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सिनेमा
| 5-मिनट में पढ़ें
मुकेश कुमार गजेंद्र
@mukesh.k.gajendra
Bombay Begums: कामकाजी महिलाओं की महत्वाकांक्षा को बयां करती वेब सीरीज देखी देखी सी लगेगी..
Netflix पर रिलीज वेब सीरीज बॉम्बे बेगम्स (Bombay Begums) भारतीय महिलाओं की एक दुरूह यात्रा की दास्तान बयां करती है. इसमें इन कामकाजी महिलाओं की सत्ता और सफलता की महत्वाकांक्षाओं की बात की गई है. ये महिलाएं अपने सपनों, इच्छाओं और निराशाओं के बीच झूल रही हैं.
सिनेमा
| 6.45 minutes watch-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
'लिपस्टिक...' देखकर यही लगा कि सेक्स मर्दों की बपौती नहीं है
समाज में जो दिखेगा, वही कहानी की शक्ल इख़्तियार करेगा. ऐसे में लाज़मी है ऐसी फिल्मों से पहलाज निहलानी या वैसी सोच रखनेवाले तो डरेंगे ही.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
सरवत फातिमा
@ashi.fatima.75
थिएटर में लिपस्टिक अंडर माय बुर्का देखी, साथ बैठे 'संभ्रांत' मर्दों की कलई खुल गई
थिएटर में 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' देखकर अहसास हुआ कि ज्यादातर मर्द रेप और सहमति से सेक्स में फर्क ही नहीं जानते. आश्चर्य हुआ उन मर्दों को देखकर जो मेरिटल रेप के दृश्य को देखकर हंस रहे थे.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
फेक फेमेनिज़्म को किनारे रखिए, सिर्फ एक नार्मल फिल्म है 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का'
'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' का उद्देश्य तब ही पूरा होगा जब इस देश की महिलाओं को उसके सही अधिकार मिलेंगे. वरना ऐसी फिल्में बनती रहेंगी और लोग यही कहेंगे कि हां ऐसी ही फिल्में महिला सशक्तिकरण को बल देगी.
सिनेमा
| 4-मिनट में पढ़ें
सिद्धार्थ हुसैन
@siddharth.hussain
'लिपस्टिक...' देखकर यही लगा कि सेक्स मर्दों की बपौती नहीं है
समाज में जो दिखेगा, वही कहानी की शक्ल इख़्तियार करेगा. ऐसे में लाज़मी है ऐसी फिल्मों से पहलाज निहलानी या वैसी सोच रखनेवाले तो डरेंगे ही.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
समाज ने पुरुषों को भी घुटन दी है
बचपन से ही लड़कों को बता दिया जाता है कि पिंक लड़कियों का रंग है और ब्लू लड़कों का. अगर लड़के रोते हैं तो कहा जाता है कि- लड़के रोते नहीं हैं. समाज लड़कों को उस तरह से रहने का तरीका सीखाता है जैसा वो चाहता है.
सिनेमा
| 5-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
सेक्स पर बात नहीं करने की सलाह देने वालों को ये मिला जवाब
फिल्म की अभिनेत्रियों ने एक अभियान शुरू कर दिया है, जिसे वो #LipstickRebellion कह रही हैं. इसमें वो महिलाओं से एक लिपस्टिक के साथ अपना मिडिल फिंगर दिखाने के लिए कह रही हैं.
सिनेमा
| 2-मिनट में पढ़ें
सरवत फातिमा
@ashi.fatima.75
एक ट्रेलर जो सिर्फ सेंसर बोर्ड को चिढ़ाने के लिए बनाया गया है
हमारे सुपर संस्कारी सेंसर बोर्ड को छोटे से छोटे कुसंस्कार से दिक्कत है और इसलिए वो फिल्मों पर कैंची चलाने से बाज नहीं आता. लेकिन इस फिल्म के ट्रेलर ने सेंसर बोर्ड को गुस्से से लाल कर दिया है. आखिर क्यों? जानिए आगे...
सिनेमा
| 2-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
सेंसरबोर्ड और फिल्म के पंगे की कहानी पोस्टर ने ही बता दी..
सेंसरबोर्ड ने जिस फिल्म को सर्टिफिकेट देने तक से मना कर दिया था वो 21 जुलाई को पूरे ताम-झाम के साथ रिलीज़ हो रही है, लेकिन खबर ये नहीं......खबर तो इसके बाद शुरू होती है.