सरेआम जान चले जाना तमाशा कैसे है ?
जंतर मंतर पर जिस तरह से किसान गजेंद्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी, वैसा ही कुछ नगर निगम दफ्तर पर भी होते होते रह गया. पर अगर कोई अनहोनी हो गई होती तो जिम्मेदार कौन होता?
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बीते 8-9 दिनों से पूर्वी दिल्ली निगम के कर्मचारी हड़ताल पर हैं. सरकार से अपनी मांगों के लेकर संघर्ष कर रहे हैं. दिल्ली के पूर्वी इलाके में चारों और कूड़ा फैला हुआ है. मगर कल एक सफाई कर्माचारी प्रदर्शन करते करते निगम की छत पर जा पहुंचा. वहां से कूदने की धमकी देने लगा. पुलिस भी देखती रही. दमकल की गाड़ियां भी मौके पर लगा दी गई.
इस तस्वीर को देखिये ये शख्स किस तरह पैर लटका कर इमारत के सबसे ऊपर बैठा हुआ है. भगवान न करें अगर इस शख्स का पैर ही फिसल जाता तो कौन जिम्मेदार होता ?
अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे एमसीडी कर्मचारी |
ऐसा ही एक हादसा जंतर-मंतर पर भी हुआ था. जब आम आदमी पार्टी भूमि अधिग्रहण बिल पर प्रदर्शन कर रही थी. वहीं पर देखते ही देखते एक गजेंन्द्र नाम का शख्स जो कि एक किसान नेता था, पेड़ पर चढ़ गया, चीखने लगा और देखते ही देखते फांसी का फंदा तैयार कर लिया. और आखिर में हजारों लोगों के सामने फांसी पर झूल गया. ना पुलिस कुछ कर पाई और न ही मीडिया और न ही आम आदमी पार्टी.
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किसान गजेंद्र ने पेड़ पर फांसी लगाकर दे दी थी जान |
अब जरा सोचिए कि 50-60 मीटर ऊंची इस इमारत से वो शख्स अगर कूद जाता तो कौन जिम्मेदार होता. हां, मगर उसके बाद निगम से लेकर पुलिस पर सवाल खड़े हो जाते. देश भर के मीडिया चैनलों पर बसह शुरु हो जाती. लेकिन शुक्र है कि ऐसा हादसा होने से बच गया. 4 घंटे बाद वो सफाई कर्मचारी सही सलामत नीचे आ गया. फिलहाल सफाई कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आत्मदाह करने की भी धमकी दे रहे हैं.
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