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Updated: 18 अगस्त, 2017 04:14 PM
अमित अरोड़ा
अमित अरोड़ा
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक समारोह में साफ-साफ शब्दों में धार्मिक कार्यक्रमों के विषय में अपनी सरकार की नीति स्पष्ट कर दी. योगी का कहना था कि अगर वह सड़कों पर नमाज़ अदा करने पर रोक नहीं लगा सकते तो उन्हे जन्माष्टमी पर रोक लगाने का कोई अधिकार नहीं है.

नमाज, जन्माष्टमी, योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश की पिछली समाजवादी सरकार ने धर्म निरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टिकर्ण की सारी सीमाएँ पार कर दी थी. अपने आपको धर्म निरपेक्ष और मुस्लिम समाज का संरक्षक साबित करने के होड़ में अखिलेश सरकार ने पुलिस थानों में जन्माष्टमी मनाने पर रोक लगा दी थी. अयोध्या में राम लीला का मंचन बंद कर दिया गया था. योगी सरकार ने अयोध्या में राम लीला के मंचन पर लगी रोक कुछ समय पहले हटा दी थी. अब पुलिस थानों में जन्माष्टमी मनाने पर लगी रोक को हटा कर, योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि धर्म निरपेक्षता के नाम पर वह तुष्टिकर्ण की नीति पर नहीं चलेंगे. योगी ने कांवड़ यात्रा के बारे में भी कहा कि यदि कांवड़ यात्रा में ढोल, बाजे, चिमटे नहीं बज़ेंगे तो वह कांवड़ यात्रा ना हो कर शव यात्रा प्रतीत होगी. योगी ने प्रदेश के अधिकारियों को कांवड़ यात्रा पर किसी प्रकार की रोक या प्रतिबंध लगाने से माना कर दिया.

नमाज, जन्माष्टमी, योगी आदित्यनाथ

योगी का तर्क बिल्कुल ठीक है. यदि पुलिस और राज्य सरकार के अधिकारी सड़क पर नमाज़ पढ़ने पर रोक नहीं लगवा सकते तो बहुसंख्यक समाज के धार्मिक त्योहारों पर भी कोई रोक या प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए. क़ानून सब के लिए एक समान होना चाहिए, किसी प्रकार के भेदभाव की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए. एक धर्म के लोगों को खुश रखना और एक संप्रदाय को प्रताड़ित करना धर्म निरपेक्षता नहीं हो सकती है.

कायदे से किसी भी समुदाय के धार्मिक कार्यक्रम, उस समुदाय के परिसर - मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे, आदि के अंदर ही होने चाहिए. सार्वजनिक स्थानों को पूजा स्थल नहीं बना देना चाहिए. धार्मिक स्थलों पर लगे माइक इत्यादि की आवाज़ उस परिसर के बाहर नहीं आनी चाहिए. इस विषय पर देश में पहले से ही एक बहस जारी हैं. उम्मीद यही है कि इस बहस से कुछ सार्थक परिणाम निकलेगें और सभी धर्मों के लोग अपने ऊपर स्वत: प्रतिबंध लगाएँगे. जब तक हम उस आदर्शवादी व्यवस्था को नहीं पा लेते तब तक धर्म के नाम पर कोई भेदबाव नहीं होना चाहिए.

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अमित अरोड़ा अमित अरोड़ा @amit.arora.986

लेखक पत्रकार हैं और राजनीति की खबरों पर पैनी नजर रखते हैं.

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