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Updated: 23 अप्रिल, 2017 06:33 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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भारत का एक राज्य इस साल सूखे की ऐसी मार झेल रहा है कि उसके किसानों को दिल्ली में प्रदर्शन करना पड़ रहा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु की जो 140 साल में सबसे बड़े सूखे की मार झेल रहा है.

इस मामले में सभी पानी बचाने की कोशिश कर रहे हैं तो तमिलनाडु के मिनिस्टर सेल्लूर के राजू ने पानी बचाने की कोशिश के लिए एक अनोखा आइडिया निकाला. दरअसल, ये आइडिया था थर्माकॉल शीट की मदद से मदुरई के वैगई डैम के पानी को बचाने के लिए मिनिस्टर साहब ने 10 लाख रुपए खर्च कर दिए.

तमिलनाडुपहले थर्माकॉल को डैम में बिछाया गयाडैम के पानी को थर्माकॉल शीट से ढकने का ये आइडिया बहुत ही रोचक था. मिनिस्टर साहब 70 किलोमीटर दूर मदुरई से डैम तक पत्रकारों को भी ले गए अपने साथ और इस अनूठे प्रयोग को अच्छा खासा मीडिया इवेंट बना दिया. हालांकि, जैसे ही थर्माकॉल डैम में लगाए गए वैसे ही तेज हवाओं ने थर्माकॉल शीट को उड़ा दिया.

शीट को पूरी तरह से डैम में लगाने वाले वापस आ पाते उससे पहले ही हवा ने थर्माकॉल डैम की चारों तरफ बिखेर दिया. इसके बाद तो मिनिस्टर साहब ने एक बार और अपने हाथों से काम करने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे.

तमिलनाडुहवा के कारण डैम में थर्माकॉल उड़ गए

मिनिस्टर ने की पूरी कोशिश...

हालांकि, मिनिस्टर साहब का कहना है कि ये आइडिया उन्हें विदेशों से मिला है, लेकिन फिर भी मिनिस्टर साहब ने एक गलती कर दी. थर्माकॉल से चिड़ियाओं को नुकसान पहुंच सकता है. मिनिस्टर साहब ने इसे भले ही एक मीडिया इवेंट बना दिया हो, लेकिन सोशल मीडिया पर जो लोग इसका मज़ाक उड़ा रहे हैं उन्हें बता दूं कि ये आइडिया एकदम खराब नहीं था जितना सोचा जा रहा है.

पहले भी हुए हैं ऐसे एक्सपेरिमेंट...

ऐसे सफल एक्सपेरिमेंट पहले भी हो चुके हैं और उनमें बॉल्स का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, शेड बॉल को बनाया ही इसलिए गया है ताकी पानी को बचाया जा सके और पक्षियों को टॉक्सिक पानी से दूर रखा जा सके. ये प्लास्टिक बॉल होती हैं जिनसे पानी को ढक दिया जाता है.

लॉस एन्जिलिस में अगस्त 2015 में ऐसा ही एक एक्सपेरिमेंट हुआ था. 96 मिलियन (9 करोड़ 60 लाख) प्लास्टिक की काली बॉल्स (शेड बॉल्स) का इस्तेमाल करके तालाब के पानी को ढका गया था. ये एक सफल एक्सपेरिमेंट साबित हुआ जिसमें तालाब से काई भी कम हुई और पानी भी वाष्प बनने से बच गया. हालांकि, इसे भी 100 प्रतिशत सफल नहीं कहा जा सकता क्योंकि ऐसा करने से पानी में बैक्टीरिया बन गया था फिर भी इस तरह का एक्सपेरिमेंट पानी बचाने के लिए किया जा चुका है.

अमेरिका में हुआ ये एक्सपेरिमेंट...

हालांकि, इस बात का कोई उदाहरण नहीं है कि थर्माकॉल का इस्तेमाल करके पानी को बचाया गया हो, लेकिन फिर भी अगर आपको लगता है कि तमिलनाडु के मिनिस्टर ने एकदम ही बेवकूफाना काम किया तो ये गलत है.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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