तमिलनाडु को किस ओर ले जाएगी 'शशिकला फॉर सीएम' मुहिम?
शशिकला के समर्थक खुलेआम ओपी की कोई आलोचना तो नहीं कर रहे, लेकिन शशिकला के सपोर्ट में तर्क जरूर पेश कर रहे हैं.
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क्या तमिलनाडु में चिनम्मा में ही अब अम्मा की पूरी छवि देखी जाने लगी है? क्या AIADMK के नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को शशिकला नटराजन में जे जयललिता का अक्स नजर आने लगा है?
अगर ऐसा वास्तव में हो रहा है तो उसके क्या मायने हैं - उनके लिए भी जो सत्ता के शीर्ष पर हैं और जिन्हें अम्मा के शोक से उबरते ही सड़क पर तूफान से जूझना पड़ा.
एक्शन में ओपी
वरदा तूफान के वक्त ओपी तमिलनाडु की सड़कों पर वैसे ही नजर आये जैसे कभी बराक ओबामा को देखा गया था. तब दूसरी पारी के लिए चुनाव प्रचार छोड़ कर ओबामा अमेरिका में आये तूफान पीड़ितों की मदद में कूद पड़े थे.
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मीडिया में तो ओ पनीरसेल्वम की इस तत्परता की तारीफ हुई ही, केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ने भी मुख्यमंत्री के प्रयासों की प्रशंसा की. तमिलनाडु में एक तबका ऐसा भी देखा गया जिसे ऐसी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा - और वो जयललिता की उत्तराधिकारी के तौर पर शशिकला के गुणगान में जुटा रहा.
तुम्ही हो अम्मा, तुम्ही चिनम्मा! |
चुनावों से कुछ ही महीने पहले चेन्नई में भीषण बाढ़ आई थी लेकिन जयललिता के घर से भी न निकलने पर भी किसी को शिकायत नहीं रही. जयललिता के प्रति अगाध श्रद्धा के चलते भले ही उनकी ऐसी कोई अपेक्षा न रही हो लेकिन अगर पनीरसेल्वम सड़क पर उतर कर लोगों का ध्यान रख रहे हैं तो भला उनके विरोधियों के और किसे खराब लगेगा.
सौंपो सिंहासन कि...
अभी तक तो जयललिता की जगह शशिकला को AIADMK महासचिव बनाने की मुहिम चलाई जा रही थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ चुका है - 'शशिकला फॉर सीएम' नये ट्रेंड का हिस्सा है. तमिलनाडु के चार मंत्रियों ने शशिकला से सरकार की बागडोर भी अपने हाथ में लेने और पार्टी का नेतृत्व करने का आग्रह किया है.
AIADMK के राज्य सचिव और राजस्व मंत्री आर बी. उदयकुमार की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में इस बारे में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है. शशिकला के समर्थक खुलेआम ओपी की कोई आलोचना तो नहीं कर रहे, लेकिन शशिकला के सपोर्ट में तर्क जरूर पेश कर रहे हैं.
सियासी तकरार और आम लोग
पनीरसेल्वम को सीएम बना दिये जाने के बावजूद तमिलनाडु में सब कुछ ठीक ठाक तो नहीं ही चल रहा है. वैसे देखें तो चुनावी सीजन में प्रवेश करने जा रहे यूपी तक का यही हाल है, लेकिन तमिलनाडु की स्थिति थोड़ी अलग है.
एक तरफ जयललिता की मौत जिन परिस्थितियों में हुई उसकी जांच की मांग चल रही है तो दूसरी तरफ जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार अपने लिये सियासी जमीन का आकलन कर रही हैं.
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शशिकला समर्थकों की दलील है कि दो-दो पावर सेंटर न तो पार्टी के लिए ठीक होंगे न सरकार के लिए. अब उन्हें ये कतई मंजूर नहीं कि शशिकला पार्टी चलाएं और पनीरसेल्वम सरकार.
आपसी राजनीतिक चुनौतियां अपनी जगह हैं, लेकिन इन सबके बीच तमिलनाडु के लोगों के लिए ये सब किस दिशा में ले जाने वाला है, फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यही है. कहीं जयललिता की नीतियां इन झगड़ों का शिकार तो नहीं हो जाएंगी? अगर ऐसा हुआ तो अम्मा की आत्मा को जरूर तकलीफ देगा!
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