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Updated: 14 दिसम्बर, 2016 05:42 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
  @alok.ranjan.92754
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नोटबंदी के बाद से ही कालाधन को सफेद करने का खेल चालू है. जिस शहर का भी नाम लीजिये चाहे वो दिल्ली, चेन्नई, मुम्बई, अहमदाबाद, पुणे, बेंगलुरु जैसे बड़े शहर हो या गुवाहाटी, जबलपुर, जयपुर, मनसा, इंदौर, संभलपुर, ठाणे जैसे अन्य शहर हो हर जगह एक ही जुगाड़ चल रहा कि कैसे कालाधन को सफेद किया जाए. इसकी गवाही दे रहे हैं इन तमाम जगहों से बड़ी मात्रा में पकड़े गए नए और पुराने नोट. अगर हम नवम्बर 9 के बाद इनकम टैक्स रेड में बरामद कैश पर एक निगाह डालें तो होश उड़ जायेंगे, क्योंकि जब्त की गई नगदी करोड़ो में है. एक अनुमान के अनुसार करीब 250- 300 करोड़ रुपया अभी तक पकड़ा जा चुका है और इसमें पुराने और नए नोट दोनों सम्मिलित हैं.   

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जिस पैसे के लिए हम और आप तरस रहे हैं उस पर ब्लैक मनी के क्रिमिनल ऐश कर रहे हैं. जिस हिसाब से इन जगहों से नोट बरामद हो रहे हैं वो हमें सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि आखिर इसके पीछे किसका हाथ है. बैंक के कर्मचारी के मिली भगत के बिना इतनी नगदी को सफेद करना नामुमकिन है. हद तो तब हो गयी जब कालाधन सफेद करने की हेराफेरी में सीबीआई ने बेंगलुरु में आरबीआई के अधिकारी को धर दबोचा. अब सवाल ये उठता है की आरबीआई जो भारत में सभी बैंकों का संचालक है और जिसके ऊपर नोटबंदी को सफल बनाने जी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है उसका कोई अधिकारी ब्लैक मनी को सफेद करने में पकड़ा जाता है तो सोचिए कि किस स्तर पर, कितने बड़े पैमाने पर और कहां तक अवैध तरीके से नोट बदलने का खेल चल रहा है.

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अगर हम अभी तक बरामद कैश को करीब 300 करोड़ रुपये मानते हैं और इसमें से मान लीजिये अगर करीब 40% नए नोट होंगे तो वो 120 करोड़ रुपया होता है. अगर ये 120 करोड़ नोट एटीएम में पहुंच जाते तो करीब 240 एटीएम में 50 लाख के नोट रहते और इससे लगभग 6 लाख लोगों को दो-दो हजार रुपए मिल सकते थे लेकिन ब्लैक मनी के क्रिमिनल्स ने ऐसा होने नहीं दिया.

हर दिन बड़ी मात्रा में नए करेंसी नोट मिलना इनकम टैक्स एजेंसी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है. वे इस बात से परेशान हैं कि कैसे ये सम्भव हो रहा है. आरबीआई के करेंसी चेस्ट से बैंक और और बैंक से हवाला कारोबारियों या फिर जो होर्डिंग कर रहे हैं उन तक इन नए नोटों का पहुंचना उन्हें अचंभित कर रहा है. ये बैंक कर्मचारियों या प्रभावशाली व्यक्तियों के साठगांठ के बिना मुश्किल है.

दूसरी बात ये है की जो नए नोट के बंडल इन छापो में हासिल हुए है उनकी सीरियल नंबर एक क्रम में नहीं है बल्कि ऊपर नीचे है, जम्बल्ड है और जिसमें कोई मार्किंग या बैंड नहीं है, जिससे ये पता चले की ये नोट किस बैंक से इशू या निर्गत हुए है. साथ ही यहां पर ये भी बताना जरुरी है कि आरबीआई 2000 और 500 रूपये के नए नोटों की रिकॉर्ड तकरीबन 4400 करेंसी चेस्ट तक ले जाने तक ही रखती है.

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देश में काले धन पर नकेल कसने और ब्लैक मनी के क्रिमिनलों को पकड़ने के लिए केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार ने देशभर के करीब 500 बैंक ब्रांचों का स्टिंग ऑपरेशन कराया है जिसमे बैंककर्मी, व्यापारी, हवाला कारोबारियों की मिलीभगत से ब्लैक मनी को सफेद करने की कोशिश कैमरे में कैद हुई है.

अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, कई से पूछताछ जारी है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कई एजेंसी जैसे सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आदि का सहारा ले रही है ताकि इन मामलों के जड़ तक पहुंचा जा सके और असली गुनहगार कानून के चंगुल से बच न सके.

लेखक

आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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