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Updated: 09 सितम्बर, 2017 11:25 AM
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किसी देश की राजधानी यानि देश का सबसे अहम शहर क्या वीरान रह सकता है? इसका जवाब तो शायद आप भलीभांती जानते हैं. किसी भी शहर की राजधानी तब तक खाली नहीं होगी जब तक शहर के लोगों को खतरा नहीं होगा. या शायद ऐसा ही कोई बड़ा कारण सामने नहीं आएगा.

अब जरा सोचिए कि अगर दुनिया के सबसे रहस्यमय देश की राजधानी पूरी तरह से वीरान पड़ी हो तो यकीनन इसे खतरे की घंटी माना जा सकता है. नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग देश का सबसे बड़ा शहर और 30 लाख से ज्यादा लोगों का घर होने के बाद भी वीरान पड़ा है.

किम जोंग, उत्तर कोरिया,तानाशाह

इसका खुलासा किया है एक वीडियो ने. ये वीडियो शूट किया है सिंगापुर के एक व्यक्ति आरम पान ने. पान एक खास प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं जिसे DPRK360 कहा जाता है. ये प्रोजेक्ट सिर्फ नॉर्थ कोरिया की तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करता है.

वीडियो में नॉर्थ कोरिया की राजधानी का एरियल व्यू दिया गया है. वीडियो में खाली सड़कें, खाली इमारतें दिखाई गई हैं.

गौरतलब है कि किम जोंग उन ने हाल ही में अपने हाइड्रोजन बम की टेस्टिंग की है. इस टेस्टिंग से 6.3 पैमाने का भूकंप आया था. किम जोंग उन पहले से ही मिसाइल की टेस्टिंग कर रहे हैं और इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि शायद ये तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी हो. शायद किम जोंग उन को ये लग रहा हो कि नॉर्थ कोरिया की राजधानी पर ही सबसे पहले बम गिराया जाएगा और इसलिए उसे पहले से ही खाली कर दिया हो.

रशियन अखबार ने दी थी ये जानकारी...

एक रशियन अखबार ने अप्रैल में ये जानकारी दी थी कि किम ने प्योंगयांग को खाली करने के ऑर्डर दे दिए हैं. शहर की 25% जनसंख्या तो तत्काल शहर छोड़ रही है.

साउथ कोरियन मीडिया के अनुसार शहर के बाशिंदो ने एक दूसरे को अलविदा कह दिया था. इससे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि जल्द ही किम जोंग उन कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं.

रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमिर पुतिन की मानें तो ये ट्रंप की गलती है. नॉर्थ कोरिया पर यूएन की पाबंदियां लगाने की धमकी से किम जोंग उन गुस्सा होकर न्यूक्लियर युद्ध शुरू कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो जाएगा. अगर ये नहीं रुका तो यकीनन युद्ध हो सकता है क्योंकि किम जोंग उन कभी अपने न्यूक्लियर हथियार नहीं छोड़ेगा.

उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र के कठोर प्रतिबंध...

विश्व समुदाय के दबाव की लगातार अवहेलना कर उत्तर कोरिया जिस तरह लंबी दूरी के महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, उसके जवाब में अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा कठोर प्रतिबंध लगा दिए हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध पूर्ण सहमति से लगा. इस प्रतिबंध पर न तो रूस और न ही चीन ने वीटो का प्रयोग किया. लंबे अरसे बाद इसे ट्रंप की कूटनीतिक सफलता के रुप में देखा जा सकता है. ट्रंप ने लंबे समय तक चीन से वार्ता करने के बाद यह सहमति प्राप्त की. अगर पुतिन की बात सही है और किम जोंग उन वाकई यूएन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से नाराज है तो ये खतरे की घंटी साबित हो सकती है.

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