New

होम -> समाज

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 18 अप्रिल, 2017 10:52 AM
मोहित चतुर्वेदी
मोहित चतुर्वेदी
  @mohitchaturvedi123
  • Total Shares

एक बैंक कॉल आपको कुछ सेकंड्स में कंगाल बना सकता है. जी हां, अपने बैंक की जिन गोपनीय जानकारियों को आप बड़े ही जतन से छुपा कर रखते है, वे मात्र 10 पैसे में बिक जाएगी और आप को इसकी भनक तक नहीं लगेगी. ये भी हो सकता है कि आपके बैंक अकाउंट की डिटेल भी 10 या 20 पैसों में बेच दी गई हो.

आप को जानकर ताज्जुब होगा कि देश के एक करोड़ लोगों के बैंक खातों की जानकारी ऑन सेल है. यानी लोगों के गोपनीय बैंक अकाउंट्स से जुड़ी सभी जानकारी सेल भी सस्ते दामों पर खुले आम बिक रही हैं.

bank-fraud_041717055519.jpg

ऑनलाइन और मोबाइल के माध्यम से लोगों के साथ धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक चौकाने वाला खुलासा किया है. पुलिस के अनुसार देश के बैंकों में मौजूद 1 करोड़ से ज्यादा खातों का डाटा लीक हो चुका है और इसे लीक करने वाले यह डाटा महज 10-20 पैसे में बेच रहे थे. पुलिस का कहना है कि गैंग ने बैंक अकाउंट के अलावा, क्रेडिट, डेबिट कार्ड की जानकारी के अलावा फेसबुक और वॉट्सएप अकाउंट्स की जानकारी भी लीक की है.

puran-gupta_041717055534.jpgपुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड पूरण गुप्ता को अरेस्ट कर लिया है.

दिल्ली की महिला को लगा 1.46 लाख रुपए का चूना

दिल्ली पुलिस को इस गैंग का पता तब लगा जब को ग्रैटर कैलाश की रहने वाली एक 80 साल की महिला के क्रेडिट कार्ड से 1.46 लाख रुपए निकाले जाने की जांच कर रही थी. जांच के दौरान पुलिस को पता लगा कि यह गैंग कॉल सेंटर और बैंक में काम करने वालों की मदद से यह जानकारी चुराती थी और फिर उसे कौड़ियो के भाव बेच दिया जाता था.

आशीष झा और पूरण गुप्ता मास्टरमाइंड

इस गिरोह के दो लोगों को गिरफ्त में लिया है.. दोनों इस काम के मास्टरमाइंड है. एक पूरण गुप्ता है, दूसरा आशीष कुमार झा. यह भी सामने आया है कि इस मामले में कुछ बैंक ऑफिशियल्स भी शामिल हैं. झा पहले एक बैंक में सेल एक्जिक्यूटिव का काम करता था, लेकिन बाद में इसने अपना ही कॉल सेंटर खोल लिया और अपने पोर्टल से हेल्थ इंश्योरेंस करने लगा. इसी दौरान उसने लोगों से धोखाधड़ी शुरू कर दी। इसके लिए इसने 4-5 लोगों को डेलीवेज पर रखा हुआ था.

bank-account_041717055549.jpg

कैसे लगाते थे चूना

गिरोह के लोग एजेंसी, बैंक या किसी कंपनी का ऑफिशियल बनकर लोगों को फोन करते थे. इस बहाने लोगों से डिटेल (CVV-कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू नंबर और OTP) जल्द शेयर करने को कहा जाता था. कार्ड ब्लॉक जैसे बहाने बनाकर लोगों से पासवर्ड लिए जाते थे.

जानकारी मिलने के बाद गिरोह लोगों के अकाउंट से पैसे निकालने में कामयाब हो जाता था. गिरोह के पास पहले से बैंक अकाउंट होल्डर की कुछ डिटेल होती थी जिससे लोग इन पर भरोसा कर फंस जाते थे. गिरोह ज्यादातर सीनियर सिटिजन को टारगेट करता था.

atm_041717055559.jpg

क्या करें

- किसी भी बैंक से जुड़े मैसेज या ईमेल में अपनी जानकारी ना दें. अगर कोई जरूरी काम है तो नेटबैंकिंग के जरिए करें. ना की किसी मैसेज के जरिए.

- सिस्टम अपडेट्स पर ध्यान रखें. अगर आपके फोन का अपडेट आ गया है तो उसे फौरन डाउनलोड करें. हर अपडेट में फोन की सिक्योरिटी से जुड़ी नई सेटिंग्स आती हैं.

- पिन और पासवर्ड का इस्तेमाल हमेशा करें.

- किसी भी कॉल या अननोन नंबर पर रिस्पॉन्ड करने से पहले ध्यान दें कि कहीं ये स्कैम तो नहीं. सही होगा अगर आप ट्रूकॉलर जैसे किसी एप से नंबर जांच लें.

ये भी पढ़ें-

नोटबंदी के बाद चोरी भी होगी डिजिटल

टैक्स, बैंक और आप से जुड़े वो अधिकार जो जानने जरूरी हैं!

मोदी विरोध में गलत खबर उड़ा दी !

लेखक

मोहित चतुर्वेदी मोहित चतुर्वेदी @mohitchaturvedi123

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय