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Updated: 03 जनवरी, 2017 04:33 PM
राकेश चंद्र
राकेश चंद्र
  @rakesh.dandriyal.3
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पाकिस्तान की सीनेट कमेटी ने अल्पसंख्यक हिन्दुओं के लिए हिन्दू मैरिज एक्ट को मंजूरी दे दी है. पाक में अब हिंदू विवाह पर कानून बन जाएगा. गौरतलब हैं कि सितंबर में नेशनल असेंबली (उच्च सदन) ने पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं के लिए हिंदू मैरिज बिल-2016 को पारित कर दिया था. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में इस विधेयक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पिछले 66 वर्षों से पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की शादी रजिस्टर्ड नहीं होती थी, इस कारण हिंदुओं का यह समुदाय अपने को असुरक्षित महसूस करता था. इसके अलावा तलाक और जबरन धर्म परिवर्तन जैसे मामलों का समाधान भी अब आसानी से निकाला जा सकता है, ताकि हिंदू पाक में खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें. इस बिल का उल्लंघन करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है. हिन्दू मैरिज एक्ट सिंध प्रांत को छोड़कर पूरे पाकिस्तान में लागू होगा. सिंध में ये बिल इसलिए लागू नहीं होगा क्योंकि सिंध प्रांत ने पिछले साल ही अपने राज्य में रह रहे हिन्दुओं के लिए एक अलग हिन्दु शादी कानून बना लिया था. हिंदू विवाह अधिनियम बन जाने के बाद अब शायद पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर पहले जैसे हमले नहीं होंगे, न ही उनसे जबरन शादियां की जाएंगी.

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 पिछले 66 सालों से पाकिस्तान के हिंदुओं की शादी रजिस्टर नहीं हो रही थी.

जानें क्या हैं सजा : मात्र तीन माह या पांच हज़ार का फाइन जिसे ना चुकाए जाने की स्थ‍िति में 6 माह की जेल व इसके अलावा पाकिस्तानी कानून की धारा 494 के मुताबिक कोई भी स्त्री-पुरुष शादी-शुदा रहते हुए दूसरी शादी करता हैं तो उसे अमान्य माना जाएगा और ऐसा करने पर उसे सात साल की सजा का सामना करना पड़ेगा. धारा 495 में भी दस साल की सजा का प्रावधान है. ये तो रही कानूनी पहल, पर क्या कट्टरपंथीं भी इस पर अमल करेंगे. हाल ही में सिंध असेंबली ने सिंध आपराधिक कानून (अल्पसंख्यक सुरक्षा) 2015 को पारित किया है जिसमें जबरन धर्मांतरण के षडयंत्रकारियों के लिए पांच साल की सजा और मददगारों के लिए तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया. इस विधेयक के अनुसार जबरन धर्मांतरण कराना दंडनीय अपराध होगा. बिल पर तिलमिलाए आतंकी हाफिज सईद ने कहा कि ये कानून इस्लाम विरोधी एवं संविधान के खिलाफ है. उसने आंदोलन तक की धमकी दे दी थी.

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क्या हैं पाक हिंदू विवाह अधिनियम में...

- पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू लोगों को दूसरी शादी करने की इजाजत भी मिल सकेगी.- शादी के 15 दिनों के भीतर इसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा.- शादी के समय हिंदू जोड़े की उम्र 18 साल या उससे अधिक होनी चाहिए, इससे कम नहीं.

- अगर पति-पत्नी एक साल या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हैं और साथ नहीं रहना चाहते, तो शादी को रद्द कर सकते है.

- पाकिस्तान में हिंदू विधवा को पति की मृत्यु के छह महीने बाद फिर से शादी का अधिकार होगा.

- पति की मृत्यु के छह महीने के बाद महिला को दोबारा शादी करने का पूरा अधिकार होगा.

- अगर कोई हिंदू व्यक्ति अपनी पहली पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह करता है तो इसे दंडनीय अपराध माना जाएगा.

- बिल का उल्लंघन करने पर छह माह की सजा और पांच हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है.

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 इस अधिनियम के पास होने के बाद हिन्दुओं को सुरक्षित महसूस होगा

नए कानून के बाद अब पाकिस्तान में हिंदू महिलाओं के अपहरण की घटनाओं पर भी लगाम लगने की उम्मीद है. पाकिस्तान से हर साल तकरीबन 5000 हिंदू आबादी भारत में पलायन कर रही है. इसकी एक बड़ी वजह धर्म के आधार पर पाकिस्तान में हिंदुओं पर हमले को बताया जा रहा है.

पाकिस्तान का हिन्दू विवाह अधिनियम 2016

इसका सबूत पाकिस्तान के पाक मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट से पता चलता हैं...

2015- यूरोपियन पार्लियामेंट इंटर ग्रुप ऑन फ्रीडम ऑफ रिलीजन की सालाना रिपोर्ट में कहा गया 5,000 हिंदूओं को पाकिस्तान छोड़ने पर किया गया मजबूर.2014- मूवमेंट फॉर पीस एंड सॉलिडेरिटी इन पाकिस्तान (एमएसपी) के अनुसार 700 ईसाई और 300 हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया.2012- पाकिस्तान के नेशनल कमिशन फॉर जस्टिस एंड पीस की वर्ष 2012 की रिपोर्ट के मुताबिक 74 प्रतिशत हिन्दू महिलाएं यौन शोषण का शिकार होती हैं.2012- पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में हर महीने 20 से 25 हिन्दू लड़कियों का अपहरण होता है.

लेखक

राकेश चंद्र राकेश चंद्र @rakesh.dandriyal.3

लेखक आजतक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं

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