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Updated: 19 अक्टूबर, 2017 03:55 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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सरकारी से लेकर प्राइवेट तक हमारे आस पास कई बैंक मौजूद हैं जहां हम अपने पैसे जमा करते हैं और बदले में वो हमें अलग-अलग दरों पर ब्याज देते हैं. इन पूरे क्रम में एक समय बाद हमें पैसा तो मिल जाता है मगर इससे हमें कोई अन्य आध्यात्मिक सुख नहीं मिलता. हो सकता है इतना सुन कर आपके दिमाग में ये प्रश्न आए कि बैंक और अध्यात्म का क्या लेना देना. और शायद आप ये भी सोचे कि दोनों एक दूसरे से उलट हैं और एक के साथ दूसरे की कल्पना व्यर्थ है. यदि आप ऐसा कुछ सोच रहे हैं तो अवश्य ही आपको वाराणसी की यात्रा करनी चाहिए जहां अपनी तरह का एक अनोखा बैंक है. परोपकार की भावना को बढ़ावा देता ये अनाज बैंक अपने ग्राहक को आध्यात्मिक इंटरेस्ट यानी की पुण्य और यहां काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी के नाम पर ढेरों आशीर्वाद देता है.

आपको बताते चलें कि वाराणसी में इस अनाज बैंक की शुरुआत  2015 में नवरात्र के पहले दिन हुई थी जहां 9 बेटियों ने बैंक का शिलान्यास किया था. बताया जाता है कि तब अनाज बैंक के पास  27 जमा खाता धारक थे जो अनाज जमा करते और 80 निकासी खाता धारक इसे निकालते थे. आज जमा खाता धारकों की संख्या 170 हैं जबकि 800 परिवार बैंक से हर हफ्ते 5 किलो अनाज ले जाते हैं. बैंक मानता है कि यदि कोई जमा खाता धारक 5 से 10 किलो अनाज बैंक में जमा करता है तो उसे संतोष, 10 किलो अनाज जमा करने वाले को दुआ और 100 किलो अनाज जमा करने वाले व्यक्ति को पुण्य मिलता है और वो स्वर्ग में जाता है.  

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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