New

होम -> समाज

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 21 अक्टूबर, 2017 07:40 PM
अपूर्वा प्रताप सिंह
अपूर्वा प्रताप सिंह
  @apoorva.singh.2611
  • Total Shares

जो यहां बैठ के ताजमहल पर पंचायत कर रहे हैं, वो आगरा में खड़े हो के माइक पर यह सब बोल दें. हिन्दू-मुसलमान सब प्रकार के इतने जूते पड़ेंगे, कि बकलोली करने हेतु न ज़ुबान बचेगी न उंगलियां. आगरे वालों को बस इतना पता है कि आगरा का जो भी विकास हुआ है वो ताजमहल के कारण है. यहां के 60 प्रतिशत से भी ज्यादा गैर सरकारी लोगों को रोटी ताज देता है. ताजमहल पर निर्भरता यूं है कि यहां गरीब व्यक्ति भी नौकरी न पाने पर दुखी नहीं होता क्योंकि वो जानता है कि कुछ न किया तो ताजमहल पर बैठ जाएंगे.

ताज महल, आगरा, योगी आदित्यनाथ  वो समय आ गया है जब हमें आगरा को एक आगरा वासी की नजर से देखना चाहिए

कानपुर के रिक्शे और आगरे के रिक्शे वालों में मजदूरी का जो फर्क है वो सारी कहानी कहता है. कानपुर इतना बड़ा है कि इसमें तीन आगरा आ जाएंगे. पूरब का मैनचेस्टर कानपुर, क्या दशा कर दी राजनीति ने उसकी. आगरा पर राजनीति का उतना फर्क नहीं पड़ा क्योंकि ताज है यहां. ताज के कारण यहां कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है, प्रदूषण भी कम है. ताज खुद में बड़ी इंडस्ट्री है.

एक बात यह भी कि आगरा में जानते भी हो कि कितने पुराने चर्चेस और कोनवेंट्स हैं. तुम्हारे नए बसे शहर से भी बहुत पुराने, दिल्ली के लगभग सभी कॉलेजों से भी पुराने कॉलेज. अंग्रेजों ने क्यों चुना आगरा ? बुद्धि मोटी नहीं होगी तो पल्ले पड़ जायेगा. अपने यहां का सर्किट हाउस देखा है कभी ? और आगरा का देखा है ? कितना पुराना गोल्फ ग्राउंड है तुम्हारे शहरों में ? तुम्हारे बाजार, हमारे आगरे के बाजार की तरह इतिहास को समेटे खड़े हैं ? जब तुम्हारी पिछली पीढियां होटल के नाम पर सराय जानते थे, तब यहां पांच सितारा होटल खड़े हो चुके थे. कोई पिछली से पिछली पीढ़ी में पढ़ा-लिखा बचा हो तो उससे पूछना कि पहले नार्थ वेस्टटर्न इंडिया में उच्च पढ़ाई करने हेतु बच्चा कहां भेजा जाता था.

साल में कितनी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस होती है यहां ? साल भर में कितने तरीके के विदेशी सरगना और अफसर आते हैं यहां ? कोई दिल्ली में भले लैंड करे लेकिन गिरता आगरा में ही क्यों है? जगह- जगह का हैंडीक्राफ्ट क्यों नष्ट हो रहा है लेकिन अब तक हमारा गोकुलपुरा आबाद क्यों है?

ताज महल, आगरा, योगी आदित्यनाथ   कहा जा सकता है कि आगरा एक गंदी राजनीति का शिकार हो रहा है

कितनी संस्कृतियां मिलेंगी यहां, जो बताएंगी कि कोई शहर इतना लकी कैसे हो गया कि जो भी आया वो इसको बनाता गया. एक ऐसा शहर जो कुदरती रूप से खतरनाक जगह है, पानी खराब और कम है, जमीन और जगहों जैसी हर फसल के लिए उपजाऊ भी नहीं है.  बड़ा प्रतिशत दलितों पिछड़ों का यहां रहता है जो बेचारे शुरू से पढ़े लिखे भी नहीं थे, उनको लेकर यह शहर सेल्फ सस्टेनेबल कैसे बन गया ?

अब यह बन्द करो बकवास कि कौन कितनी मुहब्बत की निशानी है या शोषण की. ताजमहल एक बेहद छोटे शहर, आगरा की तरक्की की निशानी है. अगर कोई कल उसे गिरा भी दे तो उसके टूटे टुकड़े देखने को भी यही लाइन लगेगी जो आज लग रही है. पर विदेशों में मानसिक रोगों के रिसर्च में तुम जैसों पर थीसिस चलेगी. अंतिम बात, अगर कभी दूर किसी देश जाना और कोई तुम्हारे शहर को न पहचाने तो बोल देना आगरा से इतना उतना किलोमीटर दूर ! आगे तो तुम खुद ही घाघ हो.

ये भी पढ़ें -

ताजमहल के समर्थन में बाकी स्‍मारक धरना दे सकते हैं

ताजमहलः एएसआई को है निरि की एक रिपोर्ट का इंतजार

‘ताज महल’ हमारा अपना है!

लेखक

अपूर्वा प्रताप सिंह अपूर्वा प्रताप सिंह @apoorva.singh.2611

लेखिका राजनीति विज्ञान की छात्रा है जिन्हें समसामयिक मुद्दों पर लिखना पसंद है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय