New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 20 फरवरी, 2017 01:14 PM
रमेश ठाकुर
रमेश ठाकुर
  @ramesh.thakur.7399
  • Total Shares

कट्टरपंथी सोच वाले नेताओं के कहने पर कश्मीरी नौजवानों द्वारा पत्थरबाजी करने की एक और वजह सामने आ रही है. करीब साल भर पहले जब कट्टरपंथी नेता एवं हुर्रियत कांफ्रेस के अध्यक्ष ’सैय्यद अली शाह गिलानी’ की पुत्री ने अपने पिता की आतंकवादी छवि से त्रस्त होकर अपने प्रेमी कश्मीरी पंडित 28 वर्षीय ’अभिनंदन कौल’ के साथ शादी की थी, तो उसी वक्त से वहां के हालात बेकाबू हो गए हैं. शायद गिलानी की बेटी का हिन्दू युवक के साथ विवाह कश्मीरी आतंकवादी बर्दाश्त नही कर पा रहे हैं.

सैय्यद अली शाह गिलानी की छब्बीस साल के बेटी रुवाबा गिलानी जो विदेश से पढ़कर पिछले साल ही कश्मीर आईं थीं. उनकी सोच अपने पापा से बिल्कुल जुदा है. वह अपने पिता की आतंकी छवि व कृत्यों से बेहद नाराज थीं. गिलानी की बेटी से विवाह करने वाला युवक कश्मीर में सेब का व्यापार करता है. हालांकि, दोनों ने शादी कई महीने पहले ही हो चुकी थी. रूवाबा ने पहले पिता से इजाजत मांगी थी, लेकिन इसका विरोध हुआ और अतंत: रुवाबा ने अपनी मर्जी से शादी कर ली?

kashmir_650_021917041944.jpg

पाकिस्तान के एंटी टेररिज्म एक्ट की लिस्ट में जैसे ही आतंकी हाफिज सईद का नाम दर्ज होने की सूचना सार्वजनिक हुई, पाकिस्तान में उनके समर्थनों के अलावा जम्मू-कश्मीर में उनके रहनूमा आगबबूला हो गए हैं. इसके बाद उनकी उग्रता और बढ़ गई है. उनके समर्थक उन्हें आतंकी घोषित करने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. कश्मीर के हालात के पीछे हाफिज सईद की भूमिका हमेशा प्रत्यक्ष रूप से रही है. जम्मू-कश्मीर के पुराने श्रीनगर शहर में पिछले दो दिनों से पाकिस्तानी झंडे लहराए जा रहे हैं. बीस-पच्चीस साल के नौजवान आईएसआई का खुलकर समर्थन करते हुए हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं. उपद्रवी सुरक्षाकर्मियों को देखते ही पत्थर चलाने लगते हैं. इस समय हालात बहुत ही नाजुक हो गए हैं. इस कृत्य के पीछे हुर्रियत के नेता खुलकर पत्थरबाजी करने वाले नौजवानों का साथ दे रहे हैं, और इन्हें पीछे से पाकिस्तान शह दे रहा है.

शहर के नौहट्टा इलाके में कल दोपहर जामिया मस्जिद में जुम्मे की नमाज खत्म होने के बाद अपने चेहरों पर नकाब डाले कुछ नौजवानों ने हरे और सफेद रंग के पाकिस्तानी झंडे जमकर लहराए. भारत के खिलाफ खूब नारेबाजी भी की. हमें भारत से छुटकारा चाहिए, पाकिस्तान हमारा है, भारत हमारा दुश्मन है जैसे नारे लगा रहे हैं. बावजूद इसके सुरक्षाकर्मी उन्हें कोई नुकसान पहुंचाने के बजाय समझा रहे हैं लेकिन उपद्रवी सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर फेंक रहे हैं. हालात, जब काबू से बाहर होते दिखे तो उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठियां भांजी. थोड़ी देर तक भीड़ तितर-बितर हुई, लेकिन कुछ समय के बाद फिर उपद्रवियों ने हंगामा काटना शुरू किया.

इसके बाद से ही सुरक्षाकर्मी और उपद्रवियों में झड़पें जारी हैं, लेकिन फिलहाल अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. उपद्रवियों को यह सब करने के लिए उनको आदेश दिए जा रहे हैं. हुर्रिरत नेता पूरे मोर्चे को संभाले हुए हैं. हुर्रियत नेता भारत सरकार व सुरक्षाकर्मियों की उदारता का फायदा उठा रहे हैं. उनको पता सरकार सेना को सीधे गोली मारने का आदेश नहीं देगी. लेकिन अब वक्त का तकाजा है कि ऐसे हालातों को निपटने के लिए कट्टरपंथी नेताओं के नापाक मंसूबों को कुचलने के लिए सर्जिकल लड़ाई की जरूरत है.

कश्मीर साल भर से सुलग रहा है. यह सब पाकिस्तान की हिमाकत से संभव हो रहा है. पाकिस्तान, जम्मू-कश्मीर में अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आने वाला है. सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की पुख्ता जानकारी मिली है कि कश्मीर में हालात बिगाड़ने के लिए पाकिस्तान एक बड़ी साजिश रच रहा है. सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिले हैं कि अगले दो महीने के बीच कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं और तेज होंगी और इसी आड़ में पाक के कहने पर आतंकी आम नागरिकों को ढाल बनाकर सेना पर हमले की साजिश रच रहे हैं. इसके बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों व घाटी में सुरक्षा बलों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं.

kashmir_651_021917041957.jpg

आतंकी पाक अधिकृत कश्मीर में मिशन कश्मीर 2017 के तहत साजिश रच रहे हैं. पिछले दिनों पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ ने भी पीओके के साथ-साथ सियालकोट और रावलपिंडी का दौरा किया था. सेना को सर्तकता की जरूरत है.

गुमराह हो चुके कश्मीरी लोग अब समझने वाले नहीं है. वह पूरी तरह से पाकिस्तानी आतंकियों के बहकावे में आ चुके हैं. पत्थरबाजी करने वाले नौजवानों को सही रास्ते पर लाने का प्रयास भी किया गया था. पिछले साल ही बीस राजनीतिक दलों के तीस सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में कश्मीर का दौरा किया था. प्रतिनिधिमंडल वहां चार और पांच सितम्बर को घाटी में रुका और जम्मू कश्मीर के राज्यपाल व मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात भी की, लेकिन सब बेअसर साबित हुआ. कहावत है कि लातो के भूत बातों से नहीं मानते, यह कहावत इस समय वहां के पत्थरबाज नौजवानों पर चरितार्थ होती है. सेना को इन उपद्रवियों पर सख्ती से पेश आने की जरूरत है. वहां के लोग बेतर्क और बेशुद्व हो चुके हैं. कश्मीर की फिजा और बदनुमा न हो इसलिए उन पर कानूनी कार्रवाई की दरकार है. कश्मीर भारत का है और भारत का ही रहेगा. यह बताने की जरूरत है उन्हें.

ये भी पढ़ें-

- कश्‍मीरी पंडितों के साथ सहानुभूति भरा 'धोखा' !

- मुसलमान क्या सोचकर वोट देता है?

लेखक

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय