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Updated: 05 मई, 2015 05:08 AM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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तय समय पर क्लाइंट को स्टूडियो पहुंचते देख बाबा बड़े खुश हुए. हालांकि, योग स्टूडियो में हमेशा की तरह बाबा पहले से मौजूद थे. ऐसा शायद ही कभी हुआ हो जब बाबा बाद में स्टूडियो में दाखिल हुए हों. सबसे पहले बाबा ने कपालभाति के बारे में ब्रीफ किया. फिर डेमो दिखाया. क्लाइंट ने कोशिश की लेकिन नाकाम रहा. बाबा ने दो तीन बार और सिखाने की कोशिश की लेकिन मामला आगे न बढ़ सका. फिर बाबा को बात समझ में आ गई. कपालभाति तो बहाना है. महोदय सीखने के बहाने चुनाव में टिकट का जुगाड़ करने में लगे हैं. दरअसल, क्लाइंट कपालभाति को खास तवज्जो न देते हुए बिहार चुनाव के लिए टिकट में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहा था.

खैर, बाबा के दरबार से खाली हाथ लौटा कौन है भला? बाबा बोले, 'वत्स, निराश न हो. मैं काफी दिनों से सियासी बीमारियों के लिए दवा बनाने में जुटा हुआ था. ये तो आचार्य जी की महिमा है कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट को भी अंजाम तक पहुंचाया.'

बाबा ने क्लाइंट को नई दवाओं की एक लंबी लिस्ट दी जिनमें 10 दवाएं खासतौर पर सियासी मामलों के लिए बनाई गई थीं - और जरूरत के हिसाब से कभी भी ऑर्डर दिए जा सकते थे.

1. यशोवर्धन घन बटी : जैसा कि नाम से ही जाहिर है इस बटी के सेवन से हर काम में यश मिलता है और चारों ओर कीर्ति फैलती है. इसके इस्तेमाल में सावधानी ये बरतनी होती है कि भूल से भी अपने हाथ से इसे किसी को नहीं देना है. इसे चांदी के गिलास में पानी के साथ लेना है. ध्यान रहे मन में ये बात जरूर रहनी चाहिए कि गिलास न आधा भरा है न आधा खाली है, बल्कि आधा हवा है और आधा पानी है.

2. भक्त वर्धिनी बटी : ये बड़ी ही असरदार बटी है. ट्रायल में पाया गया कि हफ्ते भर के भीतर ही इसका सेवन करने वाले के ट्विटर पर हजार गुणा फॉलोवर बढ़ गए. बटी के इस्तेमाल का तरीका थोड़ा कठिन है लेकिन ध्यान से किया जाए तो मुश्किल नहीं होगी. इसके लिए पहले पानी को इतना उबालना होता है कि उसका हजारवां हिस्सा रह जाए. उसके बाद उसमें चार गोली मिलाकर 108 बार मिलाना होता है. फिर एक झटके में निकल जाना है. ठीक से इस्तेमाल न होने पर नतीजों पर फर्क पड़ सकता है.

3. मिलियन लाइक बीज : इस दवा का भी कार्यक्षेत्र सोशल मीडिया ही है. इसका एक हफ्ते का कोर्स है. इसमें सावधानी सिर्फ इतनी बरतनी है कि किसी को इस बात की भनक नहीं लगनी चाहिए. इसे दही में मिला कर लेना होता अधिका फायदेमंद होता है.

4. चुनाव जीतक मंडूर : इसके लगातार सेवन से कोई भी चुनाव आसानी से जीता जा सकता है. नेता के साथ साथ कार्यकर्ताओं को भी इसका सेवन जरूरी है. इसे गर्म पानी से लेना होता है. इसके साथ कुछ परहेज भी जरूरी होते हैं. विशेष मंत्रणा के लिए आचार्यश्री से संपर्क करने की सलाह दी जाती है.

5. प्रतिद्वंद्वी परास्त भस्म : शहद के साथ लेने पर विशेष फायदा होता है. इसे किसी भी सीजन में उपयोग किया जा सकता है. विरोधी खेमे को मात देने के लिए इसे सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद लेना ठीक रहता है.

6. अरिव्याधि वर्धक चूर्ण : सियासी विरोधियों को शिकस्त देने में ये चूर्ण भी काफी कारगर है. खास बात ये है कि इसे सिर्फ विरोधी की रिहाईश के इर्द-गिर्द छिड़कना होता है. चूर्ण छिड़कने का समय आधी रात और ब्रह्म मुहुर्त के बीच होना चाहिए.

7. मीडिया कवरेज आसव : ये दवा उसके लिए है जिसे आसानी से मीडिया कवरेज नहीं मिल पा रही हो. इसे खाने पीने की चीजों में मिलाकर मीडियावालों को परोसना होता है. दो से तीन बार के इस्तेमाल से ही चमत्कारिक नतीजे देखने को मिल सकते हैं.

8. कंट्रोवर्सी बाधक क्वाथ : राजनीति में विवाद चर्चा में बनाए रखने के लिए अच्छे तो होते हैं, पर कई बार घातक साबित होते हैं. इस क्वाथ के नियमित सेवन से विवादों से शीघ्र छुटकारा मिल जाता है. विवाद से उबर जाने के बाद भी दवा का सेवन आवश्यक है, ताकि बीमारी के दोबारा हमले से बचा जा सके.

9. बयानभेदी भैरव रस : ये बड़ा ही प्रभावी और अनोखा रस है. हिदायत ये है कि कोई भी राजनीतिक बयान देने से एक घंटे पहले इसका सेवन करना होता है. इसके बाद बयान देने पर इसके कल्पनातीत नतीजे आते हैं. पता चला है कि साध्वी प्राची, साक्षी महाराज और गिरिराज सिंह जैसे दिग्गज इसका नियमित रूप से सेवन करते रहे हैं.

10. डैमेज कंट्रोल गुग्गुल : ये भी स्वनामधन्य दवा है. अगर किसी ने कोई ऐसा बयान दे दिया है जिससे बवाल मच गया हो तो उसे 48 घंटे के भीतर इसकी सात खुराक लेनी होती है. फिर बॉस के साथ मीटिंग के वक्त चाय में मिला देना होता है. अगर चाय के सारे कप में दवा मिला दी जाए तो बेहद मुफीद होगा.

बाबा ने बताया कि इन सारी दवाइयों का फील्ड टेस्ट हो चुका है. बाबा और आचार्य बालकृष्ण की हाल की नेपाल यात्रा के एजेंडे में ये दवाएं भी शामिल थीं, लेकिन भीषण भूकंप ने उस पर मिट्टी फेर दिया. आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक इन दवाओं का महाराष्ट्र, हरियाणा, और झारखंड में सफलतापूर्वक टेस्ट किया जा चुका है. जम्मू कश्मीर के लिए भी बड़ा ऑर्डर मिला था लेकिन पूरी सप्लाई नहीं हो सकी थी. बिहार चुनाव के लिए भी लंबे चौड़े ऑर्डर मिले हैं. कई क्लाइंट ने तो एडवांस भी दे रखा है. इतना ही नहीं अमेरिका से भी सैंपल मंगाया गया था, लेकिन हिलेरी की टीम के दो सदस्यों ने अपनी राय नहीं दी है - इसलिए मामला अटका हुआ है.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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