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Updated: 17 फरवरी, 2017 02:21 PM
सोनाक्षी कोहली
सोनाक्षी कोहली
 
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90 के दशक की फिल्मों को देखकर बड़े होने वाले लोगों के लिए प्यार और रोमांस का पूरा डेफिनेशन ही अलग होता है. मैं भी एक हार्डकोर रोमांटिक लड़की हूं. 90 के दशक की फिल्मों की तरह मेरे सपनों के राजकुमार का मेरी ज़िंदगी में आना जैसी बातों पर मैं आंख मूंद कर भरोसा करती हूं. लेकिन मेरे इस सपनों की दुनिया में एक ट्विस्ट है. बहुत ही कड़वा सा ट्विस्ट. मुझे अपनी जिंदगी में लड़का तो फिल्मों के लवर ब्वाय राज या प्रेम जैसा ही चाहिए. लेकिन मैं फिल्मों वाली सिमरन नहीं हूं. वो हिरोईन जो चुपचाप हर बात और अन्याय को सह लेती है. मैं बिल्कुल भी ऐसी नहीं हूं. 

ऐसा भी नहीं है कि मुझे शादी से कोई परहेज है. लेकिन शादी मैं तभी करुंगी जब मेरे कुछ सपने उन्हें पूरा कर लूंगी. अपने आस-पास होती शादियों को और उसमें की गई फिजूलखर्ची के कारण मुझे आज की शादी कराने के तरीके से दिक्कत जरुर है. मैं बिल्कुल नहीं चाहती की मेरी शादी एक ऐसी फिजुलखर्ची, दिखावे वाली हो जिसके बाद मेरे और मेरे घरवालों की कमर ही टूट जाए. 

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शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची का हिसाब शादी की तैयारियों के साथ ही शुरू हो जाता है. किसी भी शादी का पहला कदम शुरु होता है शादी के कार्ड छपवाने और बांटने से. शादी के फैन्सी कार्ड छपवाए जाते हैं. कार्ड के साथ मेहमानों को महंगी वाइन की बोतल और महंगे चॉकलेट दिए जाते हैं. वाइन की बोतल! उस बेटी की शादी के लिए जिसे पूरी दुनिया में आपने एक 'संस्कारी और गुणवती' लड़की की तरह पेश किया है. जिस बेटी के बारे में आपने लोगों को कहा है कि वो दारू के बारे में जानती भी नहीं उसी की शादी में आप लोगों को वाइन के बोतल के साथ बुलावा देते हैं! 

शादी का समारोह भी एक दिन का नहीं बल्कि 10 दिनों का लंबा और खर्चीला जलसा होता है. मुझे नहीं पता इस ताम-झाम के कारण उनके पॉकेट पर कोई असर पड़ता है या नहीं पर मेरा हाल जरुर बुरा हो जाता है. 10 दिन में दस फंक्शन होते हैं जिनमें पहनने के लिए मुझे अलग-अलग कपड़े चाहिए होंगे. वो भी महंगे डिजाइनर वियर. अगर इतना ही काफी नहीं है तो आगे सुनिए. शादियों में जाने का मतलब है अब आपके हर एक्टिविटी पर पैनी नजर रखी जाएगी. आखिर अब आप कितनी बड़ी हो गई से शादी कब करोगी की उम्र में पहुंच चुकी हैं! खुदा ना खास्ता अगर किसी को उनकी चाची की बेटी के कजिन के बेटे के लिए पसंद आ गईं, फिर तो बस आप किस तरीके से सांस लेती हैं का भी हिसाब रखा जाएगा. 

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शादी का माहौल हो और पैसे ना उड़ाए जाएं ऐसा तो हो नहीं सकता ना! पता नहीं कहां से कुछ लोगों के अंदर धीरूभाई अंबानी की मिलकियत निकल आती है. बैंड वालों, डीजे वालों पर पैसों की ऐसी बरसात होती है. मैं कभी-कभी कनफ्यूज हो जाती हूं सरकार और RBI ने इनके लिए पैसे निकालने की लिमिट 20 लाख तो नहीं कर दी! इतने के बाद जब बारी आती है दूल्हा और बारातियों के स्वागत की तो लड़की का पिता अपने प्यारे दामाद को महंगे तोहफे देते हैं. दें भी क्यों ना आखिर बेटी का भगवान है! इस महंगे तोहफे को दरवाजे पर ही सजा कर रखा जाता है. ताकि शादी में आने वाला हर मेहमान जान जाए की दामाद को कितना कीमती तोहफा दिया है. 

लेकिन मैं ये कहना चाहती हूं कि अंकल जी जब आप खुशी में डांस फ्लोर पर खुशी में बल्ले-बल्ले कर रहे थे, तो आपके कुरते के नीचे से फटा हुआ बनियान झांक कर सारी सच्चाई बयान कर रहा था. अंकल अगर आपको खर्च करना ही है तो ये पैसे किसी जरुरतमंद को दिजीए. उनकी दुआओं की शक्ति से जो खुशी आपको मिलेगी वो ऐसी कई शाही शादियों पर भारी पड़ेगी. 

बंद करें ये दिखावा, ये पाखंड, ये ढोंग.

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#शादी, #दुल्हा, #दुल्हन, Lavish Marriages, Big Fat Wedding, Bride

लेखक

सोनाक्षी कोहली सोनाक्षी कोहली

सोनाक्षी कोहली एक युवा पत्रकार हैं और पितृसत्तात्मक समाज पर व्यंग्य के रुप में चोट करती हैं

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