New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 24 जून, 2017 06:46 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

जम्मू कश्मीर के डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित की हत्या के सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है - और सरकार ने विशेष जांच टीम भी बना दी है. डीएसपी अयूब को नौहट्टा में श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में जामिया मस्जिद के बाहर उग्र भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी जब वो अपनी ड्यूटी कर रहे थे.

इस जघन्य हत्या के बाद अलगाववादी नेता मीरवाइज फारूक सवालों के घेरे में हैं, तो लेफ्ट नेता वृंदा करात उनके सपोर्ट में बयान दे रही हैं. इस बीच डीएसपी अयूब की भाभी का सीधा सा सवाल है - 'इसी आजादी के लिए लड़ रहे हैं हम?' क्या किसी के पास उनके सवाल का जवाब है?

सबसे बड़ा सवाल

डीएसपी की भाभी का कहना है कि अयूब पंडित को किसी आतंकवादी या सेना के जवान ने नहीं मारा है. उनकी नजर में डीएसपी अयूब पंडित को एक भीड़ ने मारा है. उनका कहना है कि रात में प्रार्थना के लिए गये एक बेकसूर को उस भीड़ ने मार डाला.

हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में डीएसपी अयूब की भाभी पूछती हैं, 'हम किस मुकाम पर आ गए हैं? एक पवित्र रात को एक मस्जिद के बाहर एक व्यक्ति को बेवजह मार डालते हैं. क्या मजहब ने हमें यही सिखाया है?'

और फिर एक ऐसा सवाल जिसका जवाब आखिर कौन देगा?

अयूब की भाभी का सवाल है, 'क्या हम इसी आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं?'

...और सियासत

साल भर होने जा रहे हैं. जम्मू कश्मीर में शायद ही कोई दिन शांति के साथ गुजरा हो, कर्फ्यू वाले महीनों को छोड़ दें तो. पिछले साल जुलाई के पहले हफ्ते में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में बुरहान वानी की मौत के बाद से आतंकवादी घटनाएं लगातार जारी हैं. उड़ी जैसे बड़े हमले के अलावा, सेना और सुरक्षा बलों को रोजाना आतंकवादियों और पाकिस्तान से आने वाले घुसपैठियों से जूझना पड़ रहा है.

बुरहान की मौत को पाकिस्तानी हुक्मरान इंतफदा करार देते हैं और उनके पैसे से उपद्रव करने वाले घाटी में भी उन्हीं की भाषा बोलते हैं. कभी अपनी नारेबाजी में तो कभी बंदूकों के माध्यम से.

इन घटनाओं को कभी मानवाधिकार से तो कभी आजादी की लड़ाई से जोड़ने की भी कोशिश होती है. हाल के कई स्टिंग ऑपरेशन से साफ हो चुका है कि किस तरह पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को फंड देकर घाटी में फसाद करा रहा है.

पता चला है कि जिस वक्त डीएसपी अयूब की हत्या हुई मीरवाइज फारूक मस्जिद के अंदर मौजूद थे. मस्जिद के बाहर भीड़ पाकिस्तान और अल-कायदा के आतंकी जाकिर मूसा के समर्थन में नारे लगा रही थी और डीएसपी अयूब उसी की रिकॉर्डिंग कर रहे थे. डीएसपी अयूब सिविल ड्रेस में थे इसलिए भीड़ ने उन्हें खुफिया एजेंसियों का एजेंट समझ लिया और उन पर हमला बोल दिया. शुरुआती जांच में ऐसा भी लग रहा है कि इसके पीछे पहले से रची गयी साजिश भी हो सकती है.

लेफ्ट नेता वृंदा करात ने डीएसपी की हत्या को तो शर्मनाक बताया है, लेकिन मीरवाइज का बचाव किया है. करात का कहना है कि हम कैसे कह सकते हैं कि इस हत्या के लिए मीरवाइज जिम्मेदार है? करात कहती हैं, "हमारे विचारों में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मीरवाइज को हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराने से बचना चाहिए."

देशद्रोह के आरोप में जेल गये कन्हैया कुमार ने छूटने पर आजादी की अपनी परिभाषा बतायी थी. कन्हैया का कहना था - 'हम देश से नहीं बल्कि देश में आजादी की बात कर रहे हैं.'

कन्हैया की दलील में दम है. कन्हैया ने उन मसलों का भी जिक्र किया था जिससे वो आजादी के समर्थक हैं.

लेकिन मीरवाइज फारूक कन्हैया वाली आजादी की बात नहीं करते. वृंदा करात का बयान उन्हीं मीरवाइज के सपोर्ट में आता है.

डीएसपी अयूब की भाभी का सवाल भी उसी राजनीति से है. उन सभी से है जो कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार हैं. क्या किसी के पास उनके सवालों का जवाब है?

इन्हें भी पढ़ें :

मस्जिद के अन्दर पुलिस वाले की नहीं, भरोसे और इंसानियत की मौत हुई है

डेढ़ साल से कश्‍मीर में जारी जंग में हमारी सेना के साथ हुआ ये सब...

कांस्‍टेबल समीर भट ने आखिर कश्मीरी हिंदू होने की सजा भुगत ही ली

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय