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Updated: 02 अगस्त, 2017 08:13 PM
सरवत फातिमा
सरवत फातिमा
  @ashi.fatima.75
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कल जब मैं दिल्ली मेट्रो से राजीव चौक स्टेशन पर उतर रही थी तभी एक आदमी ने जानबूझ कर मुझे छुआ. मुझे ये समझने में दो सेकंड भी नहीं लगे कि आखिर उसका इरादा क्या है. आदत के अनुसार इसके बाद मेरे मुंह में जो सबसे पहली गाली आई मैंने उसे दे दी. बहन**. हाँ, हाँ, मुझे पता है कि 'अच्छी लड़कियों' को किसी भी अजनबी को इस तरह गालियां नहीं देनी चाहिए. लेकिन दिल्ली जैसे शहर में रहने के बाद ये उन पहली चीजों में से एक है जो लोगों के जिंदगी में घर कर लेती है.

मुझे माफ करिए लेकिन हम भारतीयों के मुंह से गाली का निकलना बिल्कुल नॉर्मल है. लेकिन मेरी चिंता का विषय कुछ और ही है इसलिए वापस उस घटना पर आते हैं. तो जैसे ही मेरे मुंह से गाली निकली, मुझे बाद में बहुत अफसोस हुआ. मेरे आस-पास खड़े लोगों ने मुझे घूरकर देखा. लेकिन सबसे जरूरी बात ये कि अनजाने में ही मैंने उस इंसान की बहन का अपमान कर दिया था. और तब मेरे मन में ये ख्याल आए:

Abuse, societyमां-बहन नहीं बाप-भाई को गालियां दो

गुस्सा निकालने के लिए मां-बहन का अपमान करना जरुरी है?

ईमानदारी से भारत में एक गाली बता दीजिए जिसमें किसी की मां या बहन या उनके प्राइवेट पार्ट शामिल नहीं हैं? दरअसल 99.9% गालियों में महिलाओं के शरीर के किसी न किसी अंग को ही टारगेट किया जाता है. और ये अपनेआप में घिनौना है. क्यूं? आखिर हर बहस और तर्क-कुतर्क में हमें किसी महिला के शरीर या उसकी इज्जत को बीच में लाने की जरुरत क्यों है? किसी पुरुष को नीचा दिखाने या उसे मात देने के लिए उसके घर की औरतों का अपमान करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है? यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल नहीं है कि क्यों...

क्योंकि घर की इज़्ज़त एक महिला की जिम्मेदारी है

भारत में, परिवार की प्रतिष्ठा को तोड़ने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? परिवार की महिलाओं के बारे में अफवाहें फैला दो. आखिर किसी न किसी तरह से घर-परिवार के इज्जत की पूरी जिम्मेदारी केवल महिलाओं के ही कंधों पर जो है. और हमारे यहां इज्जत का मतलब हुआ किसी महिला के प्राइवेट पार्ट! इसलिए ही तो किसी भी महिला के लिए गंदे और घिनौने शब्द बोलने में एक मिनट की भी देरी नहीं लगती. बस ऐसा करके आपने सामने वाले मर्द को हरा दिया क्योंकि और इस दुनिया में इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ और नहीं हो सकता.

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आखिर क्यों ये किसी मर्द को टारगेट नहीं करते?

ये एक ऐसी बात है जिसे हम शायद कभी नहीं समझ पाएंगे. आखिर क्यों पुरी दुनिया में ऐसी एक भी गाली नहीं बनी जिसमें किसी आदमी की कामुकता या उसके प्राइवेट पार्ट को टारगेट किया जाता हो? आखिर क्यों उन्हें भी महिलाओं की तरह एक वस्तु की तरह नहीं देखा जाता और उसी तरीके से उनका अपमान भी किया जाता है? ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुषों के शरीर और उसके अंगों के साथ किसी तरह की इज्जत या सेक्सुएलिटी जुड़ी हुई नहीं होती.

बाप भाई नहीं है घर पर?

कितनी बार आपने औरतों को पुरुषों से ये कहते हुए सुना है: माँ बहन नहीं है घर पर? ये बात बस उसे याद दिलाने के लिए कही जाती है कि उसे दूसरी औरतों का भी वैसे ही सम्मान करना चाहिए जैसे वह अपनी मां और बहन का सम्मान करता है. सिर्फ इतना ही नहीं मां-बहन सभी गालियों का पर्याय बन चुकी हैं. लेकिन एक ऐसी दुनिया की कल्पना करिए जहां मां-बहन शब्द को बाप-भाई से बदल दिया गया हो? जी हाँ, हर संभव गाली के बारे में सोचें और इसे पुरुषों से जोड़ दें. तब कैसा लगेगा सुनने में?

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#मां, #गाली, #समाज, Mother, Woman, Abuse

लेखक

सरवत फातिमा सरवत फातिमा @ashi.fatima.75

लेखक इंडिया टुडे में पत्रकार हैं

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