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Updated: 24 अगस्त, 2016 11:23 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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देश के दो महान विश्वविद्यालय, एक जेएनयू और दूसरा बीएचयू. इस हफ्ते दोनों खबर की सुर्खियां रही. खबर आई कि जेएनयू में एक छात्रा को नशे में धुत कर उसके साथ बलात्कार किया गया. वहीं बीएचयू में एक छात्र को 10 दिन पहले बंधक बनाकर शराब पिलाई गई और चलती कार में उसका सामूहिक बलात्कार किया गया.

बलात्कार जेएनयू में

यहां हुए बलात्कार की घटना पर आइडियोलॉजी भारी पड़ गई. एक वामपंथी स्टूडेंस पार्टी आइसा के वरिष्ठ कॉमरेड ने अपनी काम मिमांसा का परिचय दिया और महिला छात्र को नशे में धुत्त कर उसकी इज्जत लूट ली. विपक्षी दलों ने बलात्कार पीड़िता के साथ हुई शर्मसार करने वाली पूरी घटना को किनारे कर वामपंथी दलों पर निशाना साधा कि ऐसा कृत्यर उस आइडियोलॉजी की देन है.

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

खुद जेएनयू छात्र संघ की कभी अध्यक्ष रही कविता कृष्णन ने पहली बार बलात्कार के किसी मामले में एक सधा हुआ बयान दिया. और बयान के बाद तो उनका फेसबुक अकाउंट मानो मामले को भूलने की कवायद पर लग गया है. हालांकि कविता ने माना कि उनके लिए बड़े शर्म की बात है जब कंधे-से-कंधा मिलाकर चलने वाला कोई साथी कॉमरेड ऐसे शर्मसार करने वाले कृत्य में आरोपी पाया गया है.

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वहीं गैर-वामपंथी दलों के बयानों से साफ समझ आ रहा है कि इस घटना में आरोपी का लेफ्टिस्ट होना उनके लिए कोई सौगात लेकर आया है. इस बीच एक सवाल किसी ने नहीं पूछा. न तो वामपंथियों ने और न ही वामपंथियों के विपरीत दिशा में खड़े किसी ने. कि आखिर इस विश्वविद्यालय में पढ़े-लिखे लोगों की कतार में लगकर कैसे कोई बलात्कारी घुस आया? क्या विश्वविद्यालय आने से पहले उसमें ऐसी विकृति मौजूद थी? क्या यह विकृति उसमें विश्वविद्यालय से पहले स्कूली शिक्षा के दौरान आ गई थी? या वह विश्वविद्यालय आकर इसमें ग्रेजुएट हुआ?

बलात्कार बीएचयू में

एमए प्रथम वर्ष के एक लड़के को एमए फाइनल के पांच छात्रों ने उस वक्त बंधक बना लिया जब वह परिवार में किसी की बीमारी के चलते बीएचयू के एक छात्रावास जा पहुंचा. पीड़ित छात्र को पहले जबरन शराब पिलाई गई और फिर कैंपस के अंदर चलती कार में बारी-बारी से पांचों आरोपियों ने उसका बलात्कार किया. कैंपस के बाहर तैनात लंका पुलिस को अभीतक समझ नहीं आ रहा है कि इस बलात्कार की जांच को आगे कैसे बढ़ाया जाए. विश्वविद्यालय प्रशासन कह रहा है कि मामला उसके संज्ञान में है और वह पुलिस की जांच का इंतजार कर रही है.

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बीएचयू कैंपस

बनारस में कहा जाता है कि पंडित ‘महामना’ मदन मोहन मालवीय ने गुलाम भारत में लोगों से भीख मांग-मांग कर 1916 में इस विश्वविद्यालय की नींव रखी. उनका मानना था कि देश को आजाद कराने के लिए हिंदुओं को शिक्षित करने की जरूरत है. वह शिक्षित गुलामी की जंजीरों को तोड़ देगा. लेकिन यहां कि घटना भी जेएनयू की तरह शर्मसार करती है.

जेएनयू जैसा सवाल बीएचयू पर भी उठ रहा है.

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सिर्फ जेएनयू और बीएचयू ही क्यों?

जेएनयू की घटना के बाद जहां बलात्कार को आइडियोलॉजी का रंग दिया गया तो सोशल मीडिया पर किसी ने तंज कसा कि यदि यह घटना अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में घटती तो आज देश सुलग उठा होता. जेएनयू और बीएचयू पर उठे सवालों का जवाब खोजने से पहले एक बात साफ है कि इन दोनों विश्वविद्यालयों के साथ-साथ देश के किसी शिक्षण संस्थान में बलात्कार करने की शिक्षा नहीं दी जाती है. यह समाज में विकृति है जिसे हम समय रहते पकड़ पाने में असफल हो रहे हैं और इस विकृति से ग्रस्त लोग समाज को और देश को शर्मसार कर रहे है. इस विकृति को सीधे और साफ शब्दों में कहा जाए तो यह सेक्स की भूख है जिसे शिक्षित मूर्ख शांत करने के लिए विश्वविद्यालय और कॉलेज पहुंच रहे हैं. हमारी विफलता इन विकृतियों को समय रहते चिन्हित करने में है. अब ये आरोपी गुनहगार होने की कगार पर हैं और आरोप साबित होने पर उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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