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Updated: 06 फरवरी, 2017 12:58 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
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पिछले साल दिसम्बर में जयललिता के मृत्यु की रस्सा-कस्सी के बाद जब पनीरसेलवम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने तब ऐसा लग रहा था जैसे प्रदेश में सियासी उथल-पुथल शांत हो चुकी है लेकिन ताज़ा घटनाक्रम से साफ़ है कि एक बार फिर से सियासी उल्ट फेर हो सकता है. बताया जा रहा है कि तमिलनाडु में मुख्यमंत्री पद पर बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.

अगर सूत्रों को माने तो सत्ताधारी AIADMK के विधायक रविवार को आयोजित होने वाली बैठक में दिवंगत जयललिता की करीबी सहयोगी शशिकला से सीएम पद संभालने का अनुरोध कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक तमिलनाडु के कार्यकारी राज्यपाल सी विद्यासागर राव से AIADMK पार्टी के तरफ से समय भी मांगा गया है. 6 से 9 फरवरी के बीच में किसी समय राज्यपाल से मिल कर पार्टी नए मुख्यमंत्री के नाम का एलान कर सकती है.

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जयललिता के निधन के बाद पन्नीरसेल्वम को कार्यकारी मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था वहीं शशिकला को पार्टी की कमान सौंपते हुए महासचिव का पद दिया गया था. इसके बाद काफी विरोध भी हुआ लेकिन शशिकला महासचिव बनीं रहीं थी. अब वे एक-एक कर अपने विरोधियों को रास्ते से साफ करती जा रही हैं जिससे साफ तौर पर कहा जा सकता है कि पार्टी के साथ साथ सरकार को भी वे अपने हाथों में ले सकती हैं.

यह सर्वविदित है कि नटराजन विधानसभा की सदस्य नहीं है लेकिन पिछले साल दिसंबर में जयललिता के निधन के बाद जबसे उन्हें पार्टी प्रमुख बनाया गया, तब से ऐसा बहुत हद तक माना जा चुका था कि आने वाले वक्त में वह ही सीएम पद को संभालेंगी. बताया तो यह भी जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि 61 साल की नटराजन जो जयललिता की करीबी साथी थीं, वह मौजूदा सीएम पन्नीरसेल्वम की जगह लें क्योंकि पार्टी और सरकार के अलग अलग सत्ता केंद्र नहीं होने चाहिए.

कौन हैं शशिकला नटराजन...

शशिकला नटराजन लगभग तीन दशक तक जयललिता की करीबी सहयोगी रही और उन्हें हमेशा अन्नाद्रमुक में सत्ता के केंद्र के रूप में देखा जाता रहा. हालाँकि  जयललिता के निधन से पहले ही तमिलनाडु की सत्ता शशिकला के हाथ में आ गई थी. जब जयललिता अपोलो अस्पताल में जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहीं थीं उस वक्त भी शासन की बागडोर शशिकला के हाथ में ही थी.

अम्मा कहलाने वाली जयललिता और शशिकला के बीच करीबी रिश्ते की वजह से ही उन्हें चिनम्मा यानि मासी का उपनाम मिला. जयललिता से शशिकला का परिचय अस्सी के दशक में उनके पति एन नटराजन ने करवाया था. बाद में दोनों के बीच ऐसी दोस्ती बनी कि वो एक साथ रहने भी लगीं. वो 1996 में कलर टीवी घोटाले में जेल भी जा चुकी हैं.

लेकिन एक समय वह भी आया जब 2011 में जयललिता ने उन्हें, उनके परिवार और सहयोगियों को पार्टी से निकाल दिया था. आरोप था कि वो पार्टी पर कब्जा करना चाहती हैं लेकिन साल भर बाद इस लिखित शर्त पर उनकी पार्टी में वापसी हुई कि वो पद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं रखेंगी.

पनीरसेल्वम जयललिता के बेदह नजदीकी थे और जब से जयललिता की तबियत खराब हुई थी तब से ओ पन्नीरसेल्वम ही उनका काम संभाल रहे थे. उनके निधन के एक दिन पहले पन्नीरसेल्वम को सीएम पद की शपथ भी दिलवाई गई थी. जब भी जयललिता को किसी वजह से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी, उन्होंने पनीरसेल्वम पर ही भरोसा जताया था.

अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि तमिलनाडु में केवल मुख्यमंत्री ही बदलेगा या फिर AIADMK पार्टी में टूट होगी और इसका दूरगामी परिणाम क्या होगा क्योंकि इसी बीच जयललिता की तरह दिखने वाली उनकी भतीजी दीपा जयकुमार ने राजनीति में अपने बुआ के नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दीपा ने कहा था, "मैं 24 फरवरी को बुआ के जन्मदिन पर अपने पॉलिटिकल रोडमैप का एलान करूंगी. मैं उनकी जगह किसी और को बर्दाश्त नहीं कर सकती. चीजें अब बिगड़ रही हैं, पार्टी कैडर्स की राय को नजरअंदाज किया जा रहा है."

ये भी पढ़ें- - शशिकला के लिए बायें हाथ का खेल है सीएम बनना, मगर बने रहना?- लोगों का भरोसा तो दूर, अब कांग्रेस को खुद पर ही भरोसा नहीं

लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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