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Updated: 24 मई, 2022 07:46 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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बॉलीवुड के लिहाज से देखें तो ये फिल्मी स्टारडम का संकट-काल चल रहा है. शाहरुख, सलमान और आमिर खान जैसे सितारों के दिन लद चुके हैं. बॉलीवुड के सारे खान पनाह मांग रहे हैं. अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और अजय देवगन जैसे सुपरस्टार्स एक अदद हिट फिल्म के लिए बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष कर रहे हैं. कंगना रनौत जैसी खुर्राट और राष्ट्रवादी अभिनेत्री की फिल्म पानी मांग रही है. वरना 'धाकड़' जैसी फिल्म एक्शन से लबरेज होने के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर इस कदर फ्लॉप नहीं होती. 20 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हुई इस फिल्म ने पांच दिनों में महज 3.88 करोड़ रुपए की कमाई की है, जबकि फिल्म की लागत 80 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

इस तरह कंगना रनौत की फिल्म 'धाकड़' बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई है. इस फिल्म ने ओपनिंग डे पर 1.2 करोड़ रुपए, दूसरे दिन 1.05 करोड़ रुपए, तीसरे दिन 98 लाख रुपए, चौथे दिन 30 लाख रुपए और पांचवें दिन 25 लाख रुपए की कमाई की है. इस तरह से देखा जाए तो फिल्म का कलेक्शन लगातार घट रहा है. यदि ऐसा ही रहा तो इसे एक-दो दिन में सिनेमाघरों से बाहर कर दिया जाएगा. कंगना को चार बार नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है, देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित की जा चुकी हैं, ऐसे में उनके जैसी एक्ट्रेस की किसी फिल्म का इस तरह फ्लॉप होना कई सारे संकेत देता था. पहला ये कि फिल्में अब स्टारडम के नाम पर नहीं चलती हैं, दूसरा ये कि कंटेंट की बदौलत फिल्में हिट होती हैं. आप चाहें कितनी भी बड़ी राष्ट्रवादी हों और देशहित की बातें करती रही हों आपकी फिल्म तभी चलेगी जब कंटेंट में दम होगा. तीसरा ये कि कलाकार नहीं किरदार मजबूत होना चाहिए. अब बड़े सुपरस्टार का जमाना खत्म हो चुका है, अब अच्छे कलाकारों का दौर चल रहा है.

1_650_052422060243.jpgइसमें कोई दो राय नहीं है कि कंगना रनौत ने फिल्म धाकड़ में जबरदस्त अभिनय किया है, लेकिन...

यदि ऐसा नहीं होता तो कार्तिक आर्यन जैसे अभिनेता की फिल्म 'भूल भुलैया 2' साउथ सिनेमा की सुनामी के बीच महज पांच दिनों में 75 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार नहीं कर पाती. 'भूल भुलैया 2' और 'धाकड़' एक ही दिन सिनेमाघरों में रिलीज हुई हैं. बॉक्स ऑफिस पर एक तरफ कंगना रनौत जैसी सुपरस्टार हैं, तो दूसरी तरफ कार्तिक आर्यन जैसा कलाकार है. लेकिन लोगों ने सुपरस्टार की जगह कलाकार को तव्वजो दिया है. फिल्म 'भूल भुलैया 2' को देखने टूट पड़े हैं. इस फिल्म ने ओपनिंग डे पर ही रिकॉर्ड बना दिया है. पहले दिन फिल्म ने 14.11 करोड़ रुपए, दूसरे दिन 18.34 करोड़ रुपए, तीसरे दिन 23.51 करोड़ रुपए, चौथे दिन 10.75 करोड़ रुपए और पांचवें दिन 10 करोड़ रुपए की कमाई की है. इस तरह फिल्म ओपनिंग डे और वीकेंड पर सर्वाधिक कमाई करने वाली चौथी हिंदी फिल्म बन गई है. इससे पहले ये कीर्तिमान यश की फिल्म 'केजीएफ चैप्टर 2', हॉलीवुड फिल्म 'डॉक्टर स्ट्रेंज 2' और एसएस राजामौली की फिल्म 'आरआरआर' ने बनाया था. इतना ही नहीं कार्तिक आर्यन के करियर की भी हाईएस्ट ओपनर फिल्म बनने का रिकॉर्ड भी इस फिल्म के नाम है.

'भूल भुलैया-2' से पहले ओपनिंग डे पर कार्तिक आर्यन की फिल्म 'लव आज कल' ने 12.40 करोड़ रुपए, 'पति पत्नी और वो' ने 9.10 करोड़ रुपए, 'लुका छुपी' ने 8.01 करोड़ रुपए और 'प्यार का पंचनामा 2' ने 6.80 करोड़ रुपए, 'सोनू के टीटू की स्वीटी' ने 6.42 करोड़ रुपए और फिल्म 'प्यार का पंचनामा 1' ने 92 लाख रुपए की कमाई की थी. दूसरी तरफ कंगना रनौत की बात करें तो साल 2015 में रिलीज हुई फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटर्न' के बाद से ही इनकी कोई फिल्म ब्लॉकबस्टर नहीं रही है. पिछले सात साल में कंगना की 8 फिल्में रिलीज हुई हैं, जिनमें से महज 'जजमेंटल है क्या', 'पंगा' और 'मणिकर्णिका' ही अपनी लागत निकाल सकी हैं. इनके अलावा पांच फिल्में अपनी लागत भी नहीं निकाल पाई हैं. बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही हैं. 'धाकड़' तो डिजास्टर ही साहित हो चुकी है. हालत ये है कि 2200 स्क्रीन्स पर रिलीज फिल्म को स्क्रीन से हटाया जा रहा है.

ऐसे में बॉलीवुड के मेकर्स को समझ में आ जाना चाहिए कि किसी फिल्म का नाम धाकड़ रख देने से बॉक्स ऑफिस पर उसकी धाक नहीं जमती. इसके लिए फिल्म में फ्रेश कंटेंट का होना जरूरी है. कहानी में दम होना जरूरी है. निर्देशन बेजोड़ होना जरूरी है. किरदारों में जान जरूरी है. कलाकारों के नाम नहीं काम जरूरी है. पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से पहले ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और उसके अब साउथ सिनेमा का उद्भव हुआ है, इस बात की तस्दीक करता है. चाहे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दिखाए जाने वाले वेब सीरीज हों या फिर साउथ की वो फिल्में जिन्होंने हिंदी बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया है, सबमें उपरोक्त बातें कॉमन हैं. यही बात बॉलीवुड के मेकर्स अभी तक नहीं समझ पाए हैं.

ये फिल्म मेकर्स आज भी हिंदी दर्शकों को मूर्ख समझते हैं. उनको लगता है कि वो जो परोसेंगे, दर्शक मजबूरन उसका उपभोग करेंगे. धाकड़ भी इसी भ्रम का शिकार हुई है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि कंगना रनौत ने फिल्म में जबरदस्त अभिनय किया है, लेकिन फिल्म के मेकर्स चूक कर कर गए हैं. इसे फॉर्मूला बेस्ड करके. उनको लगा कि हॉलीवुड टाइप एक्शन सीन और स्टंट भर देने से दर्शक फिल्म को पचा जाएंगे, लेकिन उनको नहीं पता कि अचार, पापड़ या दही देने भर से खाना नहीं खपता, उसके लिए बेसिक रोटी, चावल और सब्जी की भी जरूरत होती है.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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