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Updated: 21 फरवरी, 2017 06:42 PM
प्रियंका ओम
प्रियंका ओम
  @priyanka.om
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कुछ दिन पहले फेसबुक पर एक महिला का पोस्ट देखा. लिखा था ‘क्या मैं इतना बुरा लिखती हूं कि दस पंद्रह लाइक्स से ज्यादा नहीं मिलते और बंदरिया जैसी मेरी पिक्चर पर सौ दो सौ लाइक्स आ जाते हैं.’ ये पहली बार नहीं था. इससे पहले भी फेसबुक पर इस तरह कई पोस्ट लिखे गए और आगे भी लिखे जाएंगे. असल में फेसबुक को शायद इसी तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यहां फोटो ज्यादा visible होते है जबकि आपकी स्क्रिप्ट ज्यादातर सिर्फ उन लोगों को दिखती है जिनके पोस्ट आप पढ़ते हैं.

कल रात मैंने एक एक्सपेरिंमेंट किया. मैंने मेरे पति के फोन से उनका कवर फोटो बदल दिया और इधर मैं अपने फोन में न्यूफीड रीफ्रेश किया. लेकिन पति का अपडेट मुझे नहीं मिला क्योंकि न तो पति मेरे पोस्ट पर आते जाते हैं और ना ही मैं उनके. मतलब साफ है फेसबुक लाइक्स और कॉमेंट्स के बिजनेस का अड्डा है, तुम मुझे दो मैं भी तुम्हें दूंगी. बहुत आसान है. लेकिन उनके लिए समस्या बढ़ जाती है जिनके मित्र की संख्या हज़ारों में है. अब एक दिन में हजारों पोस्ट पढ़ना और उसपर लाइक और कॉमेंट करना संभव नहीं.

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फेसबुक पर ऐक्टिव रहने वाले भाई पुरुष और महिला सखी की शिकायत भी अलग अलग है

भाई पुरुषों को शिकायत है उन्हें महिला सखी जितने लाइक्स और कामेंट्स क्यों नहीं मिलते हैं और महिला सखी को शिकायत है भाई पुरुष उनके फोटो को लाइक और कमेंट क्यों करते हैं. महिला को शिकायत है पुरुष उनके इनबॉक्स में hi hello क्यों कहते हैं, पुरुष को शिकायत है status पर लाइक और कॉमेंट का बुरा नहीं मानती तो इन्बाक्स का क्यों? दोनों की शिकायत अपनी अपनी जगह सही है.

हालांकि पुरुष अपनी शिकायत खुद दूर कर सकते हैं, महिलाओं की तस्वीरों से दूर रहकर. लेकिन भाई पुरुष ऐसा लगता है फेसबुक ज्वाइन करने से पहले तुम अपने आत्म सम्मान की गठरी काले कुएं में फेंक आते हो.

खैर एक पुरुष DSP की पिक्चर को न सिर्फ महिलाओं की तरह सैंकड़ों लाइक मिले थे, बल्कि महिला की तस्वीर की तरह ही शेयर भी किये गये थे. मतलब साफ है पुरुषों को लोग उनकी काबीलियत की वजह से पसंद करते हैं, जबकि महिला को सिर्फ महिला होने की वजह से.

एक महिला की शिकायती पोस्ट देखी थी कि पुरुष मित्रता स्वीकारते ही एल्बम देखते हैं और फोटो को खूब लाइक और कमेंट देते हैं. मुझे आश्चर्य इस बात का हुआ कि उनकी उस पोस्ट पर भी मिले 95% लाइक और कॉमेंट भी पुरुषों के ही थे फिर ये कहना फ़िजूल था कि पुरुष सिर्फ फोटो देखते हैं.

जिन महिलाओं को पुरुषों द्वारा फोटो देखे जाने से इतना एतराज है उन्हें या तो पुरुषों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए या फिर फोटो नहीं लगानी चाहिए. लेकिन इस तरह की पोस्ट लिखने वाली ज्यादातर महिलाओ की वॉल उनके फोटो से ही सजी होती है. जाहिर सी बात है ये एक पब्लिसिटी स्टंट है या पुरुषों को बदनाम करने की मुहिम.

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एक बार एक महिला ने बारह बजे रात को एक मादक तस्वीर अपलोड की. स्टेटस पब्लिक था. जबरदस्त लाइक्स और कमेंट्स की बारिश हुई. अगले दिन उन्होंने पोस्ट डाला बारह बजे रात को भी तस्वीर लगाओ तो सैंकड़ों लाइक्स-कमेंट्स आने लगते हैं.

अब आप ही बताओ, रात को बारह बजे सड़कों पर आपको कौन शरीफ मिलेगा? मुझे लगता है इस तरह की पोस्ट लिखने वाली महिलाएं पब्लिसिटी की भूखी होती हैं. पहले खुला पिक्चर लगाना फिर उसपे मिले लाइक और कमेंट्स के लिये पोस्ट लिखना, कहीं न कहीं राखी सावंत वाले स्टैंडर्ड का पब्लिसिटी स्टंट लगता है. बिलकुल किस्सा किस जैसा.

ये मुई सेल्फी की बीमारी भी कम नहीं. कुछ महिलाएं तो सुबह सुबह उठकर ब्रश करने से पहले लिपस्टिक लगाती हैं फिर सेल्फी लेकर दो लाइन की तुकबंदी के साथ फेसबुक पर शेयर  कर देती हैं. तस्वीर पर मिले लाइक और कमेंट को वो अपनी तुकबंदी की सफलता मान लेती हैं. हालांकि वो भी जानती हैं ये सच नही है लेकिन फिर भी सफलता के नशे में तुकबंदी छोड़ ज्ञान देने लगती हैं.

क्या इस तरह की महिलाएं रोज-रोज अपनी एक जैसी फोटो पोस्ट कर ऊबती नहीं? या उसपे मिले कॉमेंट "सुंदर" "वाह" "खूबसूरत" और "लजवाब" जैसे शब्द उन्हें बोर नहीं करते.

कुछ महिलाएं तो बीस रुपए का एक ड़ब्बा चूड़ी खरीदती हैं तो फेसबुक पर उसकी 20 तस्वीरें भी अपलोड करती हैं. आखिर वो इतनी तस्वीरें लगाती क्यों हैं? दिखाने के लिये ही ना? अब देखकर भला कोई कैसे न वाह ख़ूबसूरत और लाजवाब लिखे. अब पुरुष महिलाओं जैसे कमज़र्फ नहीं, लेकिन वो ये नहीं समझ पाते है कि पिक्चर पर "चाँद जैसी" या "लाजवाब" सुनना तो सबको पसंद है, भले ही वो दिखती कैसी भी हो लेकिन इनबॉक्स में hi hello कतई बर्दाश्त नहीं करती है. चांद कहकर महबूब बनने की कोशिश भूल कर भी न करें वर्ना जकरबर्ग बाबा ने ब्लॉक का ऑप्शन खुल्ले में दे रखा है. पुरुष साहब सोच समझ कर हां. जितनी ठरकपन दिखानी है पोस्ट पर ही दिखाइए इनबॉक्स चुगली चुगली खेलने के लिये दिया गया है आपके how are you का जवाब देने के लिए नहीं.

अच्छा कुछ पुरुष हिंदी लिखने वाली महिलाओं से इनबॉक्स में अंग्रेज़ी में बात करके उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करते हैं. कई बार उनका पासा तब उलटा पड़ जाता है जब हिंदी लिखने वाली महिला का हाथ अंग्रेज़ी में भी खुला होता है. फिर वो दिखाई नहीं देते.

अजी मैं आपसे पूछती हूं, हालांकि मैं पूछने वाली कौन होती हूं लेकिन फिर भी hi hello ही करते हैं ना कोई गाली वाली तो नहीं देते हैं, फिर इतना सियापा क्यों? जवाब ना दो, बस बात खत्म. लेकिन तुम्हें भी तो पब्लिसिटी चाहिए. पहले जवाब दो फिर सवाल लो. बात आगे बढ़ाओ. जब तुम्हारे मन की न हो तो स्क्रीन शॉट लेकर पोस्ट बना दो और बन जाओ सेलिब्रिटी कुछ घंटो की. भाई आजकल जितना inbox से डर नही लगता उतना स्क्रीन शॉट से लगता है.

भाई पुरुष तुम्हें क्या पड़ी है किसी के इनबॉक्स में घुसकर आप कैसी है पूछने की? जो एक खांसी भी होती है तो महिलाएं खुद अपडेट करती हैं. करती है कि नहीं करती हैं? फिर ये पूछ कर क्यों अपनी इज्जत का फालूदा बनवाते हो. भाई हाल चाल जानने का इतना ही शौक है तो फोन करके अपनी वाइफ से पूछ लो लेकिन नहीं तुम्हें तो अपनी ठरकपन दिखानी है screen shot लगवानी है. लगवाओ मुझे क्या?  

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कुछ पुरुषों को खुद पर जरा भी आतमविश्वास नहीं होता, हो भी कैसे ? जब प्रोफ़ाइल पिक्चर को 20-25 लाइक्स मुश्किल से मिलते हैं तो उनकी पिक्चर के साथ तुकबंदी कौन पढ़ेगा. मतलब बात वही हो गई एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा. इसलिये वो गूगल बाबा की मैग्निफाइंग ग्लास से किसी महिला की मादक पेंटिंग या तस्वीर निकाल कर अपनी तुकबंदी के साथ चिपकाते हैं. सच पूछिये तो ऐसे लोगों पर मुझे बहुत तरस आता है.

कुछ कलाकार किस्म के पुरुष भाई होते हैं. अपनी घनी मूंछों वाली फोटो और अपनी तुकबंदी की गजब जुगलबंदी फोटो एडिटर पर कर डालते हैं लेकिन बात फिर वही आ जाती है. ऐसे लोगों के साथ मेरी संवेदना हमेशा साथ होती हैं.

बस पॉलिटिकल पोस्ट लिखने वाले पुरुषों की वॉल पर सारी शिकायतें दूर हो जाती है. संज्ञान प्राप्त करने वाली महिलाओं का खूब जमघट लगता है. असल में पॉलिटिक्स पर बात करना बुद्धिजीवी होने की निशानी है (जनमानस में ऐसी मान्यता है) तो महिला बुद्धिजीवी क्यों न बनें ? ऐसे पुरुष किसी महिला के इनबॉक्स में क्या उनकी वॉल पर भी झांकने नहीं जाते लेकिन इनकी बिना पाउडर लिप्स्टिक वाली फोटो पर भी लाइक और कॉमेंट्स की घमासान बारिश होती है.

तो मित्रों पॉलिटिक्स लिखो पॉलिटिक्स !

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लेखक

प्रियंका ओम प्रियंका ओम @priyanka.om

लेखक कहानी संग्रह 'वो अजीब लड़की' की ऑथर हैं

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