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Updated: 21 अगस्त, 2022 05:12 PM
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सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक हो रहे बायकॉट की वजह से अपने बुरे दौर से गुजर रहे बॉलीवुड की हालत के बारे में सबके पता है. पिछले दो साल से ज्यादातर हिंदी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बहुत खराब रहा है. हालत ये रही है कि कई बड़े सुपर सितारों की फिल्में डिजास्टर साबित हुई हैं. इनमें रणबीर कपूर की फिल्म 'शमशेरा', अक्षय कुमार की फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' और कंगना रनौत की फिल्म 'धाकड़' का नाम शामिल है. बॉलीवुड की तरह साउथ की एक प्रमुख फिल्म इंडस्ट्री के रूप में स्थापित तेलुगू सिनेमा का भी खराब दौर चल रहा है. एक तरफ इंडस्ट्री में आपसी तनातनी और विवाद, तो दूसरी तरफ फिल्मों का खराब बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन, दोनों ही वजहों से तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री बहुत ज्यादा घाटे का शिकार हो चुकी है.

यहां सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि पैनइंडिया स्टार के रूप में स्थापित हो चुके तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री के कई सितारों की फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर पानी मांग रही हैं. इन सितारों में 'बाहुबली' फेम प्रभास, 'आरआरआर' फेम राम चरण और 'खिलाड़ी' फेम रवि तेजा का नाम शामिल है. प्रभास के तो वैसे भी अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं. साल 2017 में रिलीज हुई 'बाहुबली 2' के बाद से उनकी दो फिल्में 'साहो' और 'राधे श्याम' रिलीज हो चुकी है. लेकिन इन दोनों ही फिल्मों का प्रदर्शन खराब रहा है. 350 करोड़ रुपए के बजट में बनी 'राधे श्याम' ने महज 120 करोड़ रुपए का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया है. ये फिल्म इसी साल 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. फिल्म से बहुत उम्मीदें थी, जिस पर प्रभास खरे नहीं उतर पाए हैं.

650x400_082022083917.jpgबायकॉट मुहिम को झेल रहे बॉलीवुड की तरह तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री की हालत भी खराब है.

'राधे श्याम' जैसी फिल्म का पिटना तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री के लिए किसी सदमे से कम नहीं रहा है. इसके बाद 29 अप्रैल को मेगास्टार चिरंजीवी और उनके बेटे राम चरण की फिल्म 'आचार्य' सिनेमा घरों में रिलीज हुई. इस फिल्म को भी पैन इंडिया रिलीज किया गया, लेकिन 140 करोड़ रुपए के बजट में बनी इस फिल्म ने 75 करोड़ रुपए कमाने के बाद दम तोड़ दिया. चिरंजीवी को फिल्मों की सफलता की गारंटी माना जाता है. उनके बेटे राम चरण इस फिल्म की रिलीज से पहले 'आरआरआर' की सफलता का स्वाद चख चुके थे. इतना ही नहीं पैन इंडिया उनकी पहचान बन चुकी है. लेकिन इन दोनों के होने के बावजूद फिल्म फ्लॉप रही. इस फिल्म के फ्लॉप होने की वजह से डिस्ट्रीब्यूटर को बहुत घाटा हुआ. इसमें उनका शेयर महज 46 करोड़ रुपए रहा था.

रवि तेजा तेलुगू सिनेमा के सफलतम सुपरस्टार्स में से एक माने जाते हैं. उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. यही वजह है कि उनकी फिल्म खिलाड़ी जब रिलीज हुई तो बहुत ज्यादा बज्ज क्रिएट हुआ था. लेकिन 60 करोड़ रुपए के बजट में बनी इस एक्शन फिल्म की कमाई 20 करोड़ रुपए ही हो पाई. इस तरह सुपर फ्लॉप फिल्म से डिस्ट्रीब्यूटर को महज 12 करोड़ रुपए ही मिल पाए थे. शारवानंद और रश्मिका मंदाना स्टारर फिल्म 'अदावल्लु मीकू जोहारलू' 15 करोड़ रुपए बजट में बनी थी. इसे 18 करोड़ रुपए में फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर को बेचा गया, लेकिन इसने महज 14 करोड़ रुपए का बिजनेस किया. इसमें डिस्ट्रीब्यूटर का हिस्सा 7.30 करोड़ रुपए ही था. इसी तरह किरण अब्बावरम स्टारर 'सेबेस्टियन पीसी 524' का बजट 7.50 करोड़ था, लेकिन फिल्म 1.5 करोड़ का कलेक्शन कर पाई.

इन सभी फिल्मों के बजट और उसके मुकाबले उनके कलेक्शन को देखकर समझ आ जाता है कि इस साल तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री की हालत कैसी रही है. एक तरफ फिल्म बनाने का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है. इसकी वजह से फिल्मों का बजट बढ़ रहा है. लेकिन उसके हिसाब फिल्म की कमाई न होने की वजह से फिल्म मेकर्स को बहुत ज्यादा घाटा हो रहा है. यही कारण है कि तेलुगू फिल्म मेकर्स ने एक महीने तक शूटिंग पर रोक लगा दी थी. इस दौरान इंडस्ट्री को रीस्ट्रक्चर करने का फैसला लिया गया था. अब फिल्म चैंबर और एक्टिव प्रोड्यूसर्स गिल्ड ने फैसला किया है कि किसी भी एक्टर को अब से दिन के हिसाब से पैसा नहीं मिलेगा. ऐसा पहले होता था. इसके अलावा कोई भी फिल्म 8 हफ्ते से पहले ओटीटी पर रिलीज नहीं होगी. फिल्म की रिलीज के 8 हफ्ते बाद ओटीटी स्ट्रीमिंग होगी.

यहां एक बात जरूरी और ध्यान देने योग्य है, वो ये कि अपनी फिल्मों के खराब प्रदर्शन और लगातार हो रहे घाटे को देखते हुए तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री ने तुरंत संज्ञान लिया. इसके बाद एक महीने का गैप लिया, ताकि तेलुगू फिल्म मेकर्स आपस में बैठकर विवादित मुद्दों को सुलझा सके और जरूरी कदम उठा सकें, जिससे कि फिल्म इंडस्ट्री को फायदा हो. अब एक महीने बाद सभी विवाद सुलझाते हुए कई नए नियम के साथ शूटिंग शुरू हो चुकी है. उम्मीद है कि आने वाले समय में रिलीज होने वाली फिल्मों पर इसका सकारात्मक असर दिखे. लेकिन बॉलीवुड को ये बात कब समझ आएगी कि उसे भी ब्रेक लेकर विचार विमर्श करना चाहिए. हिंदी फिल्म मेकर्स को आपस बैठकर ये सोचना चाहिए कि उनकी फिल्में किन वजहों से नहीं चल रही है. क्या केवल बायकॉट ही इसकी वजह है या फिर हिंदी सिनेमा कंटेंट उस स्तर का नहीं है, जो अब दर्शक चाहते हैं. मुझे लगता है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को भी तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री से सीख लेकर इंडस्ट्री को रीस्ट्रक्चर करना चाहिए.

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