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Updated: 03 सितम्बर, 2017 02:24 PM
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नोटबंदी के तत्काल बाद विपक्ष ने लोगों को हो रही परेशानी को मुद्दा बनाया. ATM की लाइन में खड़े लोगों की मौत का काउंट डाउन जारी रखा. लेकिन लोग थे कि मोदी की नीयत पर भरोसा करके विपक्ष के दावों पर पानी फेरते रहे. अब नोटबंदी को लेकर RBI ने अपनी रिपोर्ट दी है. नतीजा यह है कि  नोटबंदी से कोई क्रांतिकारी उपलब्धि हांसिल नहीं हुई है. उलटे GDP में गिरावट ही दर्ज हुई है. लेकिन इस सबके बावजूद मोदी सरकार के इस फैसले का कोई राजनीतिक फायदा विपक्ष को होता नहीं दिख रहा है. इसका कारण सिर्फ विपक्ष का कमजोर नेतृत्व ही नहीं.

1. हथियार ही डाल दिए...

नरेंद्र मोदी का ये मास्टर स्ट्रोक विपक्ष को काफी परेशान कर गया. नेता परेशान थे और ये समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर पब्लिक कैसे मोदी को इतना सपोर्ट कर रही है. केजरीवाल जी तो अलग-अलग राज्यों में घूम भी आए, लेकिन कुछ न हो सका.

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राज्य चुनाव आने से पहले विपक्ष को अपने रास्ते भी तय करने थे. पब्लिक के सामने ये छवि गई कि इससे नेता भी परेशान हैं और अमीर भी जिनके पास काला धन है. ऐसे में आए दिन होने वाले छापे की खबरें विपक्ष के मनोबल को और तोड़ गईं.

नोटबंदी के फेल होने के बाद भी नरेंद्र मोदी वोटरों को अपनी ओर खींचने में कामियाब रहे और नोटबंदी के बारे में भूलकर विपक्ष सिर्फ अपने बारे में सोचता रह गया.

2. तत्काल फैसले...

जैसे ही ये समझ आने लगा कि मोदी का नोटबंदी का पत्ता थोड़ा फेल हो रहा है वैसे ही मोदी ने पूरा मामला कैशलेस इकोनॉमी और रीमॉनिटाइजेशन पर पलट दिया. लोगों से अपील की जाने लगी की कैशलेस का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करें और जिनको बहुत जरूरत है उन्हें कैश दें. किसानों को जिन्हें कैशलेस के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी उन्हें भी ये पता था कि जब कैशलेस हो जाएगा देश तब फायदा होगा.

3. कोशिश तो की...

भले ही मोदी अपने हर दांव में फेल हो रहे हों, लेकिन एक बात तो पक्की है कि लोगों में उनकी काम करने वाले नेता की छवि गहरी है. लोग उनकी बुराई कर रहे हैं, लेकिन ये भी कह रहे हैं कि कम से कम उन्होंने कोशिश तो की. मोदी भले ही काला धन लाने में फेल हो गए, लेकिन अपना जन्मदिन मनाने के लिए यूरोप को नहीं गए, नए साल की छुट्टी के लिए राहुल गांधी की तरह विदेश तो नहीं चले गए. यहां विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के चेहरे के खिलाफ अगर इस तरह की बात हो रही हो तो फिर कैसे नोटबंदी का विरोध सही तरह से हो पाएगा.

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4. मोदी की सक्त लीडर वाली छवि...

मोदी की छवि इस फैसले के बाद एक ऐसे लीडर की बनकर उभरी जिसे कड़े फैसले लेने से डर नहीं लगता. लोगों की भलाई के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है. भले ही नोटबंदी के नुकसान और फायदे पर अभी भी बहस चल रही हो, लेकिन बीजेपी के समर्थक कम नहीं हुए! यही बात विपक्ष के लिए एंटी साबित हुई.

5. सर्जिकल स्ट्राइक का असर...

भले ही नोटबंदी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की याद थोड़ी पीछे रह गई हो, लेकिन उसे लोग भूले नहीं है. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नोटबंदी का फैसला लोगों को एक संदेश की तरह लगा कि जो भी हो काम आम जनता और देश की भलाई के लिए हो रहा है. इन दोनों ही फैसलों से आम जनता जुड़ी हुई है. इसीलिए विपक्ष का इन दोनों के खिलाफ प्रदर्शन फीका पड़ गया.

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