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Updated: 10 अगस्त, 2017 07:53 PM
संजना अग्निहोत्री
संजना अग्निहोत्री
 
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"आखिर लड़के अपनी हवस को अपने तक क्यों नहीं रख सकते हैं? क्या कभी लड़कों को कभी ये बताया जाता है कि वो कैसे कपड़े पहनें या रात को घर से बाहर निकलने से मना किया जाता है? फिर महिलाओं के बारे में यह तर्क कैसे सही हो सकते हैं?"

यही वो ट्वीट जो मैंने @simonpaul0720 नाम के ट्विटर हैंडल को यूज करने वाले को रिप्लाई किया था. चंडीगढ़ के मामले पर अभिनेता किरण खेर ने एनडीटीवी को कहा था कि "लड़कियों को नहीं, बल्कि लड़कों को घर में रखें". @simonpaul0720 ने एनडीटीवी के ट्वीट पर रिप्लाई किया कि "लड़कियों और माताओं" को सड़कों पर चलते हुए ढंग के कपड़े पहनने चाहिए. उसे लगता है कि महिलाओं को ढंग से रहना चाहिए ताकि उनके साथ "छेड़खानी, उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न, बलात्कार और हत्या" जैसी घटनाएं ना हों.

जब मैंने आगे और पढ़ा तो पाया तो इस तरह के आपत्तिजनक ट्वीट की एक पूरी लड़ी ही लगी थी. ऐसा नहीं है कि इस तरह के कमेंट या ट्वीट से मेरा कोई पहली बार सामना हुआ था. लेकिन हर बार कि तरह की तरह इस बार मैंने इस मॉरल पुलिसिंग को नजरअंदाज करने के बजाए जवाब देने का फैसला किया और उसके मुझे जो जवाब मिले वो चौंकाने वाले हैं.

हालांकि मैं किरण खेर की उस बात से इत्तेफाक नहीं रखती की लड़कियों के बजाय लड़कों को रातों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. क्योंकि ये किसी समस्या का समाधान नहीं है. लेकिन फिर भी देखिए मुझे जो जवाब मिले उनकी एक बानगी-

एक ट्विटर यूजर ने लिखा, "नागरिकों की सुरक्षा, कानून लागू करने वालों का कर्तव्य है... लड़कों को जब भी चाहें जहां चाहें, जाने का अधिकार प्राप्त होता है. कोई भी लड़कों को कुछ नहीं कह सकता."

एक ने लिखा- "लड़कों को किसी बात के लिए दोष मत दीजिए... कानून लागू करने वाले को दोषी ठहराइए... किसी भी इंसान चाहे लड़की हो या फिर लड़का उसकी सुरक्षा में मुद्दे पर अपनी राय रखने के लिए हर को स्वतंत्र है."

एक और जनाब ने लिखा- "थोड़ी के लिए ठहरकर आस-पास में नजर घुमाओ और देखो कि आजकल की लड़कियां कैसे कपड़े पहनती हैं. खासकर के शादीशुदा लड़कियां. कपड़े तन को ढंकने के लिए होते हैं दिखाने के लिए नहीं."

कुछ समय बाद थककर मैंने जवाब देना ही बंद कर दिया, लेकिन एक ट्वीट ने बेहुदगी की सारी सीमा पार कर दी और जिसे नजरअंदाज करना नामुमकिन था. ट्विटर पर खुद को सुल्तान कहने वाले इस शख्स ने जवाब दिया कि-

 tweet, troll, twitter

ये ट्वीट साफ तौर पर साइबर बुलीइंग यानी सोशल मीडिया पर धमकाने और उत्पीड़न के दायरे में आता है. पहले तो मैंने इस अनदेखा किया लेकिन उसका ये भद्दा कमेंट मेरे दिमाग के किसी कोने में मुझे चोट किए जा रहा था. मैं परेशान हो रही थी कि आखिर इतना गंदा कमेंट करके वो कैसे आराम से बचकर निकल जाएगा.

इसलिए सुबह ऑफिस आकर मैंने इसे अपने एडिटर को दिखाया. उन्होंने इस घटना को यूपी और नोएडा पुलिस को टि्वीट किया. इसके बाद मैंने भी इस बेहूदा ट्वीट के स्क्रीनशॉट को पोस्ट करने और यूपी पुलिस को टैग करने का फैसला किया. जब मेरे एडिटर ने उसे बताया कि इस तरह के ट्वीट को पोस्ट करने के लिए उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है तो वो मिस्टर सुल्तान भड़क गया और उल्टा मेरे एडिटर को ही धमकी देने लगा.

उसने मेरे एडिटर को दोषी ठहराते हुए धमकी दी और कहा, "ओके विवेक. तुमने अपने ट्वीट के जरिए मुझे डराया-धमकाया है. अब मैं जो भी कदम उठाऊंगा उसके लिए तुम जिम्मेदार होगे".

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जल्दी ही नोएडा पुलिस ने मुझसे निकटतम थाने में एक लिखित शिकायत दर्ज करने के लिए कहा. इसके बाद पूरा माजरा ही बदल गया. ये तो भगवान ही जाने की वो सच में शर्मिंदा है या फिर डर से उसके अंदर की नैतिकता जाग गई. लेकिन अब सुल्तान मुझसे और मेरे एडिटर से माफी मांगने लगा. और एक बार नहीं बल्कि ट्वीट और मैसेज की झड़ी लगाकर वो माफी की गुहार लगाने लगा. उसने मेरे एडिटर को मांफी के मैसेज भेजे. 

उसने मेरे एडिटर को लिखा- "भाई, मैं अपने सारे ट्वीट के लिए माफी मांगता हूं. आगे से तुम मेरा कोई भी भद्दा ट्वीट नहीं पढ़ोगे." अबतक सुल्तान डर गया था. लेकिन उसने मुझे जो बेहूदा ट्वीट किए थे उसके बाद मैं उसे कभी माफ नहीं कर सकती. उसने मुझ से माफी मांगने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. अपना ट्विटर हैंडल बदलकर imsorry.. करने से लेकर महिलाओं पर किए अपने भद्दे कमेंट के लिए लगातार माफी मांगने तक.

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लेकिन मैंने उसके किसी भी कोशिश का जवाब दिया. इसके पीछे कारण ये था कि मैं उसे इतनी आसानी से छूटने नहीं देना चाहती थी. क्योंकि लड़कियों को गालियां देना और ऐसे भद्दे कमेंट करना उसकी आदत है. उसे ये पता चलना बहुत जरुरी था कि नाम छुपाकर वो किसी को परेशान नहीं कर सकता है.

एक और बात जो ऐसे बेहुदे लोग नहीं समझ पाते हैं वो ये है कि गालियां देने के बाद आप चाहे कितनी भी माफी मांग लीजिए उसकी कोई सुनवाई नहीं हो सकती है. सुल्तान के लगातार माफी मांगने के बाद मुझे सिर्फ ये ही समझ आया कि ऐसे लोगों को ये पता नहीं होता की अपनी बेहूदगी के लिए उन्हें क्या सजा मिल सकती है.

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तो इसलिए मिस्टर सुल्तान, इसबार नहीं. मैं आपको माफ़ नहीं करूंगी.

सोशल मीडिया पर उत्पीड़नहालांकि ये कोई दुर्लभ केस ही होगा जिसमें किसे ट्रोल ने उत्पीड़न करने के लिए माफी मांगी है. लेकिन सोशल मीडिया पर नकली या फर्जी प्रोफाइल की कोई कमी नहीं है, जिसके कारण वो लोग दूसरों को शर्मिंदा करते हैं. यह सलाह दी जाती है कि ट्रोल को नजरअंदाज करना चाहिए. लेकिन कई बार ऐसी बातें लिख दी जाती हैं जिसे इग्नोर करना नामुमकिन हो जाता है.

Google और "ट्रोल को कैसे खोज सकता है" या "ट्रोल के साथ कैसे निपटना है" पर कई लेख मिल सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि आखिर किसी को ट्रोल किया ही क्यों जाए? आखिर ट्रोल हो ही क्यों? जवाब है कि ट्रोल सोशल मीडिया पर इसलिए मौजूद होते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे आभासी दुनिया का किसी भी तरह से उपयोग करके और साफ निकल जाएंगे.

एक हालिया मामले में न्यूज मिनट के एडिटर-इन-चीफ को सिर्फ एक साधारण से ट्वीट के लिए ट्रोल किया गया. इससे साफ पता चलता है कि ट्रॉलिंग के पीछे कोई कारण नहीं होता है. पिछले तीन दिनों में उनके खिलाफ लगभग 63,000 ट्वीट किए गए और एक हैशटैग भी ट्विटर पर चलाया गया. आखिर क्यों? क्योंकि वो इंटरवल के बाद एक फिल्म को देख नहीं पाई और इस बारे में उन्होंने ट्वीट कर दिया.

ट्विटर उन लोगों के लिए एक खुला मैदान बन गया है, जो दूसरों को शर्मिंदा और ट्रोल करना चाहते हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि यहां वो कुछ भी बोलकर भाग सकते हैं. मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे केस में ऐसा नहीं हुआ. हालांकि उसे किसी तरह के कानूनी पचड़े में नहीं पड़ना पड़ा लेकिन फिर भी उसे ये तो पता चल गया कि किसी को ट्रोल करने से उसे क्या नुकसान हो सकता है.

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लेखक

संजना अग्निहोत्री संजना अग्निहोत्री

लेखिका इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर पैनी नजर रखने के साथ-साथ फेमिनिज्म की पुरोधा हैं.

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