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Updated: 14 जून, 2021 03:43 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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फिल्म इंडस्ट्री के लोकप्रिय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत (Sushant Singh Rajput Case) की आज पहली बरसी है. पिछले साल 14 जून को मुंबई स्थित उनके घर में रहस्यमयी हालत में उनका शव जब बरामद हुआ, तो हर तरफ सनसनी फैल गई. किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि बॉलीवुड का एक चमकता हुआ सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया है. इस मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस ने बताया कि सुशांत ने आत्महत्या की है. लेकिन कई ऐसे सबूत थे, जो हत्या की तरफ इशारा कर रहे थे.

फैंस और परिजनों की भारी मांग पर केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई. उसके बाद ईडी और एनसीबी भी इस केस में शामिल हुई. लेकिन नतीजा ढ़ाक के तीन पात निकला. आज तक इस केस में इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका कि अभिनेता ने आत्महत्या की थी या हत्या हुई थी. हां, इस दौरान हुए हंगामे में बहुत ने लोगों ने खोया, तो बहुतों ने पाया भी. आइए जानते हैं कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद किसने क्या खोया और किसने क्या पाया?

650_061421013244.jpgदेश की सबसे बड़ी जांच एजेंसियां CBI, ED और NCB सुशांत का केस सॉल्व करने में लगी हैं.

किसने क्या खोया...

-: बॉलीवुड ने बेहतरीन अभिनेता

सुशांत सिंह राजपूत एक बेहतरीन अभिनेता थे. टीवी सीरियल 'पवित्र रिश्ता' से शुरु हुआ उनका अभिनय सफर फिल्म 'दिल बेचारा' पर खत्म हुआ. इस दौरान 'काई पो चे', पीके, केदारनाथ, एमएस धोनी बायोपिक और छिछोरे जैसी फिल्मों में दमदार अदाकारी की बदौलत उन्होंने इंडस्ट्री के साथ ही फैंस का दिल भी जीत लिया. इतनी कम फिल्मों के बावजूद उनकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी. यही वजह है कि उनकी फिल्मों का बिजनेस भी बेहतर होता गया. सुशांत ने अपने करियर में महज 9 फिल्‍में ही की थीं, क्योंकि वो काफी चूजी थे. इन 9 फिल्‍मों में उनकी दो फिल्‍में 'छिछोरे' और 'धोनी' 100 करोड़ क्‍लब से ऊपर की थीं. 'पीके' 300 करोड़ क्‍लब में शामिल थी. सुशांत की मौत के बाद करीब 10 फिल्म प्रोजेक्ट्स को होल्ड करना पड़ा. उनकी इन अपकमिंग फिल्‍मों की रिप्‍लेसमेंट अब तक नहीं मिली है. यदि सुशांत जीवित होते तो बॉलीवुड में फिल्मों के बिजनेस के लिहाज से एक प्रमुख फैक्टर साबित होते. कई प्रमुख ट्रेड एनालिस्टों का मानना है कि सुशांत के जाने से एक खाली जगह तो बनी है.

-: बुजुर्ग बाप ने बुढ़ापे का सहारा

सुशांत सिंह राजपूत की मौत से 18 साल पहले यानि साल 2002 में उनकी मां उषा सिंह का निधन हो गया था. उनकी मां के जाने के बाद उनके परिवार में पिता कृष्ण कुमार सिंह और पांच बहनें बचीं. उसमें से भी एक बहन की मौत 22 साल की उम्र में हो गई. बाकी चार बहनों की शादी हो चुकी है. सुशांत के पिता एक सरकारी अफसर रहे हैं. रिटायरमेंट के बाद वो बिहार की राजधानी पटना में स्थित घर में अकेले रहते हैं. अपने इकलौते बेटे के निधन के बाद बुजुर्ग पिता बुरी तरह से टूट चुके हैं. सुशांत तो उनके बुढ़ापे का एकमात्र सहारा था, बॉलीवुड का चमकता सितारा था, पिता को आस थी कि बेटा उनकी मौत के बाद अर्थी को कंधा देगा. लेकिन उनको क्या पता कि उनकी आंखों के सामने ही उनके बेटे की मौत हो जाएगी और उसे उनको कंधा देना पड़ेगा. सुशांत की मौत ने उनकी बहनों को भी बुरी तरह से तोड़कर रख दिया है.

-: फैंस ने अपना चमकता सितारा

वैसे तो फिल्मी सितारों को चाहने वालों की कमी नहीं होती है, लेकिन बहुत कम समय में लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने वाले एक्टर बहुत कम है. इस फेहरिस्त में सुशांत सिंह राजपूत का नाम सबसे प्रमुख है. उनकी मौत के बाद पूरे देश में जिस तरह उनके लिए इंसाफ की मांग उठी. सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक उनके बारे में बात की गई, उससे साफ पता चलता है कि सुशांत कितने ज्यादा लोकप्रिय थे. सबसे बड़ी बात ये कि अक्सर लोग किसी की घटना के चंद दिनों बाद ही भूल जाते हैं, लेकिन सुशांत के केस में ऐसा नहीं हुआ. उनकी मौत के एक साल बाद भी उनके साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर कोई ऐसा दिन नहीं होगा जिस दिन सुशांत के लिए इंसाफ की मांग ट्रेंड न कर रही हो. अपने प्रिय अभिनेता की बरसी पर आज भी लोग उसी शिद्दत से उनको याद करके श्रद्धाजंलि दे रहे हैं.

-: मूवी मठाधीशों ने अपनी साख

कहते हैं आजादी पाने के लिए कुछ लोगों को अपने जीवन की आहूति भी देनी पड़ती है. सुशांत सिंह राजपूत को भी शहीद कहा जाना चाहिए. क्योंकि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को मूवी माफियाओं और मठाधीशों से आजादी दिलाई है. लोगों को उनके खिलाफ बोलने के लिए प्रेरित किया है. यही वजह है कि सज्जनता का नकाब ओड़े कई फिल्म मेकर्स जब बेनकाब हुए तो उनकी रातों की नींद उड़ गई. वरना लोग उनको भगवान समझते थे. ये मठाधीश अपनी गद्दी सलामत रखने के लिए हमेशा किसी न किसी की बलि लेते रहते थे, लेकिन सुशांत के केस में उनका दांव उल्टा पड़ा और उनके चेहरे से जब पर्दा हटा, तो लोग भी सन्न रह गए. इन मूवी मठाधीशों की साख को अब ऐसा बट्टा लगा है कि बरसों की मेहनत और करोड़ों खर्च करने के बाद भी इनकी इमेज पॉजीटिव नहीं हो पाएगी. इसलिए अब वो सतर्क और सावधान हैं.

sushantsinghrajputfa_061421013706.jpgबेटे की मौत से गमजदा और बीमार बाप को खुश करने और रखने की कोशिश करती बेटियां

किसने क्या पाया...

-: बॉलीवुड ने विरोध और बोलने की ताकत

एक वक्त था जब बॉलीवुड में किसी का विरोध करना तो छोड़िए उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत भी किसी में नहीं होती थी. यही वजह है कि कुछ गिने-चुने मठाधीश अपनी मनमानी किया करते थे. किसे फिल्म में लेना है किसी नहीं लेना है, किसे हीरो बनाना है या किसे हीरो से जीरो बना देना है, किसे मरने की हालत तक मजबूर कर देना है, ये सबकुछ कुछ चुनिंदा लोग किया करते थे. लेकिन सुशांत की मौत के बाद जिस तरह लोगों का समर्थन मिला, उसके बाद बॉलीवुड को हिम्मत और ताकत मिली. वहां अन्याय और अत्याचार सह रहे कलाकारों को लगा कि लोग उनके साथ हैं. तब उन्होंने खिलाफत करते हुए गलत के बारे में बोलना शुरू किया. वहीं, मठाधीशों में डर समा गया. उन्हें लगा कि यदि वे इसी तरह अत्याचार करते रहे, तो एक दिन उनकी बनी बनाई सत्ता लोग समाप्त कर देंगे. यह एक बड़ा बदलाव नजर आया.

-: सियासतदानों को सियासी फायदा

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद यह केस पूरी तरह सियासी रंग में रंग गया. विरोधी दलों द्वारा परिवार को सहानुभूति दिखाकर अपने साथ करने की कोशिश की गई, जिससे मामला पूरी तरह राजनीति की भेंट चढ़ गया. उसी वक्त बिहार में चुनाव होने वाले थे. सत्तारूढ जेडीयू और बीजेपी ने इस केस को हाथों हाथ लपक किया, तो वहीं विपक्षी दल आरजेडी भी इस मामले में पीछे नहीं रहा. यहां तक कि बिहार पुलिस के तत्कालीन मुखिया गुप्तेश्वर पांडे, इस केस में ऐसे कूदे जैसे ये सूबे की अस्मिता का सवाल बन गया है. चुनाव से पहले बिहार के नेता तेज आवाजों में बिहार के बेटे सुशांत के लिए इंसाफ की गुहार लगा रहे थे. जिस तरह से नए- नए एंगल सामने लाए जा रहे थे, उससे लगा था जैसे ये महज एक एक्टर नहीं बल्कि उनके पूरे राज्य के साथ हुए अन्याय का मामला है. कई लोग सड़कों पर धरना प्रदर्शन करते हुए सीबीआई जांच और न्याय की मांग कर रहे थे, इन सभी रैलियों को किसी नेता द्वारा ही लीड किया जा रहा था. लेकिन अब कोई भी सुशांत का नाम नहीं ले रहा है.

-: प्रचार के भूखों को मुफ्त की पहचान

किसी की मौत किसी के लिए मुफ्त प्रचार का जरिया बन सकती है, ऐसा सुशांत की मौत से पहले किसी ने सोचा तक नहीं था. इस मामले में जिस तरह राजनीति की गई, वो किसी से छुपी नहीं है. राजनेताओं ने इस मुद्दे को अपने फायदे के लिए बखूबी इस्तेमाल किया, लेकिन कुछ लोगों ने अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाने और बढ़ाने के लिए भी इस केस को जरिया बना डाला. सबसे पहले बात करते हैं फिल्म एक्ट्रेस कंगना रनौत की, जो इस केस में सबसे ज्यादा मुखर रही थीं. पहले दिन से लेकर सीबीआई जांच होने तक वो इस केस के जरिए महाराष्ट्र सरकार को घेरती रहीं. उनका मूवी माफिओं के खिलाफ तो बोलना समझ आता है, लेकिन किसी खास दल की सियासत में फंस जाना समझ से परे हैं. कंगना की तरह ही एक निजी चैनल के संपादक ने भी इस केस के जरिए खूब टीआरपी बटोरी. उन्होंने नई-नई थ्योरी गढ़कर लोगों के सामने नई कहानियां खूब पेश किया. जेल भी गए. उनकी तरह ही एक सूबे के पुलिस मुखिया भी चैनलों पर किसी राजनेता की तरह रोते देखे गए. उन्होंने ने भी अपना खूब नाम बनाया.

-: बाहरी कलाकारों को मिली खोई हुई इज्जत

इसमें कोई दो राय नहीं कि बॉलीवुड को कुछ गिने-चुने फिल्मी परिवार ही चलाते आ रहे हैं, लेकिन इसमें भी कोई संशय नहीं है कि बिना बाहरी कलाकारों के फिल्म इंडस्ट्री का कोई अस्तित्व नहीं है. दिलीप कुमार से लेकर अमिताभ बच्चन तक और मनोज बाजपेयी से लेकर पंकज त्रिपाठी तक, एक से एक बेहतरीन एक्टर बॉलीवुड में बाहर से ही आए हैं. उनका योगदान फिल्म इंडस्ट्री कभी भूल नहीं सकता है. लेकिन इन कलाकारों को इंडस्ट्री में पैर जमाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी है. पहले मूवी मठाधीशों की चरणवंदना किए बैगर किसी का करियर सेट नहीं हो पाता था. लेकिन सुशांत की मौत के बाद माहौल पूरी तरह बदल चुका है. अब टैलेंटेड कलाकारों को उनके काम की वजह से इज्जत और पैसा दोनों मिल रहा है. वरना मनोज बाजपेयी और पंकज त्रिपाठी की हालत कुछ साल पहले कैसी थी और अब कैसी है, ये आप खुद देख और समझ सकते हैं. पिछले तीन दशक के दौरान बॉलीवुड में बाहरी कलाकारों की जो इज्जत खो गई थी, वो एक बार फिर से उन्हें वापस मिल रही है.

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क्या नहीं मिला...

सुशांत सिंह राजपूत केस में अभी तक जो नहीं मिला, वो है इंसाफ, जिसकी आस में उनके लाखों फैंस पिछले एक साल से इंतजार कर रहे हैं. एक्टर की मौत की गुत्थी आज भी आत्महत्या और हत्या के बीच झूल रही है. देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई, ईडी और एनसीबी केस सॉल्व करने में लगी हैं, लेकिन अभी तक नतीजा जीरो है. एनसीबी की जांच भले ही जारी है, लेकिन वो अपनी चार्जशीट पहले ही दाखिल कर चुकी है. वहीं, सीबीआई भी अब शायद क्लोजर रिपोर्ट देने की ताक में है. क्योंकि बार-बार पूछे जाने पर भी सीबीआई आधिकारिक तौर पर इस केस में कुछ बताने को तैयार नहीं है. शायद ये केस सियासत की भेंट चढ़ चुका है.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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