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Updated: 26 मार्च, 2018 01:24 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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हिंदुस्तान में अगर IAS और IPS परीक्षा से भी ज्यादा कठिन कुछ समझा जाता है तो वो बोर्ड एग्जाम को. ये बात परीक्षा देने वाले बच्चे भी बहुत अच्छे से समझ जाएंगे और उनके माता-पिता भी. एक तरफ तो घरवाले परेशान करने लगते हैं, दूसरी तरफ रिश्तेदार और मोहल्ले वाले आ-आकर याद दिलाते रहते हैं कि बेटा इस साल बोर्ड एग्जाम है तुम्हारा. बोर्ड परीक्षा के समय स्टूडेंट्स को 7 अलग-अलग तरह के प्रेशर झेलने पड़ते हैं. जैसे..

1. आखिरी वक्त में पूरा चैप्टर खत्म करने का प्रेशर..

पेपर शुरू होने में आधा घंटा रह गया है, सभी एग्जाम हॉल के बाहर आकर खड़े हो गए हैं अब हम क्या करें? क्या रिवाइज करें और क्या छोड़ दें. उफ्फ इतना कम समय क्यों बचा है? ये सभी सवाल और रिवीजन करने का समय सबसे अहम प्रेशर है.

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2. वर्ल्ड कप मिस करने का प्रेशर..

वर्ल्ड कप चल रहा है और स्टेट बोर्ड वालों की परीक्षा का समय हो गया है. जी हां, ये कम से कम हमने तो अपने बचपन में खूब देखा है. इंडिया-ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप के दौरान जिन बच्चों का बोर्ड था उनमें से मैं भी एक हूं. यकीन करिए पढ़ाई और टीवी के बीच क्या चुना जाए ये एक अहम सवाल होता है.

3. बत्ती गुल पर पढ़ाई करने का प्रेशर...

ये उन सभी लोगों को याद होगा जो हमेशा आखिरी वक्त के लिए कोई चैप्टर छोड़ा था और उसे पढ़ते समय बत्ती गुल हो गई. घासलेट से चलने वाले दिए, मोमबत्ती और इमर्जेंसी लाइट की रौशनी में जिन लोगों ने पढ़ाई की है वो इस प्रेशर को अच्छे से समझ पाएंगे.

4. एग्जाम के फर्रे बनाने का प्रेशर...

सभी स्टूडेंट्स को नहीं लेकिन कई को ये प्रेशर होता है. कैसे रखे जाएं फर्रे (छोटी पर्चियां) जिनपर उत्तर लिखा हो और एग्जाम के समय पकड़े भी न जाएं. इसीलिए तो हाथ, पैर, मोजे, स्केल, पेंसिल बॉक्स में पर्चियां छुपाई जाती हैं. हां, बिहार में ये थोड़ा एड्वांस लेवल पर होता है!

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5. सप्लिमेंट्री कॉपी का प्रेशर..

अरे मेरा पूरा पेपर सिर्फ 1 ही कॉपी में खत्म हो गया और मेरे दोस्त ने 2 सप्लिमेंट्री कॉपी ले ली. हे राम! जरूर मैं कुछ भूल गया. अब क्या होगा? मेरे नंबर उससे कम आ जाएंगे? मैंने क्या किया? पढ़ा तो पूरा था... और भी न जाने कितने सवाल और उनके जवाब स्टूडेंट्स परीक्षा के बीच ही सोच लेते हैं. ये प्रेशर बढ़ने का एक अहम कारण भी है.

6. वो आखिरी 15 मिनट का प्रेशर...

एग्जाम खत्म होने के पहले जो आखिरी 15 मिनट की बेल बजती थी. वो दहशत शायद किसी हॉरर फिल्म को देखकर भी नहीं होती थी. वो दहशत मम्मी की चप्पल की भी नहीं होती थी. अगर इसपर 10 नंबर वाला एक उत्तर बचा हो तब तो सोने पर सुहागा.. कोई नापता नहीं, लेकिन अधिकतर बच्चों का बीपी इसी समय सबसे लो निकलेगा.

7. गर्मियों के पसीने का प्रेशर..

ये वो समस्या है जो बोर्ड एग्जाम देने वाले हर उस बच्चे ने झेली है जिसे पसीना ज्यादा आता है. आंसर शीट लगभग गीली हो जाती है. ऐसे में 3 घंटे लिखना और बार-बार पेन और हाथ को रुमाल से पोछना बड़ा मेहनत का काम है. ये भी एक अलग तरह का प्रेशर ही है.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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