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Updated: 23 मई, 2015 12:44 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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सत्ता की सालगिरह मनाने के बाद प्रधानमंत्री फिर विदेश यात्रा पर जाने वाले हैं. माना जा रहा है कि इस बार यात्रा कुछ लंबी खिंच सकती है. यात्रा के एक पड़ाव में हफ्ते भर के लिए मोदी के खास दोस्त बराक भी हो सकते हैं, ऐसे संकेत मिले हैं.

प्रधानमंत्री मोदी की गैरमौजूदगी में प्रशासनिक कामकाज के लिए कुछ खास इंतजाम किए गए हैं. इसमें कुछ तकनीकी दिक्कतें आ रही थीं - लेकिन उसके लिए अरुण जेटली ने एक ऑर्डिनेंस तैयार कर दिया - और अब उसी के तहत प्रधानमंत्री के सारे फैसले लागू किए जा रहे हैं.
ताजा ऑर्डिनेंस के मुताबिक केंद्र की एनडीए सरकार में अब प्रधानमंत्री के दो पद होंगे - एक प्रधानमंत्री (देश) और दूसरा प्रधानमंत्री (विदेश). इनमें एक पद अस्थाई होगा. प्रधानमंत्री (विदेश) का पद खुद मोदी के पास सुरक्षित रहेगा.

ऑर्डिनेंस के मुताबिक ये व्यवस्था तभी लागू होगी जब मोदी मुल्क से बाहर होंगे - और उनके लौटते ही पुरानी व्यवस्था अपने आप लागू हो जाएगी. मोदी के भारत में न होने की स्थिति में प्रधानमंत्री (देश) के जिम्मे सारे डोमेस्टिक अफेयर्स के प्रभार होंगे.
अब समस्या ये आ रही थी कि प्रधानमंत्री (देश) किसे बनाया जाए? वरिष्ठ होने के नाते सीधे सीधे तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस पद की दावेदार थीं. मार्गदर्शक मंडल ने भी सुषमा के पक्ष में ही अपनी राय दी थी.

मीटिंग में अचानक सीनियर मिनिस्टर राजनाथ सिंह खड़े हुए और सुषमा स्वराज को बिहार चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव रख दिया. सुषमा कुछ बोलना चाह रहीं थी कि राजनाथ के प्रस्ताव को अरुण जेटली ने फौरन एनडोर्स कर दिया. तालियों की गड़गड़ाहट में सुषमा की बात कैसे गुम गई किसी को पता तक न चला. लालकृष्ण आडवाणी ने बीच में कुछ बोलने की कोशिश तो तालियां और जोर से बजने लगीं.

बताते हैं कि बिहार के लिए मुख्यमंत्री पद की रेस में सूबे के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी सबसे आगे थे लेकिन अपने टाइटल की वजह से वो छंट गए. सुशील मोदी के लिए गिरिराज सिंह तक ने लॉबिंग की थी, लेकिन उसका भी उन्हें कोई फायदा नहीं मिल सका.

सुषमा की उम्मीदवारी को लेकर जेटली ने कहा कि इस मामले में वो काफी अनुभवी नेता हैं. किसी भी सूरत में किरण बेदी से उनकी तुलना ठीक नहीं होगी. सुषमा जी के पास बतौर मुख्यमंत्री दिल्ली में चुनाव लड़ने का भी अनुभव है. इतना ही नहीं सुषमा जी जितने अधिकार के साथ हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और कन्नड़ बोलती हैं - उसी अधिकार के साथ वो भोजपुरी भी बोलती हैं - जो शायद कम लोगों को मालूम हो. जेटली ने कहा कि बिहार में लालू यादव के बढ़ते प्रभाव के दरम्यान बीजेपी के पास सुषमा स्वराज से बेहतर शायद ही कोई उम्मीदवार हो सकता था.

फिर राजनाथ सिंह ने एक नया प्रस्ताव रखा. ये प्रस्ताव स्मृति ईरानी को प्रधानमंत्री (देश) बनाए जाने को लेकर था. बगैर एक पल भी गंवाए जेटली ने इस प्रस्ताव को भी एनडोर्स कर दिया - और तालियों की गड़गड़ाहट एक बार फिर हुई. बाकियों के दिल पर तालियों की गूंज क्या अहसास छोड़ रही थीं, उनके चेहरे मूक प्रवक्ता बने हुए थे.
इसके बाद राजनाथ ने एक और प्रस्ताव रखा. ये था - हरसीमरत कौर बादल को स्मृति ईरानी की जगह नया मानव संसाधन विकास मंत्री बनाए जाने को लेकर. फिर फौरी एनडोर्समेंट और तालियों की गड़गड़ाहट. इस दौरान कानाफूसी इसी बात को लेकर हो रही थी कि दोनों महिलाओं को राहुल गांधी के खिलाफ मुहिम का इनाम दिया गया है.
आखिर में प्रधानमंत्री ने बताया कि आगे से हर विदेश यात्रा में साक्षी महाराज, साध्वी निरंजन ज्योति और गिरिराज सिंह उनके साथ होंगे. मोदी की इस घोषणा से मुरझाए हुए चेहरे भी कमल की तरह खिल उठे.

सबसे पहले उठकर स्मृति ईरानी और उसके बाद बारी बारी सभी लोगों ने आडवाणी के पैर छू कर आशीर्वाद लिए. आडवाणी जी की निगाहें सुषमा को खोज रही थीं तभी जेटली जी ने बताया कि वो पहले ही निकल गई थीं - उन्हें पैकिंग जो करनी थी.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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