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Updated: 22 सितम्बर, 2016 01:16 PM
विक्रांत गुप्ता
विक्रांत गुप्ता
  @vikrantjourno
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दुनिया में क्रिकेट यदि पूजा जाता है, तो वह सिर्फ भारत में. ऐसे में कानपुर के ग्रीन पार्क स्‍टेडियम में भारत और न्‍यूजीलैंड के बीच खेला जाने वाला टेस्‍ट मैच किसी त्‍योहार से कम नहीं है. यह भारत का 500वां टेस्ट मैच जो है. इस ऐतिहासिक मौक पर भारतीय क्रिकेट का इतिहास याद आना स्‍वाभाविक है. क्या भारत के महानतम क्रिकेट खिलाडि़यों की कोई एक ड्रीम टीम बनाई जा सकती है. एक कोशिश तो की ही जा सकती है-

ओपनर्स:

सुनील गावस्‍कर और वीरेंद्र सहवाग: एक परफेक्‍शनिस्‍ट और दूसरा विस्‍फोटक. सनी भाई और सहवाग बल्‍लेबाजी के दो ध्रुव हैं. एक है जो किसी टेस्‍ट मैच को बचाने के लिए दो दिन खेल सकता है, तो दूसरे को सिर्फ दो सेशन चाहिए अपने विरोधी को बर्बाद कर देने के लिए. कोई और नहीं है, जो इस पोजिशन के लिए इन दोनों के आसपास भी हो.

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  सबसे बेहतर ओपनर्स

एंकर:

राहुल द्रविड़: आगे बात करने की जरूरत ही नहीं है. टेस्‍ट में सर्वाधिक रन बनाने वाला भारत का दूसरा बल्‍लेबाज. जिसका घरेलू मैदान के बजाय विदेशों में औसत बेहतर रहा. एक खिलाड़ी जिसके पास बड़े मैचों के लिए खास धैर्य है.

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 ऐसे ही 'दि वॉल..' नहीं कहे जाते थे द्रविड़

राहुल सिर्फ एक दीवार नहीं थे, वे एक फौलादी दीवार थे. और फर्स्‍ट स्लिप में सुनील गावस्‍कर के पास सेकंड स्लिप में राहुल द्रविड़ से बेहतर कौन होगा.

मिडिल ऑर्डर:

सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली: सचिन अलग अलग परिस्थितियों में अपनी मर्जी के मुताबिक गियर बदल सकते हैं और मैच की तस्‍वीर भी. उन्‍होंने अपने कॅरिअर के सेकंड हॉफ में ज्‍यादा स्‍कोर करने के लिए भले अपने स्‍ट्रोकप्‍ले को सीमित किया, लेकिन इससे उनका खौफ कम नहीं हुआ. आपको बिलकुल दिमाग लगाने की जरूरत नहीं कि दुनिया में किसने सबसे ज्‍यादा रन बनाए, किसने सबसे ज्‍यादा शतक लगाए, या मैच पर तेंडुलकर से ज्‍यादा किसका असर रहा. नंबर 4 की पोजिशन पर वे जब चाहें अटैक कर सकते हैं और जब चाहे डि‍फेंसिव खेल सकते हैं.

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 टेस्ट में मिडिल ऑर्डर के लिए सबसे भरोसेमंद सचिन और सौरव

टीम की इस पोजिशन के लिए गांगुली शायद वीवीएस लक्ष्‍मण से थोड़ा ज्‍यादा उपयुक्‍त हैं. भारत की विजय पताका फहराने दोनों बढ़-चढ़कर हिस्‍सेदारी की. दोनों तेज गेंदबाजी और स्पिन को सहज और आक्रामक रूप से खेलते रहे हैं. लेकिन गांगुली इकलौते हैं, जो टीम को बाएं हाथ के बल्‍लेबाज के रूप में ताकत दे सकते हैं. क्‍या होगा जब विरोधी टीम के पास लेग स्पिनर होगा या लेफ्ट आर्म स्पिनर होगा, जो रफ से टर्न करा रहा होगा ? और शायद वे कप्‍तानी के भी दावेदार हों.

विकेटकीपर/बल्‍लेबाज

एमएस धोनी: विकेट के पीछे खड़े होने के लिए तो कई दावेदार हैं, लेकिन धोनी एक कंप्‍लीट पैकेज हैं. हालांकि, टेस्‍ट में उनकी बल्‍लेबाजी उतनी प्रभावी नहीं है, खासकर विदेशों में, लेकिन वे एक सेशन में पूरे खेल का स्‍वरूप बदल डालने की काबलियत रखते हैं. धोनी टीम के सबसे फिट खिलाडि़यों में से एक हैं, जो गांगुली की तरह टीम का नेतृत्‍व करने की भी क्षमता रखते हैं.

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 विजडन ने माना ड्रीम टेस्ट टीम (इंडिया) के कप्तान हैं धोनी

ऑलराउंडर:

कपिल देव: उनका खेल जादुई रहा है और वे एक लीजेंड हैं. अपने समय में कपिल ने टेस्‍ट क्रिकेट में सबसे तेज 50 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी बनाया. अपने कॅरिअर में उन्‍होंने कुल 434 विकेट लिए और 5000 टेस्‍ट रन बनाए हैं. वे जबरदस्‍त कैच ले सकते हैं, थ्रो कर सकते हैं, वे भारत के सर गैरी सोबर्स हैं.

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 भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे बेहतरीन ऑलराउंडर हैं कपिलदेव..

वे कपिल ही थे, जो उन्‍होंने 70 के दशक के आखिरी दौर में भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदल दिया. और 80 के दशक में दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ ऑलराउंडर का खिताब पाने के लिए सर इयन बॉथम, सर रिचर्ड हैडली और इमरान खान के साथ प्रतियोगिता करते रहे. ये कहा जाता रहा है कि वे केले का आकार बनाने वाले आउट स्विंगर सहज ही फेंक दिया करते थे.

तेज गेंदबाज:

जहीर खान और जवागल श्रीनाथ: दोनों में निखार कॅरिअर में थोड़ी देर से आया. वे नई और पुरानी दोनों गेंदों से घातक गेंदबाजी करते रहे हैं. सीम और स्विंग दोनों में माहिर. कपिल के साथ जहीर और श्रीनाथ की तिकड़ी किसी भी विपक्ष की कमर तोड़ने के लिए काफी है.

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 ये जोड़ी हो तो क्या बात हो...

स्पिनर्स :

अनिल कुंबले और हरभजन सिंह: कुछ बात हो सकती है अनिल कुंबले और बाएं हाथ के महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी के बीच लेकिन हरभजन की मैच विनिंग क्षमता (और 417 विकेट वाला कॅरिअर, भारत का तीसरा सर्वश्रेष्‍ठ) को नकारा नहीं जा सकता. कुंबले भारत के सबसे बड़े मैच विनर रहे हैं. कुंबले भले दाएं हाथ के बल्‍लेबाज के लिए मामूली लेग ब्रेक कराते हों, लेकिन लेकिन उनके पास सबकुछ है : जिद, कौशल और धैर्य. हरभजन थोड़ी वैरायटी दे सकते हैं, क्‍योंकि वे बल्‍लेबाजी भी कर सकते हैं. यह भूलना नहीं चाहिए कि वे 2001 की सीरीज के सबसे यादगार कोलकाता टेस्‍ट में ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ सितारा बनकर उभरे थे.

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 इनकी फिरकी का जवाब नहीं..

12वां

वीवीएस लक्ष्‍मण: वे जो भारत की सबसे मुश्किल और फेमस जीत में सितारा रहे हैं, भारत में और विदेशों में भी, भारत की कोई टेस्‍ट टीम लक्ष्‍मण के बिना पूरी नहीं हो सकती. यहां तो यही कहा जा सकता है कि वे अनलकी हैं इस 11 में जगह न पाने के लिए.

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 ड्रीम टीम की बात हो तो वेरी वेरी स्पेशल को अनदेखा कैसे किया जा सकता है..

वीवीएस लक्ष्मण 12वें खिला़ड़ी के तौर पर क्यों...क्या है जो गांगुली को उनसे ऊपर रखता है? देखिए ये वीडियो भी..

 

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लेखक

विक्रांत गुप्ता विक्रांत गुप्ता @vikrantjourno

लेखक आज तक न्‍यूज चैनल के स्पोर्ट्स एडिटर हैं

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