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Updated: 09 सितम्बर, 2017 11:52 AM
राहुल लाल
राहुल लाल
  @rahul.lal.3110
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अगर आप भी ट्विटर प्रयोग कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं. माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर भारत में अपने यूजर्स के डेटा को विदेश ले जा सकती है. अगर आप मोबाइल से ट्विटर इस्तेमाल कर रहे हों और इन्हीं स्मार्टफोन के जरिए बैंको और सरकार के साथ वित्तीय लेन देन कर रहे हों तो यह आपके लिए बेहद खतरनाक हो सकता है. दरअसल ट्विटर ने गुरुवार को ने यह साफ कर दिया है कि यूजर्स के डेटा को विदेश ले जाना उसकी सेवा शर्तों के दायरे में है. वहीं दूसरी ओर सरकार विदेशी इंटरनेट और मोबाइल कंपनियों के लिए लोकल स्तर पर ही डेटा स्टोर करने की अनिवार्यता पर विचार कर रही है. राइट टू प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों ही गंभीर मामले इससे संबद्ध हैं.

ट्विटर, प्राइवेसी पॉलिसी, राइट टू प्राइवेसी, भारतट्विटर यूजर्सक्यों उठा है यह मामला?

ट्विटर ने गुरुवार को भारत सहित दुनियाभर के अपने प्रयोग कर्ताओं के लिए सेवा की शर्तों और निजता नीति (प्राइवेसी पॉलिसी) को अपडेट किया है. नई नीति 2 अक्टूबर से लागू हो जाएगी. इन शर्तों के अनुसार कंपनी अपने यूजर्स के डेटा विदेश ले जा सकती है. यही नहीं वे इस डेटा को वहां अपनी सहयोगी कंपनियों के साथ साझा भी कर सकती है. ट्विटर के लिए भारत एक बहुत बड़े बाजार के रूप में है. कंपनी के सबसे अधिक दैनिक सक्रिय यूजरों की संख्या भारत में ही है. इस कारण ट्विटर के इस नई नीति का सबसे ज्यादा प्रभाव भारत पर ही होगा.

गूगल, फेसबुक, ट्विटर जैसी वैश्विक इंटरनेट कंपनियां विज्ञापन के लिए अपने यूजर्स के डेटा का जमकर प्रयोग कर रही है. भारतीय सोशल वेबसाइट्स का जमकर प्रयोग करते हैं. ऐसे में साइबर सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और इनमें सबसे महत्वपूर्ण राइट टू प्राइवेसी को देखते हुए, इन मामलों पर सरकार को शीघ्र ही एक ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है.

सोशल वेबसाइटों की प्राइवेसी पॉलिसी का प्रभावित होना तय !

यह सारा मामला तब सामने आया है, जब पिछले ही महीने 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने एक अतिविशिष्ट एवं ऐतिहासिक फैसले में "राइट टू प्राइवेसी" को भारतीय संविधान के सबसे महत्वपूर्ण अंश में से एक मौलिक अधिकार "जीवन के अधिकार" में शामिल किया था. व्हाट्सएप के भारतीय यूजरों के डेटा, इस पर मालिकाना हक रखने वाली कंपनी फेसबुक द्वारा इस्तेमाल किए जाने के मामले पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है. इसकी अगली सुनवाई नवंबर में होनी है. सुप्रीम कोर्ट के राइट टू प्राइवेसी वाले आदेश का प्रभाव इस व्हाट्सएप मामले पर पड़ना भी तय है. दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 सितंबर 2016 को दिए अपने आदेश में व्हाट्सएप को नई निजता नीति लागू करने की इजाजत दे दी थी. लेकिन कोर्ट ने व्हाट्सएप को 25 सितंबर 2016 तक एकत्रित किए गए अपने यूजर्स का डाटा फेसबुक या किसी दूसरी कंपनी को देने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट के 24 अगस्त के निजता के अधिकार फैसले से प्राइवेसी मामले में भारतीय पक्ष स्पष्ट हो चुकी है. ऐसे में गुरुवार को ट्विटर की नई प्राइवेसी पॉलिसी समझ से परे है.

विदेशी कंपनीयां कर सकती डेटा का दुरुपयोग

अगर निजी जानकारी देश से बाहर स्थित सर्वरों पर ले जाई जाती है तो निश्चित रूप से यह निजता के कानून का उल्लंघन होगा. इसका कई तरीकों से दुरुपयोग हो सकता है. साथ ही यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा होगा. ऐसे में भारत के लिए अब अनिवार्य हो गया है कि इन मामलों के लिए कानून बने और डेटा को देश के अंदर ही रखने के विकल्प पर पूर्ण विचार हो. अगर इस तरह के कानून बनाने में समय लगता है, तो सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 83 के तहत सरकार नियम बनाकर सेवा प्रदाता कंपनियों को भारतीय यूजर्स और भारत में मौजूद कंप्यूटरों के डेटा को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाने के लिए कह सकती है. जैसा मैं बार-बार कह रहा हूं कि राष्ट्रीय सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और निजता के अधिकार को भी संरक्षित करने के लिए ऐसा करना अनिवार्य है.

इंटरनेट कंपनियां तथा मोबाइल कंपनियां यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी, उनके संपर्क और अन्य जानकारियों के बारे में डाटा जुटाती हैं. इसके बाद इन जानकारियों को जिस प्रकार हाथोंहाथ अन्य कंपनियों के साथ साझा करती हैं, यह हम यूजर्स के लिए खतरनाक है. ऐसे में हमारा ध्यान भारत में डेटा के स्टोर पर तो होना ही चाहिए. लेकिन केवल यह भी पर्याप्त नहीं है. हमलोगों को भारत में भी डेटा को सुरक्षित रखने तथा कॉपी करने से रोकने के लिए यूरोपीय व्यवस्था लागू करने की जरूरत है. भारत को यूरोपीय संघ की तरह ही नियम बनाना चाहिए जिसमें साफ कहा गया है कि यूरोपीय संघ के किसी नागरिक से लिए गए डेटा पर उसके नियम लागू होंगे. भारत में जिस तरह से सोशल वेबसाइट लोकप्रिय हो रहे हैं, वैसे में उसके समुचित नियमन के लिए नई नीति और कानून अब दोनोन अपरिहार्य हो गए हैं.

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लेखक

राहुल लाल राहुल लाल @rahul.lal.3110

लेखक अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं

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