वाह डीएम साहब आप पर न सिर्फ शबाना को बल्कि हर हिन्दुस्तानी को गर्व है
वाराणसी की रहने वाली शबाना ने अपने डीएम योगेश्वर राम मिश्र के मोबाइल पर एक मैसेज भेजा था और अपनी गरीबी के हवाले से ईद मनाने में असमर्थता जताई थी जिसके बाद जिलाधिकारी ने लड़की की ईद हमेशा के लिए यादगार बना दी.
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प्राचीन काल से लेकर आजतक हम एक ऐसी समाज में रह रहे हैं जहां सभी जाति, धर्म, समुदाय के लोग एक साथ रह रहे हैं. हमारे समाज में अमीरों को भी वही अधिकार प्राप्त हैं जो एक गरीब को मिले हैं. जहां एक तरफ देश का अमीर बड़े - बड़े आलीशान घर बनवाकर खुश है तो वहीं हमारे ही समाज में कई लोग ऐसे भी हैं जो 10X8 की झुग्गी में अपने परिवार के साथ रह कर जीवन और उससे जुड़े संघर्ष झेल रहे हैं और खुश हैं.
व्यक्ति के लिए अमीरी, गरीबी से ज्यादा खुशी महत्वपूर्ण हैं. खुश होने और करने के लिए बड़ा दिल चाहिए और उस बड़े दिल में मानवता होनी चाहिए. प्रायः ये देखा गया है कि भारत जैसे विशाल देश में जहां राजनीति का अपना महत्त्व है, वहां अक्सर ही नेताओं द्वारा बड़े दिल का परिचय देते हुए समाज के सभी वर्गों को खुश करने के प्रयत्न किये जाते हैं.
बहरहाल इस देश के नेताओं की कार्यप्रणाली पर अगर नजर डालिए तो मिलता है कि इनसे हमें अब तक सिर्फ कोरे आश्वासन और छल ही प्राप्त हुआ है. शबाना गरीब है, छल शबाना को भी मिल सकता था, उसका भी मैसेज इग्नोर किया जा सकता था मगर उसके डीएम साहब ने ऐसा नहीं किया. डीएम साहब ने जो किया वो इंसानियत की जिंदा मिसाल है और ये बताने के लिए काफी है कि अब भी दुनिया में अच्छे लोग शेष हैं जिनसे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए.
डीएम ने बता दिया है कि अब भी समाज में बड़े दिल वाले लोग मौजूद हैं
खबर है कि वाराणसी स्थित मंडुवाडीह के शिवदासपुर की रहने वाली शबाना ने अपने डीएम योगेश्वर राम मिश्र के मोबाइल पर एक मैसेज भेजा था और अपनी गरीबी के हवाले से ईद मनाने में असमर्थता जताई थी जिस पर कार्यवाही करते हुए न सिर्फ उन्होंने लड़की के मोबाइल नंबर से उसका पता खोज निकाला, बल्कि उसके सम्पूर्ण परिवार के लिए गिफ्ट भेज कर उनकी ईद को हमेशा के लिए यादगार बना दिया.
आपको बताते चलें कि डीएम को भेजे अपने मैसेज में शबाना ने अपना परिचय देते हुए लिखा था कि 'सर नमस्ते, मेरा नाम शबाना है और मुझे आपकी थोड़ी सी हेल्प की जरूरत है. सर सबसे बड़ा त्यौहार ईद है. सब लोग नए कपड़े पहनेंगे. लेकिन मेरे माता पिता का इंतकाल हो गया है जिससे हम परेशानी में है. उनका 2004 में इंतकाल हो चुका है. मेरे घर में मैं और मेरी नानी और छोटा भाई हैं सर.'
शबाना का ये मैसेज एक भावुक करने वाला मैसेज था. शायद इसने जिले के डीएम को भी भावुक कर दिया और उन्होंने तत्काल प्रभाव में एसडीएम को आदेश दिया कि वो तत्काल शबाना से मिलें और उसके घर गिफ्ट और ईदी ले जाएं. जिलाधिकारी की तरफ से शबाना को ईदी और तोहफे मिल चुके हैं और निस्संदेह ही ये ईद न सिर्फ आज बल्कि भविष्य में भी उसके लिए यादगार रहेगी और उसे ये एहसास कराएगी कि भले ही आज नफरतों का दौर हो मगर अब भी समाज में बड़े दिल वाले लोग मौजूद हैं.
अंत में हम यही कहेंगे कि जहाँ एक तरफ जिले के इतने महत्वपूर्ण अधिकारी की इस रहमदिली से क्षेत्र की जनता प्रभावित है तो वहीं दूसरी तरफ इससे ये भी साबित हो गया है कि इस देश की गंगा जमुनी तहजीब हमेशा ही बेमिसाल थी और ऐसे बड़े दिल वाले लोगों के चलते आगे भी हमें ऐसा बहुत कुछ देखने को मिलेगा.
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