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Updated: 28 अप्रिल, 2017 10:31 PM
मनीष दीक्षित
मनीष दीक्षित
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दुनिया के कठिनतम इम्तिहानों में इंजीनियरिंग की दाखिला परीक्षा आईटीटी जेईई भी शामिल है. इसमें सौ फीसदी अंक लाकर 17 साल के कल्पित वीरवाल ने जो कारनामा किया है वो रिकॉर्ड से कहीं आगे की चीज है. जेईई मेंस और एडवांस दोनों का पेपर आईआईटी के दिग्गज तैयार करते हैं. और ये पेपर इसलिए तैयार नहीं किए जाते कि कोई 16-17 साल का लडक़ा उसे आसानी से हल कर ले. पूरा हल करने की बात छात्र सोच भी नहीं सकते. कल्पित ने आईआईटी के इंजीनियरिंग स्कॉलर्स की उस सोच को चुनौती दी है जो सवालों को टीनएजर्स के लिहाज से कठिन मानती रही है.

जेईई मेंस का पेपर सेट करने वाले इससे कतई खुश नहीं होंगे कि एक लड़का सभी सवाल हल कर दे. इसका असर ये होगा कि अगले साल का जेईई मेंस का पेपर कहीं कठिन आएगा और कट ऑफ भी और नीची रहेगी. देश की कठिनतम परीक्षाओं में यूपीएससी, चार्टर्ड एकाउंटेंसी, एक्वस दाखिला परीक्षा, गेट (ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग) समेत जेईई में अब तक सौ फीसदी अंक लाने का दृष्टांत नहीं मिला है. इस लिहाज से कल्पित ने अक्ल की वो दीवार तोड़ दी है जो उससे ज्यादा काबिल इंजीनियरों ने उसकी उम्र के बच्चों के लिए खड़ी की थी. चार्टर्ड एकाउंटेंसी की परीक्षा पास करना आईआईएम पासआउट की तरह शानदार करियर की गारंटी होती है. लेकिन दुनिया में इससे भी कठिन परीक्षाएं हैं.

आईआईटी, परीक्षा, इंजीनियरिंगकल्पित ने सबकी कल्पना से परे प्रदर्शन किया

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ऑल सोल्स कॉलेज फेलोशिप का इम्तिहान कठिनतम माना जाता है जिसमें हिस्सा लेने वालों को एक शब्द दिया जाता है और उस पर पूरा लेख लिखना होता है. कठिनाई ये है कि परीक्षा सिर्फ दो सीटों के लिए होती है. इसलिए सटीक तथ्य और भाषा की शुद्धता के अलावा पैना नजरिया भी देखा जाता है. लेकिन ये भी कुछ नहीं है.

दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा कोर्ट ऑफ मास्टर सोमेलियर्स को कही जाती है. चालीस साल से ज्यादा वक्त हो गया इस परीक्षा को होते हुए, लेकिन अब तक सवा दो सौ से कुछ ज्यादा लोग ही इस परीक्षा को पास कर सके हैं. भारत में ये परीक्षा नहीं होती और न ही यहां के किसी शख्स ने इसे पास किया है. लेकिन इसे सबसे कम उम्र में पास करने वाली अल्पना सिंह फिजी मूल की भारतीय अमेरिकी हैं.

आईआईटी, परीक्षा, इंजीनियरिंगकल्पित के कल्पना की उड़ान

2003 में शेफ पिता की बेटी अल्पना ने ये परीक्षा 21 साल की उम्र में पास की थी. सोमेलियर का शाब्दिक अर्थ वाइन परोसने वाला होता है. इस परीक्षा में तीन चरण होते हैं थ्योरी, सर्विस और ब्लाइंड टेस्ट. पहले दो दौर लोग फिर भी आसानी से पास कर जाते हैं. थ्योरी में लिखित परीक्षा और सर्विस अर्थात किस खाने के साथ कौन सी वाइन परोसना है या शराब की खूबियों और मिलाने आदि से जुड़ी बातें पूछी जाती हैं. लेकिन इंसान फंसता तीसरे टेस्ट में है. इस ब्लाइंड टेस्ट में छह तरीके की वाइन टेस्ट करने के लिए दी जाती है. परीक्षार्थी को ये बताना होता है कि वाइन किस वैरायटी के अंगूर से किस साल में बनी है. ये अंगूर किस इलाके में होता है और किस मौसम में होता है.

वेटर से कैरियर शुरू करने वाली अल्पना सिंह ये परीक्षा पास कर शिकागो में जानी मानी टेलीविजन हस्ती भी बन चुकी हैं और एक शराब कंपनी में निदेशक भी हैं. इस परीक्षा की तैयारी में लोगों को खर्च भी काफी करना पड़ता है. इसे पास करने वाले को शराब बनाने से लेकर पिलाने तक का उस्ताद कहा जाता है. दुनिया की नामी शराब कंपनियां और बार चेन इन्हें जॉब देती हैं.

चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट की परीक्षा पास करना आज की दुनिया में सबसे बड़ी कामयाबी कही जा सकती है. ये परीक्षा अमेरिका की संस्था सीएफए इंस्टीट्यूट कराती है. सीएफए चार्टहोल्डर निवेश और वित्तीय मामलों का ज्ञाता माना जाता है और मॉर्गन स्टेनली, जेपी मॉर्गन, यूबीएस जैसी दुनिया की तमाम दिग्गज कंपनियों में इन्हें हाथोंहाथ लिया जाता है. परीक्षा के तीन चरण होते हैं. भारत के प्रमुख शहरों में इसकी परीक्षा होती है. इसे भारत में सीए की परीक्षा से एक कदम आगे का इम्तिहान कहा जा सकता है.

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लेखक

मनीष दीक्षित मनीष दीक्षित @manish.dixit.39545

लेखक इंडिया टुडे मैगज़ीन में असिस्टेंट एडिटर हैं

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