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Updated: 23 जनवरी, 2022 04:27 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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Are we just messed up people? हां, शायद. ये है गहराइयां और उनका फलसफा. दीपिका पादुकोण, सिद्धांत चतुर्वेदी और अनन्या पांडे स्टारर फिल्म ‘गहराइयां’ का ट्रेलर लंबे इंतेजार के बाद आखिरकार रिलीज हो ही गया है. फ़िल्म 11 फरवरी को अमेजन प्राइम पर रिलीज होगी. 'गहराइयां' उसके सब्जेक्ट और कंटेंट पर करने के लिए आगे हमारे पास तमाम बातें हैं. लेकिन सबसे पहले जिक्र ट्रेलर का. 2.42 सेकंड के इस ट्रेलर की यूएसपी दीपिका और सिद्धार्थ हैं और फ़िल्म में जैसी ट्यूनिंग दोनों ही एक्टर्स के बीच दिख रही है कहा जा सकता है कि एक ऑफबीट स्टोरी लाइन के बावजूद डायरेक्टर शकुन बत्रा अपनी टारगेट ऑडिएंस को रिझाने में कामयाब हुए हैं. ट्रेलर, चाहे फ़िल्म कोई भी हो, कुछ मिनटों का होता है. फ़िल्म घंटों में होती है और जब फ़िल्म 'गहराइयां' जैसी फ़िल्म हो. तो वो इसलिए भी खास होती है क्योंकि ये फ़िल्म बहुत ज्यादा मिर्च मसाले वाली या चटपटी नहीं है. साथ ही ये फ़िल्म दो मिनट की मैगी सरीखी भी नहीं है. गहराइयां आराम से, इत्मीनान से देखी जाने वाली फ़िल्म है. जिसे पूरी तसल्ली के साथ धीमी आंच पर बनाया गया है और फिर जो निकला है वो हमारे भारतीय समाज में अभिजात्य समाज के बीच पनपती तल्ख हकीकत है.

Gehraiyaan, Trailer, Amazon Prime, Deepika Padukon, Siddhant Chaturvedi, Ananya Pandayदीपिका की फिल्म गहराइयां का सब्जेक्ट कुछ ऐसा है जिसे हमारा समाज शायद ही पचा पाए

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि करीब ढाई मिनट के ट्रेलर में जो सबसे पहली और आखिरी बात हमारी समझ में आई है वो ये कि गहराइयां यूथ सेंटर्ड है. फ़िल्म का प्लाट जब यूथ हो तो जिन प्रॉब्लम को भी इस फ़िल्म में दिखाया गया है वो यूथ्स से जुड़ी हैं.

ब्रेक अप, पैच अप, रिलेशनशिप, सेक्स, जॉब, कॉरपोरेट कल्चर, शार्ट टर्म सक्सेज, अपार्टमेंट लाइफ, अर्बन लाइफस्टाइल, वैकेशन, लेट नाईट ड्राइविंग यानी 'गहराइयां' हर उस एलिमेंट को अपने में संजोए है जिसे बेंगलुरु, पुणे, मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद का यूथ तो समझ भी लेगा और पचा भी लेगा लेकिन लखनऊ, कानपुर, भोपाल, इंदौर, नागपुर, बाराबंकी, सिवान, आरा, बलिया का युवा इत्तेफ़ाक़ रखे बिल्कुल भी जरूरी नहीं. ( बिल्कुल भी जरूरी नहीं कि व्यक्ति इस बात पर भी सहमत हो ही जाए. शायद वो कह बैठे हम भी कहां किसी से कम हैं)

उपरोक्त बातों को फिर से पढ़िए और पढ़ते पढ़ते ट्रेलर देखिए तमाम कही सुनी शीशे की तरह साफ हो जाएगी. महसूस होगा कि नहीं ऐसा हमारे आस पड़ोस में नहीं होता लेकिन हां कभी कभार अखबार या किसी न्यूज़ वेबसाइट पर ऐसी खबरें आ जाती हैं. (याद रहे 'गहराइयां" जैसा भले ही हमारे समाज में न होता हो लेकिन जब कभी होता है इसमें दिखाई गई चीजों से बदतर होता है.)

ट्रेलर में दो बहनें हैं. कजिन सिस्टर्स. एक ही उम्र की बहनें. दोस्त सरीखी बहनें. एक बहन (दीपिका) आइडियल है और एक बैड रिलेशनशिप से गुजर चुकी है तो वहीं दूसरी बहन अनन्या पांडे बिंदास और अपनी तरह से ज़िन्दगी जीने वाली लड़की है. अनन्या अपने बॉयफ्रेंड को दीपिका से मिलवाती है और फिर वो होता है जो टायर 1 शहरों में एक आम चलन है. बॉयफ्रेंड दीपिका और अनन्या दोनों से अपने काम निकालता है और आगे बढ़ता है.

जैसा कि ट्रेलर से साफ है. अपनी लाइफ में अनन्या जैसी गर्लफ्रेंड होने के बावजूद उसका बॉयफ्रेंड न केवल दीपिका से फ़्लर्ट करता है. बल्कि एक नई रिलेशनशिप बनाता है कहीं न कहीं उस वैल्यूम को दिखाने का प्रयास है जो आजकल यूथ के बीच आम है. ट्रेलर इस बात को भी बता रहा है कि फ़िल्म में ब्लैक एंड वाइट जैसा कुछ नहीं है.

हर इंसान में एक ग्रे शेड है जो उसे ऐसा बहुत कुछ करने पर मजबूर कर देता है जिसे हमारे परिवेश में आज भी लोग स्वीकार नहीं करते. यानी कहा ये भी जा सकता है कि चाहे वो दीपिका हों या फिर सिद्धार्थ और अनन्या. सबकी ज़िंदगी में अपनी उलझनें हैं जिसे वो Messy बता तो रहे हैं लेकिन अपने ही तरीके से ही उसका सामना कर रहे हैं.

हम फिर इस बात को दोहराएंगे कि गहराइयां मसाला फ़िल्म नहीं है. साथ ही न ही हम इसे आर्ट फ़िल्म की संज्ञा देंगे। फ़िल्म संघर्षों को, कामयाबी को, नफरत को, धोखे को बयां करती फ़िल्म है. इसलिए इतना तो तय है कि भले ही छोटे शहर का ही व्यक्ति क्यों न हो. जब एक बार वो इस फ़िल्म को देखना शुरू करेगा तो भले ही शुरू शुरू में फ़िल्म समझने में उसे मुश्किलों का सामना करना पड़े. लेकिन जैसे जैसे फ़िल्म आगे बढ़ेगी व्यक्ति भी सहज हो जाएगा और कई मूमेंट ऐसे भी आएंगे जहां वो अपने आप को फ़िल्म से रिलेट करेगा.

फ़िल्म का प्लाट क्या है? किन एलिमेंट्स को फ़िल्म में ट्विस्ट एंड टर्न्स की संज्ञा दी गयी है? जवाब हमें 11 फरवरी को पता चल जाएगा लेकिन जिस तरह इस फ़िल्म में रिश्तों की पेचीदगियां न केवल दिखाई गयीं बल्कि सारा फ़ोकस उसपर रखा गया इतना तो तय है कि बॉलीवुड ने 'गहराइयां' के जरिये एक नए ट्रेंड को स्थापित किया है. ये नया ट्रेंड किस हद तक और कितना कामयाब होगा? बस कुछ ही रोज बचे हैं. जवाब हमें मिल जाएगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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