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Updated: 10 अक्टूबर, 2022 09:37 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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'बाहुबली' फिल्ममेकर एसएस राजामौली हिट फिल्मों की गारंटी के लिए जाने जाते हैं. उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा की दशा और दिशा बदली है. उन्होंने ही पहली बार किसी फिल्म को पैन इंडिया स्तर पर पेश किया था, जिसके बाद ऐसी फिल्मों का चलन शुरू हो गया. वरना उससे पहले भाषाई दीवारों के बीच भारतीय फिल्म इंडस्ट्री भी बंटी हुई थी. हर भाषा की अपनी फिल्म इंडस्ट्री थी, जहां वहां के भाषाभाषी दर्शकों के लिए फिल्में बनाई जाती थी. लेकिन राजामौली ने भाषाई दीवार को तोड़कर पैन इंडिया फिल्मों की परिकल्पना को साकार किया है. उनकी फिल्मों में काम करने वाले साधारण कलाकार भी पैन इंडिया सुपरस्टार बन गए हैं. राजामौली को इतनी बड़ी सफलता रातों-रात नहीं मिली है. बल्कि इसके पीछे उनकी वर्षों की कड़ी तपस्या है. उनकी दूरगामी सोच है. उनकी अथक मेहनत और बड़ा समर्पण है. इन सभी गुणों की वजह से आज वो एक अलहदा फिल्मकार हैं.

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चार बातें जो राजामौली को महान फिल्मकार बनाती हैं...

1. परिश्रम और समर्पण

'उद्यमेन हि सिद्धन्ति कार्याणि न मनोरथैः' अर्थात् परिश्रम से ही सारे कार्य सफल होते हैं, केवल मन में इच्छा करने मात्र से नहीं. सफलता पाने लिए मनुष्य को परिश्रम करना बहुत आवश्यक है. एसएस राजामौली इसी मंत्र के साथ जीते हैं. उनके परिश्रम और समर्पण की वजह से ही भारतीय सिनेमा में 'बाहुबली' और 'आरआरआर' जैसी फिल्मों का निर्माण हो सका है. उनके समर्पण को इसी से समझा जा सकता है कि जब 'बाहुबली' फिल्म का निर्माण हो रहा था, उस वक्त उन्होंने खुद को और फिल्म की पूरी टीम को पांच साल के लिए कैद कर लिया था. उन्होंने इन फिल्मों के लिए करीब 380 दिनों तक लगातार शूटिंग की थी, जो कि किसी भी बड़ी हॉलीवुड फिल्म को बनाने में लगने वाले दिनों से डबल की संख्या है. किसी फिल्म के लिए इतना समर्पण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले किसी भी निर्देशक में नहीं देखा गया है. यह वजह है कि राजामौली की फिल्में इतिहास रचती हैं.

2. कल्पनाशीलता

फैंटेसी की दुनिया हर किसी को लुभाती है. फैंटेसी के जरिए एक अलौकिक संसार का निर्माण किया जाता है. राजामौली इसी अलौकिक संसार में अपने सिनेमा की रचना करने के लिए जाने जाते हैं. उनकी फिल्म 'बाहुबली' को ही ले लीजिए. इसमें दिखाया गया महिष्मति साम्राज्य का वास्तविकता से कुछ भी लेना-देना नहीं है. लेकिन राजमौली ने जिस तरह इस साम्राज्य की रचना की है, वो वास्तविक ही प्रतीत होता है. इसी तरह उनकी फिल्म 'मगधीरा' में भी फैंटेसी की दुनिया देखने को मिलती है. इस फिल्म का नायक अपनी प्रेमिका के लिए अकेले 100 योद्धाओं से लड़ता है और उसे बचाते बचाते मारा जाता है. उसके 400 वर्षों के बाद वह फिर से जन्म लेता है. इस जन्म में एक बार फिर दोनों प्रेमी-प्रेमिका मिलते हैं और उनको अपने पिछले जन्म की कहानी याद आ जाती है. बताते चलें कि फैंटेसी एक काल्पनिक सोच है, जिसका कोई वास्तविक रूप नहीं होता. एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना जो शायद ही कभी वास्तविक जीवन में संभव हो. यह सोच किसी के भी दिमाग के एक कोने में मौजूद रहकर जागती आंखों से सपने देखने के लिए मजबूर करती है.

3. जोखिम लेने की क्षमता

जोखिम लेना हर किसी के बस की बात नहीं होती है. जोखिम वही ले सकता है, जिसको खुद पर विश्वास होता है. मेगा बजट फिल्मों में पैसा लगाने से पहले प्रोड्यूसर या इंवेस्टर ये जरूर देखता है कि वो किस पर दांव लगा रहा है. दांव या तो निर्देशक की साख पर लगता है या फिर हीरो की साख पर. राजामौली की फिल्मों में पैसा लगाने वाला उनकी साख पर दांव लगाता है. क्योंकि दांव लगाने वाले को पता होता है कि उनकी फिल्म में लगने वाली एक पाई-पाई की वसूली हो जाएगी. इसके बाद जो मुनाफा आएगा, वो हर किसी को हैरान कर देने वाला होगा. उदाहरण के लिए उनकी फिल्म 'बाहुबली' के ही ले लीजिए. इसके सीक्वल को बनाने में 250 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. लेकिन फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1800 करोड़ रुपए का कारोबार किया था. इस तरह फिल्म ने लागत से करीब चार गुना कमाई की थी. इसी तरह 'आरआरआर' का बजय 550 करोड़ रुपए था. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1200 करोड़ रुपए का कारोबार किया है. इससे पहले राजामौली की ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही है. यह सब उनके जोखिम लेने का ही नतीजा है.

4. कुशल निर्देशक और पटकथा लेखक

किसी भी फिल्म की जान उसकी पटकथा में बसती है. यदि मजबूत और कसी हुई पटकथा लिखी गई है, तो फिल्म के बेहतर होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसके बाद निर्देशक का रोल महत्वपूर्ण हो जाता है. यदि पटकथा के अनुरूप निर्देशक ने अपना काम जिम्मेदारी से कर लिया तो फिल्म हिट होनी तय है. बहुत हद तक कलाकारों का प्रदर्शन निर्देशक की कुशलता पर निर्भर करता है. राजामौली की सबसे बड़ी खासियत ये है कि वो अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले खुद लिखते हैं. इसके साथ ही निर्देशन भी करते हैं. ऐसे में स्क्रिप्ट को समझते हुए डायरेक्शन करना उनके लिए आसान होता है. इसके साथ ही वो अपने फिल्म के कलाकारों से बेहतरीन अभिनय करवाने में भी सफल रहते हैं. यही वजह है कि उनकी फिल्मों में काम करने वाले स्टार रिलीज के बाद सुपरस्टार बन जाते हैं. इसे राजामौली का कमाल ही कहा जाएगा. उनकी बेहतरीन फिल्म मेकिंग को श्रेय जाएगा.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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