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Updated: 23 दिसम्बर, 2016 01:27 PM
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एक लड़का अपना फोन स्पीकर पर डालकर अपनी गर्लफ्रेंड से बात करता है और बगल में बैठे चार दोस्त चटखारे ले रहे हैं. ऐसा कई पुरुष भी करते होंगे. किस लड़की को पता होता है कि उसका दोस्त उसकी निजता को ऐसे भ्रष्ट कर रहा है. कैसे न पुरुष विश्वास खो दे स्त्री का. कैसे न कहें लोग अपनी बेटियों से कि लड़कों से बात मत करो, दोस्ती मत करो. 'मिल के मज्जे लेते हैं यार' टाइप इस घृणित हरकत का विस्तार गैंग रेप में ही होता होगा.

बुधवार रात फिर एक गैंगरेप गुड़गांव में हुआ है. इस साल, आज 23 दिसंबर तक, इस साल के 2000 से ज़्यादा रेप केस दर्ज हो चुके है. कितनी बार आंकड़े आ चुके हैं कि ज़्यादातर रेप जान पहचान के लोग, प्रेमी, रिश्तेदार ही कर रहे होते हैं.

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सबसे ज्यादा करीबी लोग ही यौन शोषण के दोषी पाए जाते हैं

आप कैसनोवा होंगे हुज़ूर, लेकिन एक अदद लड़की जो भरोसे में मारी जा रही है, जो प्यार में अपनी निजता को निर्वस्त्र हो जाने की हद तक सौंप दे रही है उसे नष्ट कर देने का अधिकार आपको किसी भी हाल में नहीं है. यह दिन रात उन्हें कान पकड़ के दो लाफ़े लगाते हुए उनके बाप को समझाने की जरुरत है.

और कितनी सख्त ज़रुरत है लड़कियों को यह समझने की कि जो प्रेमी तुमको अपनी जागीर समझने लगे, पल-पल की खबर रखे कहां कब उठती हो बैठती हो आती-जाती हो, जो अभद्र भाषा का इस्तेमाल करे, और सबसे बढ़कर तुम्हारे फोन चैट और निजी बातें सार्वजनिक करे उससे जल्दी पीछा छुड़ाओ और फिर भी समझो कि सस्ते में छूटे.

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अभी लड़कियों के लिए बराबरी के रास्ते बेहद कठिनाई भरे हैं कि हम अधकचरे समय में हैं जहां बहुत सारी तकनीक और खूब सारी आजादियों को हैंडल करना नहीं आता है लड़के-लड़कियों दोनों को ही. आत्मरक्षा में लगातार चौकन्ना रहना और जीभर जीना वाकई मुश्किल तो है ज़रा सोच कर देखिए. लेकिन, आजादी फिर भी बड़ी चीज़ है. जिन्दगी और बड़ी.

लेखक

सुजाता सुजाता @sujata.chokherbali

लेखक दिल्ली यूनिवर्सिटी में लेक्चरर हैं

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