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Updated: 27 अप्रिल, 2022 03:59 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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तूफान में बड़ी से बड़ी इमारत ध्वस्त हो जाती है. हर तरफ तबाही का मंजर होता है. कुछ ऐसा ही इस वक्त बॉलीवुड में देखने को मिल रहा है. साउथ सिनेमा के तूफान ने बॉलीवुड को तबाह कर दिया है. आलम ये है कि कई बड़े फिल्म मेकर और कलाकार खुद को सुरक्षित रखने के लिए साउथ सिनेमा की शरण में जा रहे हैं. वहीं कुछ कलाकार बॉलीवुड में लगातार हो रहे अन्याय के खिलाफ अब मुखर होने लगे हैं. यहां जड़ जमा चुके नेपोटिज्म पर अभिनेत्री कंगना रनौत ने खूब बोला है. उन्होंने तो सीधे तौर पर करण जौहर जैसे फिल्म मेकर्स पर मठाधीशी का आरोप लगाते हुए उनको नेपोटिज्म का संरक्षक तक बताया है. इसी बीच एक दूसरे आउटसाइडर कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने भी बॉलीवुड को आईना दिखाने का काम किया है. अब देखने वाली बात होगी कि बॉलीवुड के मठाधीश उनकी बातों पर गौर करके अपने अंदर सुधार करते हैं या फिर इग्नोर कर देते हैं.

untitled-1-650_042722033522.jpgनवाजुद्दीन ने बॉलीवुड को जो आईना दिखाया है, जले में नमक छिड़कने का काम कर रहा है.

दरअसल, अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के एक इंटरव्यू का वीडियो (देखने के लिए यहां क्लिक करें) सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें उनसे पूछा जा रहा है कि यदि उनके पास कोई शक्ति दी जाए और उनसे बॉलीवुड में कोई तीन बदलाव करने को कहें जाएं तो वो क्या करेंगे? इस सवाल के जवाब में अभिनेता तपाक से कहते हैं कि वो सबसे पहले बॉलीवुड का नाम बदलकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री रख देंगे. नवाज ने कहा, ''सबसे पहले तो मैं बॉलीवुड का नाम ही बदलना चाहूंगा. आखिर इसे बॉलीवुड क्यों कहा जाता है. इसे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री क्यों नहीं कहा जाता? जब हम सभी हिंदी फिल्म में काम करते हैं, तो इस इंडस्ट्री का नाम हिंदी फिल्म इंडस्ट्री होना चाहिए''. नवाजुद्दीन आगे कहते हैं, ''दूसरी चीज जो मैं बदलना चाहूंगा वो स्क्रिप्ट है, जो कि रोमन में लिखी हुई आती है. इसे याद करना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसलिए मैं देवनागरी हिंदी में लिखी स्क्रिप्ट की डिमांड करता हूं.''

हिंदी फिल्म के सेट पर हिंदी की बजाए अंग्रेजी में बातचीत की जाती है. प्रोड्यूसर से लेकर डायरेक्टर तक अंग्रेजी में बात करता है. इस पर दुख प्रकट करते हुए नवाजुद्दीन सिद्दीकी कहते हैं, ''हमारे फिल्मों की शूटिंग के दौरान एक अजीब सा माहौल देखने को मिलता है. फिल्म हिंदी में बन रही होती है, लेकिन डायरेक्टर से लेकर असिस्टेंट तक अंग्रेजी में बात कर रहे हैं. एक्टर की समझ में ही नहीं आ रहा है. डायरेक्टर पता नहीं कौन सी लाइन पर बात कर रहा होता है. असिस्टेंट कुछ यू नो, यू नो करते हुए अपनी खीर बना रहा होता है, एक्टर बिल्कुल अकेला खड़ा हुआ है. इससे परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है. एक्टर को आधी-अधूरी चीजें समझ में आ रही हैं. एक जो अच्छा एक्टर है, थियेटर का एक्टर है, जिस बेचारे को इंग्लिश नहीं आती, वो समझ ही नहीं पा रहा है. इधर-उधर देख रहा है कि हो क्या रहा है, चल क्या रहा है, अपने ही कैरेक्टर के बारे में समझ नहीं पा रहा है.''

साउथ सिनेमा में काम करने वाले प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, कलाकार और तकनीकी टीम की तारीफ करते हुए नवाज कहते हैं कि वहां के लोग अपनी भाषा पर गर्व महसूस करते हैं. हर कोई आपको अपनी भाषा में बात करते हुए मिलेगा. अभिनेता कहते हैं, ''साउथ में क्या है कि तमिल हैं, तो तमिल में बात करते हुए गर्व महसूस करते हैं, कन्नड़ हैं, तो वो भी अपनी भाषा में ही बात करते हैं. वहां राइटर वो भी कन्नड़ में बात कर रहा है, स्क्रीनप्ले राइटर भी अपनी भाषा में बात कर रहा है. सारे लोकल लोग यहां तक कि डायरेक्टर से लेकर मेकअप मैन तक अपनी ही भाषा में बात कर रहा है. ऐसे में जो माहौल बनेगा, तो निश्चित तौर पर कुछ न कुछ अलग ही प्रोडक्ट बनेगा. क्योंकि वो लोग आपस में एक-दूसरे की बात अच्छे से आसानी से समझ पाते हैं. बॉलीवुड में ऐसा चलन है कि डायरेक्टर अलग लाइन पर होता है, एक्टर अलग-थलग पड़ा होता है, जिससे परफॉर्मेंस प्रभावित होती हैं''.

देखा जाए तो नवाजुद्दीन की बातों में दम हैं. जब आप अपनी भाषा का ही सम्मान नहीं करेंगे, तो उसका विकास कैसे करेंगे. हिंदी पट्टी में हिंदी भाषी लोगों के मनोरंजन के लिए फिल्म यदि अंग्रेजी सोच के साथ बनाई जाएगी, तो उसका परिणाम ऐसा ही होगा, जो आजकल देखने को मिल रहा है. 90 के दशक के बाद के दौर में फिल्म इंडस्ट्री में तेजी से बदलाव आया है, जो कि नकारात्मक रहा है. खासकर करण जौहर और आदित्य चोपड़ा जैसे प्रोडक्शन हाऊस मालिकों ने बॉलीवुड पर कब्जा करने के बाद उसे अपने तरीके से चलाने की कोशिश की है. बिना मेहनत बस फार्मूला आधारित फिल्मों बनाकर उससे पैसा बनाने की कोशिश की गई है. चूंकि लोगों के पास तब कोई विकल्प नहीं था, तो मजबूरी में ऐसी फिल्में देखने जाते थे. लोगों को तो पता भी नहीं था कि सिनेमा इससे अच्छा भी हो सकता है. लेकिन साउथ सिनेमा ने अपनी जोरदार एंट्री के बाद न सिर्फ लोकप्रियता हासिल की है, बल्कि बॉलीवुड को बेनकाब भी किया है. रही सही कसर कंगना रनौत और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे कलाकार बॉलीवुड की असलियत से पर्दा हटाकर पूरी कर दे रहे हैं.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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