पर पर्दा डालकर अपने को बचाने का प्रयास कर रही है. बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में चार युवकों द्वारा कथित रूप से गैंगरेप और हत्या का शिकार हुई दलित युवती की मौत हो गई. मामला तूल न पकड़े इसलिए नियम कानूनों को दरकिनार कर देर रात ही लड़की के शव को 'अंतिम संस्कार' का नाम देकर जला दिया गया. पुलिस और प्रशासन द्वारा पीड़िता को इस तरह जलाए जाने से उसके परिवार में रोष है. पीड़िता के परिवार ने कहा है कि यूपी पुलिस ने मृत लड़की के शव को अंतिम बार घर वापस लाने के बार-बार अनुरोध के बावजूद उसका अंतिम संस्कार जबरन किया.

ध्यान रहे कि इस बात की पुष्टि स्वयं पुलिस ने की थी कि बीते दिन रात 10.10 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से पीड़िता के शव को निकाला गया. वहीं हाथरस गैंगरेप पीड़िता के पिता और भाई अस्पताल के बाहर विरोध में बैठे थे और दावा किया था कि पीड़िता की बॉडी को पुलिस द्वारा परिजनों की अनुमति के बिना ले जाया गया था.

हाथरस में गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद रोते बिलखते परिजन

मामला जब एक दलित युवती के गैंगरेप और मौत से जुड़ा हो तो मामले पर राजनीति का होना स्वाभाविक था. चूंकि परिवार अस्पताल के बाहर धरने पर बैठा था तो अलग अलग राजनीतिक दलों के नेताओं का लड़की के भाई और पिता के साथ धरने में बैठना स्वाभाविक था. चाहे वो कांग्रेस पार्टी के लोग रहे हों या फिर भीम आर्मी के मामले पर सियासत खूब हुई जो बदस्तूर जारी है. मामले पर दिल्ली पुलिस का बयान आया है. दिल्ली पुलिस ने बाद में दावा किया कि परिवार धरने पर नहीं बैठा था. पुलिस का कहना है कि यह मुद्दा "विभिन्न समूहों द्वारा अपहृत" था.

पीड़िता के परिवार के बारे में बात करते हुए दिल्ली पुलिस ने ये भी कहा है कि "वे (पीड़िता का परिवार) जाना चाहते थे. अलग-अलग समूहों ने इस मुद्दे को हाईजैक करने की कोशिश की. बाद में परिवार को यकीन हो गया और वे हाथरस के एसडीएम और सर्किल ऑफिसर के साथ चले गए.

बात मामले को यूपी पुलिस द्वारा उलझाने और सच को छुपाने से शुरू हुई है. पुलिस ने मामले को कैसे छुपाने का प्रयास किया है गर जो इस बात को समझना हो तो हम इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री पांडे के ट्वीट देख सकते हैं. तनुश्री के ट्वीट इस बात की पुष्टि कर देते हैं कि मामले में बड़ा झोल किया गया है और पुलिस ने वो तमाम प्रयास किये हैं जिनके बाद इस मामले की आगे की जांच शायद ही कभी हो पाए.

मामला इंटरनेट पर सुर्खियां बटोर रहा है. #ShameOnYogi जैसे हैश टैग की शुरुआत हो गयी है और एक बड़ा वर्ग है जो इस बात को स्वीकार कर रहा है कि पुलिस की हनक दिखाकर इस तरह लड़की के शव का अंतिम संस्कार कर देना आने वाले वक़्त में सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को बड़ी तकलीफ देगा. वहीं एक वर्ग वो भी है जिसका मानना है कि पुलिस की मदद से योगी आदित्यनाथ ने अपनी नाकामी को छुपाने का प्रयास किया है.

घटना को ध्यान में रखकर मांग ये भी की जा रही है कि नारी सुरक्षा का स्वांग रचने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं और लड़कियों को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम हैं इसलिये उन्हें अपना इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.

मामले के मद्देनजर आलोचक सरकार पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगा रहे हैं.

 

लोगों का मानना है कि आज जो कुछ भी उत्तर प्रदेश में हुआ है इसका खामियाजा भाजपा और योगी आदित्यनाथ को आने वाले वक़्त में भुगतना होगा.

बहरहाल हाथरस में गैंगरप का शिकार युवती हमारे बीच नहीं है. मामले पर जैसा रुख पुलिस का रहा है उसने उत्तर प्रदेश में लॉ एंड आर्डर की कलई खोलकर रख दी है. अंत में हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि 22 के चुनाव में ज्यादा दिन नहीं है.

जिस जनता ने भाजपा और योगी आदित्यनाथ को सर आंखों बैठाया था, यदि हालात ऐसे ही रहे तो उसे नजरों से गिराने में जनता बिलकुल भी वक़्त नहीं लेगी. बाकि वो तमाम अधिकारी जिन्होंने आनन् फानन में लड़की का दाह संस्कार कराया जान लें कि जनता ने सब देख लिया है. हिसाब होगा और उसे खुद ईश्वर करेगा. ईश्वर की लाठी में आवाज नहीं होती है.

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