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Updated: 02 सितम्बर, 2017 12:16 PM
शरत प्रधान
शरत प्रधान
 
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चार महीने तक 'गाय' कार्ड खेलने के बाद अंतत: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस बात का ज्ञान हो ही गया कि अब सच में गौ माता के लिए कुछ करना होगा. वैसे भी मुख्यमंत्री ने कई बार कहा है कि गाय उनके दिल के करीब है. पहले दिन से ही मुख्यमंत्री गायों की सुरक्षा की बात कर रहे थे. बुधवार को उन्होंने एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित करने का फैसला किया. बैठक में उन्होंने खुले घूम रहे गायों के प्रति अपनी चिंता से लोगों को अवगत कराया.

इसके लिए योगी जी ने बुंदेलखंड क्षेत्र को चुना है जहां हाइवे पर और शहरों में बड़ी मात्रा में गाएं खुली घूमती रहती हैं. साथ ही मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को गाय की सुरक्षा के लिए कमिटि बनाने के बारे में स्पष्ट आदेश भी दिया. ये कमिटियां जिला हेडक्वार्टर जैसे- झांसी, जालौन, बांदा, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर और चित्रकुट सहित 16 म्यूनिसिपल शहरों में गौशाला का निर्माण करेंगी.

Yogi Adityanath, Gau Rakshaलोगों के लिए हो न हो गायों के लिए घर जरुर होगा

भले ही लाखों लोगों के सिर पर छत नहीं है लेकिन अब पवित्र गाय माता के लिए छत जरुर बनेगा. हर गौशाला में 1000 गायों के रहने की व्यवस्था होगी. मुख्य मंत्री के निर्देशों के अनुसार ये कमिटि, स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ मिलकर काम करेगी. ये जरुर आश्चर्य की बात है कि बुंदेलखंड जैसी जगह जहां गायों का चारा बमुश्किल उपलब्ध होने के बाद भी बड़ी संख्या में खुले तौर गायों के पाए जाने के कारण पर मुख्यमंत्री ने कोई बात नहीं की.

सच्चाई ये है कि जैसे ही गाएं दूध देना बंद कर देती है लोग गायों को बुंदेलखंड क्षेत्र में छोड़ जाते हैं. बुंदेलखंड के पहाड़ी इलाकों में गायों को चारा भी भाग्य से नसीब होता है. ऐसे में गाएं असामयिक मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं. स्थानीय नागरिकों की भागीदारी पर जोर देने के अलावा, मुख्यमंत्री ने गौशलाओं के निर्माण के लिए गांवों को जमीन ग्राम सभा द्वारा दिलाने और इसके लिए सरकारी समर्थन का आश्वासन दिया है.

मीटिंग में मुख्यमंत्री ने कहा- 'जमीन दिलवाने के अलावा गौशालाओं के चारो ओर चारदीवारी भी बनवाएंगे.' साथ ही उन्होंने अधिकारियों को याद दिलाया कि कैसे मानव सभ्यता दूध पर निर्भर करती है. 'जब मानव समाज दूध पर निर्भर था तब ये समाज की जिम्मदारी थी कि वो गायों की रक्षा करे. याद रखिए कि गाय मनुष्य के लिए वरदान है. इसलिए ये हमारा कर्तव्य बनता है कि गायों की रक्षा के लिए हर संभव कार्य करें.'

यह स्पष्ट था कि यूपी के भगवाधारी मुख्यमंत्री गायों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित करना चाह रहे हैं. समय के साथ ये मुद्दा भाजपा के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्ड भी बन चुका है. आखिरकार इनका मकसद उन हिंदू मतदाताओं को एक बार फिर से अपने साथ जोड़ना है जो अयोध्या के नाम पर रैलियों में नहीं आते. अयोध्या कार्ड को पार्टी ने दशकों से अपने वोट बैंक के रुप में इस्तेमाल किया है, लेकिन अब अयोध्या में लोगों का वोट खींचने की क्षमता नहीं रह गई है.

इसलिए भगवा ब्रिगेड ने गाय के रूप में विकल्प खोज लिया है. इसमें कोई आश्चर्य भी नहीं कि बीफ पर लगे प्रतिबंध ने भीड़ द्वारा कई मासूमों की जान ले ली गई. अब ये साबित करने के लिए कि गाय माता का मुद्दा अपने राजनीतिक हितों के लिए नहीं था, बल्कि मुख्यमंत्री को गायों की सच में चिंता भी है. इसलिए अब सार्वजनिक तौर पर वो बड़े अधिकारियों को इस मुद्दे पर आदेश दे रहे हैं.

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लेखक

शरत प्रधान शरत प्रधान

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक मामलों के जानकार हैं.

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