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Updated: 06 अक्टूबर, 2016 10:24 PM
संतोष चौबे
संतोष चौबे
  @SantoshChaubeyy
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"आप जब सऊदी अरब को आगे बढ़ाएंगे अपने मुल्क को छोड़कर तो और क्या होगा. आपको पता है अल क़ायदा की शुरुआत कैसे हुई – कैसे पहले खेप के आतंकियों की भर्ती हुई? उन्होंने कैसे इनिशिएट किया था. पहले 100-200 आदमियों को कैसे रिक्रूट किया था जो ब्रेन चाइल्ड थे, जो कोर बने, जो हिटमेन थे. सऊदी अरब में मौत की सजा पाए लोगों का सर कलम कर दिया जाता है. लेकिन मौत की सजा पाए ऐसे कैदियों को ज़िंदा रहने का एक मौका दिया जाता है अगर वो पैसे या ब्लड मनी दे सकें.

ऐसे पहले 100-200 लोग, जो मौत की सजा पा चुके थे, उनको जनरल ज़िया ने बुलाया और कहा कि तुम लोगों की ज़िन्दगी अब मेरी है और अब अल्लाह का काम तुम लोगों को आगे बढ़ाना है. इन लोगों के साथ अल-क़ायदा की बुनियाद रखी गई. उसी में सऊदी का बिन लादेन परिवार आया. उसी में फण्ड आने शुरू हुए.

जब भी आप एक फ्रैंकेंस्टीन बनाते हैं तो वो आगे चलकर अपने मालिक के खिलाफ ही खड़ा हो जाता है. यही हुआ पाकिस्तान के साथ और आज तक हो रहा है...”

ये विडियो क्लिप एक पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल के प्रोग्राम का हिस्सा है जो जनरल ज़िया-उल-हक़ की बरसी पर प्रसारित हुआ था. जनरल ज़िया ने अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत वॉर का फायदा उठा कर सोवियत सेना से लड़ने के नाम पर मुजाहिदीन संगठन बनाये जिन्होंने आगे चलकर अल-क़ायदा और तालिबान को जन्म दिया और अमेरिका से मदद के नाम पर अरबों डॉलर ऐंठ लिए.

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जनरल ज़िया ने मुजाहिदीन तैयार करने के लिए जो तरीका चुना वो हॉलीवुड की एक्शन फिल्मों का पसंदीदा प्लाट है - मौत की सजा पाए हुए कैदियों को अपनी शर्तों पर जीने का मौका देना. और शर्तें कुछ भी हो सकती हैं - अभी हालिया रिलीज हुई फिल्म सुसाइड स्क्वाड खतरनाक कैदियों को दुनिया को एक गंभीर खतरे से बचाने के लिए डिस्पोजेबल संपत्ति की तरह यूज़ होते दिखाती है. तो डेथ रेस और द कंडेमनेड जैसी फिल्में खतरनाक कैदियों को जानलेवा खेलों में भाग लेते दिखाती हैं. अब जनरल ज़िया इन फिल्मों से प्रेरित थे या नहीं ये बहस का विषय हो सकता है लेकिन ये सही है कि ऐसी फिल्में हॉलीवुड में जनरल ज़िया के काफी पहले से बनती रहीं हैं.

लेकिन जैसा कि हम जानते हैं कि जैसा ऐसी फिल्मों में होता है वो जीवन में कभी नहीं होता. जनरल ज़िया ने जो सुसाइड स्क्वाड बनाया वो अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत वॉर ख़त्म होते होते अल-क़ायदा में तब्दील हो गया. कुछ सालों बाद उन्हीं समूहों से तालिबान बना. वो आतंकवादी समूह जो अब पाकिस्तान के भस्मासुर साबित हो रहे हैं. और पाकिस्तान ही क्या पूरी दुनिया में तबाही मचा रहें हैं फिर चाहे वो अमेरिका हो, यूरोप के देश हों, अफ्रीका के देश हों, मिडिल-ईस्ट देश हों, या भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश.

और आपरेशन टोपाक - जिसने कश्मीर में हिंसा का दौर शुरू किया वो भी जनरल ज़िया का ही ब्रेन-चाइल्ड है. जैसा कि पाकिस्तान के हुक्मरान अभी भी कहते रहते हैं, आपरेशन टोपाक भारत के टुकड़े करने और कश्मीर को भारत से अलग करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था और अभी भी पाकिस्तान उसमें लगा हुआ है. 

पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने जनरल ज़िया को 1976 में पाकिस्तान का सेना प्रमुख बनाया था लेकिन जनरल ज़िया ने साल भर के भीतर ही सैन्य तख्तापलट करके पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू कर दिया और 1978 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए. जबकि ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो पर साज़िश और राजनीतिक हत्या का मुकदमा चला कर 1979 में उनको मौत की सजा दे दी गयी.

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जनरल ज़िया 1988 में एक रहस्यमयी प्लेन दुर्घटना में मरने तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति या यूँ कहें सैन्य तानाशाह बने रहे और उनका कार्यकाल पाकिस्तान के इतिहास में सबसे लंबा रहा है. जनरल ज़िया अपने कार्यकाल में और मरने के बाद भी एक विवादित शख्सियत के रूप में देखे जाते हैं और ये विडियो उसकी बानगी भर है कि उनके विरोधी अब भी उनसे कितनी नफरत करते हैं.

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 कुछ ऐसे थे पहली खेप के आतंकी

ज़िया के विरोधी कहते हैं कि उन्होंने पाकिस्तान को ऐसे गर्त में धकेल दिया जिसमें पाकिस्तान आज भी फंसा हुआ है, जैसा कि इस शो का एंकर भी कहता है. तालिबान, एमक्यूएम, एके47 और शिया-सुन्नी फसाद, ये पाकिस्तान में जनरल ज़िया की ही देन माने जाते हैं. हम सभी जानते हैं की पाकिस्तान एक सुन्नी प्रधान देश है और शियाओं पर पाकिस्तान में बेइंतेहा ज़ुल्म की संगठित शुरुआत जनरल ज़िया के शासनकाल से ही हुई.

जनरल ज़िया पाकिस्तान को शरीया लॉ पर आधारित इस्लामिक देश बनाना चाहते थे और अपनी सत्ता को सुदृढ़ करने के लिए उन्होंने जिहाद, कट्टरपंथ, आतंवाद, मिलिट्री और इंटेलिजेंस, इन सबका ऐसा जाल बनाया कि पाकिस्तान अभी भी उसमे फंसा हुआ है. पाकिस्तान का कुख्यात ईशनिंदा कानून जनरल ज़िया की ही देन है जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के क्रिस्चियन और हिन्दू अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के लिए किया जाता है.

जनरल ज़िया ने ही ऐसा कानून बनाया जिसके तहत बलात्कार पीड़ित महिलाओं को अपनी बात सिद्ध करने के लिए चार मुस्लिम गवाह पेश करने पड़ते थे नहीं तो उन्हें ही व्यभिचारी मान लिया जाता था. जनरल ज़िया द्वारा बनाये गए ऐसे कानूनों की लिस्ट लंबी है.

लेखक

संतोष चौबे संतोष चौबे @santoshchaubeyy

लेखक इंडिया टुडे टीवी में पत्रकार हैं।

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