ऑस्कर जीते न जीते, दिल तो जीत ही चुकी है एक भारतीय की फिल्म!
भारतीय मूल के फिल्मकार संजय पटेल की सात मिनट की ऐनिमेटेड शॉर्ट फिल्म को इस बार के ऑस्कर के लिए नॉमिनेटेड किया गया है, यह फिल्म दुनिया भर के समीक्षकों की वाहवाही बटोर रही है.
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उनकी सात मिनट की फिल्म पूरी दुनिया में छा गई है और इसे 88वें ऑस्कर अवॉर्ड्स की ऐनिमेटेड शॉर्ट फिल्मों की श्रेणी में नॉमिनेट किया गया है. यह खुद उनके बचपन की कहानी है. यह फिल्म है भारतीय मूल के फिल्ममेकर संजय पटेल की ऐनिमेटेड फिल्म Sanjay's Super Team, जिसे ऑस्कर पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट किया गया है.
संजय को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है. संजय की इस फिल्म ने दुनिया भर के कई दिग्गजों कलाकारों की फिल्मों की मौजदूगी के बावजूद अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर भारतीयों को खुश होने का मौका दिया है. 29 फरवरी को जब 88वें ऑस्कर अवॉर्ड्स की घोषणा होगी तो करोड़ों भारतीयों की नजरें संजय पटेल की फिल्म पर होगी. आइए जानें संजय की इस फिल्म और उनके बारे में.
संजय की खुद की कहानी है उनकी फिल्म!
संजय पटेल ने अपनी इस फिल्म में अपने बचपन के अनुभवों को ही समेटा है. इसमें एक ऐसे छोटे लड़के की कहानी है जो अपने परिवार की हिंदू परंपरा और आधुनिक दुनिया की द्वंद्वं में उलझा है. फिल्म में अपने पिता के धार्मिक अनुष्ठानों से ऊब चुके इस लड़के को अपनी कल्पनाओं का अनुशरण करते हुए दिखाया गया है. फिल्म की शुरुआत में संजय नामक छोटा बच्चा टीवी पर सुपर टीम नामक कार्टून देख रहा होता है और उसी समय कमरे में उसके पिता घर के मंदिर में पूजा कर रहे होते हैं. दोनों ही एकदूसरे से परेशान होते हैं.
देखेंः फिल्म Sanjay's Super Team का ट्रेलर
उसके पिता संजय के टीवी को बंद करके उसे पूजा में शामिल होने के लिए कहते हैं. इसके बाद कुछ ऐसा होता है कि अचानक ही रावण बाहर आ जाता है और देवताओं के सामानों को चुराने लगता है. तब उसे रोकने के लिए संजय अपने खिलौनों से भगवान विष्णु, मां दुर्गा और हुनुमान जी को बुलाता है, जो रावण को रोकते हैं और सबकुछ शांत करते हैं. भगवान विष्णु संजय को एक खिलौना देते हैं और संजय अपनी असली दुनिया में वापस आ जाता है. इसके बाद उसके पिता उसे सुपर टीम कार्टून देखने की इजाजत दे देते हैं. संजय की यह बेहतरीन कहानी महज 7 मिनट में ही लोगों का दिल जीत लेती है.
कौन हैं संजय पटेलः
संजय पटेल भारतीय मूल के अमेरिकी फिल्मकार हैं. उनका जन्म लंदन में हुआ था और चार साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका चले गए थे. वर्ष 1996 से संजय ने कई फिल्मों के लिए एक ऐनिमेटर के तौर पर काम किया है, जिनमें मॉन्सटर्स इंक (2001), कार्स (2006), मॉन्सटर्स यूनिवर्सिटी (2013), टॉय स्टोरी-2 (1999), द इनक्रेडिबल्स (2004) शामिल हैं. उन्होंने टॉय स्टोरी-2 और द इनक्रेडिबल्स में बतौर करेक्टर डेवलेपर काम किया है. अब Sanjay's Super Team के डायरेक्टर के तौर पर उन्होंने सबको प्रभावित किया है.
संजय की सुपर टीम का जादू ऑस्कर अवॉर्ड्स में चले या न चले लेकिन लोगों के दिलों पर तो यह छा गई है.
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