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Updated: 22 जुलाई, 2017 01:24 PM
न्यूजफ्लिक्स
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देश में 70,684 करोड़ रुपए लावारिस पड़े हैं. जी हां, सुनने में आपको थोड़ा अपटपटा लग रहा होगा. कि अचानक ये खबर कहां से आ गई. लेकिन ये सच्चाई है. हमारे देश में 70,684 करोड़ रुपए लावरिस हैं. ये पैसा किसी के नाम से नहीं है. इंश्योरेंस कंपनियों, बैंकों, कॉरपोरेट हाउस, म्यूचुअल फंड्स और डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट के पास ये पैसा अनक्लेम्ड पड़े हैं. आइए जानते हैं कैसे आपका पैसा सरकारी खजाना बन गया.

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PPF में 43 हजार करोड़ लावारिस पड़े हैं

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि पीएफ बनाने के बाद उसे निकालना भूल जाते हैं. खासतौर पर नई कंपनी जॉइन करने के बाद पुरानी कंपनी का पीएफ अकाउंट छोड़ देते हैं और उनको पता नहीं रहता कि वहां भी पीएफ अकाउंट बना था. बता दें, PPF के बंद पड़े अकाउंट्स में 43,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं.

जो आपके भी हो सकते हैं. कंपनियों, बैंकों या म्यूचुअल फंड के पास सात साल से अनक्लेम्ड रहा फंड सेबी के इनवेस्टर एजुकेशन ऐंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इनको क्लेम करने के लिए इनवेस्टर्स फंड हाउस, कंपनी या रजिस्ट्रार के पास जा सकते हैं.

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स्टॉक्स में 9,100 करोड़ रुपए लावारिस

कई लोग इतने शेयर्स खरीद लेते हैं कि भूल जाते हैं कि उनके पास आखिर कौन सा शेयर पड़ा है. एक शेयर भी लावारिस हुआ तो नुकसान सरकार या कंपनी का नहीं उसे खरीदने वाले का ही होता है. बता दें, स्टॉक्स में 9,100 करोड़ रुपए लावारिस पड़े हैं.

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बैंक के पास 5 हजार करोड़ से ज्यादा लावारिस पैसा

बैंकों के पास भी बहुत अनक्लेम्ड फंड है. इनके पास अभी 5,000 करोड़ से भी ज्यादा रुपये हैं जो एक करोड़ 33 लाख डिपॉजिटर और अकाउंट होल्डर्स के क्लेम का इंतजार कर रहे हैं. बैंकों के पास पड़ी अनक्लेम्ड रकम हाल के वर्षों में बढ़ी है क्योंकि उन्होंने बंद पड़े अकाउंट्स पर RBI के गाइडलाइंस को 2009 से ही लागू करना शुरू किया है.

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लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के पास 11,668 करोड़ रुपए

लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के पास 11,668 करोड़ रुपए का अनक्लेम्ड बेनेफिट है. यह रकम पिछले दो साल में दोगुनी हो गई रही है. आखिर यहां पर इतना पैसा क्यों पड़ा है आइए ऐसे समझते हैं. मान लीजिए किसी व्यक्ति ने लाइफ इंश्योरेंस कराया हो और कार एक्सिडेंट में पूरे परिवार वालों की मौत हो जाती है तो वो पैसा किसी के हाथ नहीं लगता और सरकारी खजाने में चला जाता है. या फिर ऐसा भी होता है कि आखिरी में पैसा घर वालों तक नहीं पहुंच पाता और ऐसे ही लावारिस पड़ा रहता है.

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पोस्ट ऑफिस में 1,916 करोड़ रुपए लावारिस

पोस्ट ऑफिस में सेविंग अकाउंट और इंदिरा विकास पत्र की मैच्यॉरिटी का 1,916 करोड़ रुपये सरकारी खजानों में अनक्लेम्ड पड़ा है. यहां लोगों ने निवेश तो कर दिया. लेकिन निकालना भूल गए. पोस्ट ऑफिस स्कीमें ही अकेला अंधा कुआं नहीं है, जिसमें इनवेस्टर्स का पैसा समाया है. म्यूचुअल फंड, एनबीएफसी और कई अन्य जगहें हैं जहां निवेशकों ने अपने पैसे रखे और वे भूल गए हैं.

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