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Updated: 30 सितम्बर, 2016 07:29 PM
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हर साल की तरह इस साल के नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए गहमा गहमी शुरू हो गई है. 7 अक्टूबर को नोबेल पीस प्राइज की घोषणा होनी है लेकिन संभावित दावेदार को लेकर अटकलें लगातार जारी हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुरस्कार के लिए इस बार रिकॉर्ड 376 नामांकन दर्ज किए गए. इसमें 228 व्यक्तिगत जबकि 148 वैसी संस्थाओं के नाम हैं जो मानवता के हित में काम करती रही हैं. इससे पहले 2014 में सबसे ज्यादा 278 उम्मीदवार मैदान में थे. उस साल भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को इन पुरस्कारों से नवाजा गया था. ऐसे में सवाल है कि क्या इस बार भी किसी भारतीय को नोबेल पुरस्कार मिलेगा ?

इस बारे में अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी. दरअसल, नोबेल पुरस्कारों की पूरी प्रक्रिया बेहद गुप्त रखी जाती है. इतनी गुप्त कि जिन्हें पुरस्कार के लिए नामांकित किया जाता है, उनके नाम का भी खुलासा नहीं किया जाता. न ही पुरस्कारों से पहले न ही उसके बाद. इन नामों को 50 वर्षों तक गुप्त रखा जाता है, उसके बाद आधिकारिक तौर पर आप जान पाते हैं कि फलां वर्ष के लिए फलां व्यक्ति को नामांकित किया गया था. हालांकि, अगर नामाकंन कराने वाले ने खुद ही अगर खुलासा कर दिया तो अलग बात है.

बहरहाल, 2016 के लिए कौन सी हस्तियां मैदान में है.. इसे लेकर दुनिया भर में अटकलें लगाई जा रही हैं. कई बेटिंग वेबसाइट्स ने इस बार के नोबेल शांति पुरस्कार के प्रबल दावेदार की लिस्ट जारी की है. आईए, जानते हैं...

पोप फ्रांसिस- रोमन कैथलिक चर्च के मौजूदा और 266वें पोप के बारे में कहा जाता रहा है कि वे पिछले साल और फिर 2014 में भी नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए नामांकित हो चुके हैं. हालंकि आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता. लेकिन इस बार उनकी दावेदारी पक्की मानी जा रही है. कहा जाता है कि कोलंबिया में पिछले कुछ वर्षों में आई शांति में पोप फ्रांसिस का रोल अहम रहा.

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कोलंबिया की शांति में निभाई अहम भूमिका

गौरतलब है कि हाल में कोलंबिया में फार्क विद्रोहियों के साथ एतिहासिक समझौता परवान चढ़ा और इसे बड़ी सफलता माना जा रहा है.

श्रीश्री रविशंकर- बहुत पुख्ता तौर पर तो नहीं, लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र है कि 2012 से कोलंबिया में शांति के लिए आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने सार्थक प्रयास किए हैं. वहां की सरकार ने पिछले ही साल श्रीश्री को वहां के उच्चतम नागरिक पुरस्कार 'ऑरडेन डे ला डेमोक्रिसिया सिमोन बोलिवर' से सम्मानित किया था.

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हमारे श्री श्री भी हैं दावेदार

दरअसल, ऐसी खबरें आई हैं कि कोलंबिया में शांति समझौते के लिए काम करने वालों को नोबेल पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया है. इसलिए पोप फ्रांसिस और श्रीश्री का नामों पर चर्चा हो रही है.

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नादिया मुराद- कभी आतंकी संगठन ISIS के चुंगल में फंसने के बाद तीन महीने तक सेक्स गुलाम बनकर रहने वाली नाडिया यजीदी समुदाय से आती हैं. हाल ही में यूनाइटेड नेशंस ने मानव तस्करी और सेक्स स्लेवरी के खिलाफ नादिया को गुडविल एंबेसडर चुना है.

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ISIS की सोच को चुनौती देतीं नादिया

ISIS के चुंगल से भागने में सफल रहीं नादिया ने साल 2015 में यूनाइटेड नेशंस सिक्यूरिटी काउंसिल को संबोधित करते हुए अपनी आपबीती सुनाई थी जिसे सुनकर पूरी दुनिया दंग रह गई थी.

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अफगान महिला साइकलिंग टीम- महिलाओं की ये खास साइकलिंग टीम 2013 में तब चर्चा में आई जब इन लड़कियों ने दिल्ली में हुए एशियन साइकलिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया. 1986 के बाद ये पहला मौका था अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अफगानी महिलाएं अपना लोहा मनवा रही थीं. अफगानिस्तान जैसे देश में ये केवल साइकलिंग नहीं कर रहीं, बल्कि महिलाओं से जुड़ी कई धारणाओं और वर्जनाओं को तोड़ रही हैं.

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अफगान महिलाओं की पहचान बदलने को बेचैन ये लड़कियां

इन्हें इटली के सासंदो ने नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया है.

ऐंगेला मर्केल- यूरोप में तमाम दबाव और कई देशों के विरोध के बावजूद जर्मनी की चांसलर ऐंगेला मर्केल ने जिस प्रकार रिफ्यूजियों का दिल खोलकर स्वागत किया और अपने देश के दरवाजे खोले, वो निश्चित रूप से उन्हें भी नोबेल पुरस्कार की दावेदारी में ले आया है. बताया जाता है कि वो भी अहम उम्मीदवारों में शामिल हैं.

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शरणार्थियों के लिए मसीहा

डोनाल्ड ट्रंप- ये नाम चौंकाने वाला जरूर है लेकिन इसकी चर्चा भी खूब है. ट्रंप मुस्लिम विरोधी बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. उनकी एक छवि सनकी, गुस्सैल और महिलाओं के साथ अभद्रता से पेश आने की भी रही है. लेकिन इसके बावजदू उनका नाम पुरस्कार की दौड़ में शामिल बताया जाता है. ISIS, इस्लामी कट्टरपंथ, चीन, ईरान जैसे खतरों से निपटने के लिए मजबूत विचारधारा सामने रखने के कारण ट्रंप को इस पुरस्कार का दावेदार बताया जा रहा है.

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सबसे चौंकाने वाला दावेदार..

वैसे, केवल बातों के दम पर अगर नोबेल मिलता है, तो ये वाकई दिलचस्प होगा. यह भी साफ नहीं है कि उनके नाम का प्रस्ताव किसने भेजा है. भेजा भी है या नही.

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इरोम शर्मिला- मणिपुर की आयरन लेडी के तौर पर पहचानी जाने वाली इरोम ने इसी साल अगस्त में अपनी 16 साल चली लंबी भूख हड़ताल को खत्म किया. इरोम के बारे में कहा जाता है कि वह 2005 में नोबेल पुरस्कारों के लिए नामांकित हुई थीं.

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इरोम के संघर्ष को मिलेगा सबसे बड़ा पुरस्‍कार?

वैसे, इस बार क्या वे पुरस्कार की दौड़ में शामिल हैं या नहीं, ये देखना होगा. दरअसल, हर साल के लिए 1 फरवरी उम्मीदवारों के नामांकन की आखिरी तारीख होती है. इस लिहाज से लगता नहीं कि इरोम चर्चा में होंगी.

ग्रीक द्वीपों के निवासी- ग्रीक द्वीप के निवासियों को शरणार्थियों की मदद के लिए यह पुरस्कार देने के लिए कई देशों से प्रस्ताव आए हैं. इनके समर्थन में कई ऑनलाइन अभियान भी चलाए गए हैं.

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इनके प्रयासों को मिलेगी पहचान?

इन निवासियों में वे मछुआरे भी हैं जिन्होंने अपना काम छोड़ कर समुंद्र में लोगों को बचाने का काम किया और साथ ही कई दूसरे लोग भी.

इन सबके अलावा भी कई संस्थाएं और लोग हैं, जिन्हें नोबेल पुरस्कार का दावेदार बताया जा रहा है. दरअसल, नोबेल पुरस्कारों को लेकर किसी भी प्रकार की भविष्यवाणी बेहद कठिन काम है. कई बार ऐसे ऐसे शख्स का नाम सामने आता है, जिसके बारे में कोई बात ही नहीं हो रही होती है. मसलन 2014 में ही जब कैलाश सत्यार्थी का नाम सामने आया तो वो सबको चौंका गया. इस लिहाज से इंतजार सात अक्टूबर तक करना ही होगा.

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