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Updated: 17 अक्टूबर, 2017 01:02 PM
कुमार अभिषेक
कुमार अभिषेक
  @kr.abhishek.52
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इन दिनों अयोध्या में राम मंदिर या विवादित ढांचे की चर्चा उतनी नहीं है, ना ही राम मंदिर कब और कैसे बने इसकी चर्चा है. बल्कि अयोध्या में योगी की दीवाली कैसी होगी सिर्फ इसकी ही चर्चा है.. यह दीवाली भी आम नहीं है यह दीवाली भी खास है..

खास इसलिए कि इस बार दिवाली पर अयोध्या नगरी इसलिए नहीं सज रही कि भगवान राम अपना वनवास खत्म कर आ रहे हैं. बल्कि इसलिए सज रही है कि बीजेपी का 10 साल का बनवास खत्म कर मुख्यमंत्री योगी दिवाली मनाने अयोध्या आ रहे हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिवाली का महाआयोजन अयोध्या में घर-घर चर्चा का विषय बना हुआ है. हर जुबान पर यही सवाल है कि आखिर अयोध्या में ऐसा क्या है जो योगी उन्हें देने जा रहे हैं.. दरअसल योगी आदित्यनाथ अयोध्या को साढ़े तेरह हजार लाख की योजनाओं का गिफ्ट देने जा रहे हैं.. जिसमें राम की पौड़ी पर भगवान राम की कई सौ फुट ऊंची प्रतिमा के साथ-साथ अयोध्या के विकास और सौंदर्यीकरण के कई प्रोजेक्ट हैं.

adityanath, diwaliबीजेपी के लिए ये दिवाली खास है

राम कथा गैलरी, राम कथा पार्क, पर्यटक आवास, ग्रीन शौचालय, लाइट एंड साउंड सिस्टम, कचरा वेस्ट मैनेजमेंट साथ ही साथ 30 स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे, रेलवे स्टेशन, गुप्तचर घाट, लक्ष्मण किला आदि का सौंदर्यीकरण, लेटेस्ट ड्रेनेज सिस्टम और शहर में रोशनी की व्यवस्था को सुदृढ़ करने की अलग से तैयारी हो रही है.. इसके अलावा हनुमानगढ़ी कनक भवन और दशरथ भवन का भी सौंदर्यीकरण होगा. लेकिन आखिर इतने बड़े पैमाने पर यह आयोजन क्यों? यह सवाल सभी के जेहन में है..

ये भी जान लीजिये कि 18 October को बीजेपी के भव्य आयोजन की तैयारियां क्या हैं-

18 अक्टूबर यानी छोटी दीपावली के दिन भगवान राम से जुड़ी झांकियां अयोध्या का मुख्य आकर्षण होगी. राम से जुड़े अलग-अलग काण्ड पर आधारित ये झाकियां अपने भव्य स्वरुप में दिखाई देगी. ट्रकों पर बने मंच पर शोभायमान कुल 11 झाकियां होंगी जिसके सामने लोक-कलाकार संबंधित काण्ड से जुड़ी नृत्य नाट्य प्रस्तुतियां कर रहे होंगे..

यह शोभायात्रा अयोध्या स्थित साकेत महाविद्यालय से दोपहर बाद 2 बजे निकलकर अयोध्या की सड़कों से गुजरती हुई लगभग 3 किलोमीटर के सफ़र के बाद शाम 4 बजे रामकथा पार्क पहुंचेगी. रास्ते में लोग इन शोभायात्राओं पर पुष्प वर्षा कर रहे होंगे और खुशियां मनाते हुए जयकारे लगा रहे होंगे. इसके पीछे न सिर्फ अयोध्या के साधु संत दिखाई देंगे बल्कि अयोध्यावासी भी झूमते, गाते और इठलाते हुए खुशियां मनाते दिखाई देंगे...

रामकथा पार्क में यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और राज्यपाल रामनाईक ही नहीं बल्कि प्रदेश और केंद्र के कई मंत्री भी मौजूद रहेंगे. जो राम-सीता, लक्ष्मण का स्वागत और पूजन अर्चन करेंगे. वहीं पर राम दरबार लगेगा और राम का राज्याभिषेक होगा. इसलिए यहां की सड़कों को ठीक किया जा रहा है. तो रामदरबार भी बनाया जा रहा है. बढ़ी हुई घासों को काटा जा रहा है. और इस कदर सजाया जा रहा है कि त्रेता युग के वैभव को प्रतिबिंबित किया जा सके..

आखिर दिवाली पर अयोध्या में इतने बड़े आयोजन के पीछे का मकसद क्या है? जब हमने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की तो एक सिरा सियासत की ओर भी जाता दिखा. यह सियासत वही है जो योगी आदित्यनाथ इन दिनों साध रहे हैं. यानी योगी सरकार की नीतियों में ताजमहल नहीं दिखेगा और दिखेगा तो सिर्फ अयोध्या, मथुरा और चित्रकूट. लेकिन इस सियासत की वजह सिर्फ धार्मिक नहीं है बल्कि इसके पीछे एक बड़ा राजनैतिक मकसद भी है.

adityanath, diwaliराम मंदिर न सही राम की मूर्ति तो जनता को दे ही दें

2019 के पहले BJP अयोध्या में मंदिर निर्माण की शुरुआत करना चाहती है. इसके लिए उसे अदालत के फैसले का इंतजार करना होगा. रही बात बातचीत की प्रक्रिया का तो फिलहाल बातचीत से ये मसला हल होता नहीं दिख रहा. लेकिन अयोध्या को सिर्फ राम मंदिर के भरोसे छोड़ देने से बीजेपी को सियासी तौर पर भारी नुकसान हो सकता था. इसलिए 2019 तक अगर अयोध्या में मंदिर निर्माण शुरू नहीं हो पाता, तो बीजेपी इन हजारों करोड़ के अयोध्या प्रोजेक्ट को चुनावी शो केस के तौर पर लोगों के सामने रख सकती है.. दूसरी सबसे बड़ी वजह. नवंबर-दिसंबर में होने वाले नगर निगम और नगर निकाय चुनाव हैं. इसमें पहली बार अयोध्या और मथुरा अपना मेयर चुनेंगे. अयोध्या और मथुरा में बीजेपी का मेयर हो, यह पार्टी के लिए नाक का सवाल बन गया है. क्योंकि पहली बार यहां मेयर के चुनाव होंगे और सीधे लोग अपना मेयर चुनेंगे. ऐसे में अयोध्या और मथुरा किसी भी सूरत में हारने का जोखिम BJP नहीं ले सकती और यही वजह है की पार्टी ने अपनी तमाम ताकत झोंक दी है. अयोध्या के इस भव्य आयोजन और योगी की दीवाली को मेयर के चुनाव और पूरे प्रदेश में होने वाले नगर निगम और नगर निकाय के चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है..

2019 तक मंदिर बने ना बने भगवान राम की भव्य प्रतिमा जरूर लग जाए. विवादित ढांचे का हल निकले न निकले लेकिन सरयू का सुंदरीकरण हो जाए. और सरयू के घाट वाराणसी के घाट की तरह हो जाएं, जहां शाम में सरयू की आरती हो सके. इसकी तैयारी जरूर है. क्योंकि अगर मंदिर नहीं बन पाया तो भी जनता को कहने और दिखाने के लिए बीजेपी के पास बहुत कुछ होगा.

बहरहल योगी आदित्यनाथ अयोध्या को कितनी जल्दी और क्या-क्या सौगात देते हैं, इस पर तमाम नजरें लगी हैं. लेकिन बड़ा सवाल अब भी वही है कि क्या अयोध्या को ऐसे साधने के पीछे राम मंदिर का एजेंडा कहीं चुपचाप चल रहा है या फिर पीछे छूटता जा रहा है..

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कुमार अभिषेक कुमार अभिषेक @kr.abhishek.52

लेखक लखनऊ में टीवी टुडे के विशेष संवाददाता हैं.

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